संयुक्त राष्ट्र: भारत उन 5 देशों में शामिल है जहां जीका वायरस से लड़ने के लिए टीके विकसित करने की परियोजनाएं चालू हैं। जीका इस समय 38 देशों में फैल चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की महानिदेशक मार्गरेट चान ने बताया कि एक वर्ष से भी कम समय में जीका का स्तर एक मामूली चिकित्सकीय जिग्यासा से ऐसी बीमारी के रूप में बदल चुका है जिसके लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर परिणाम देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने कहा, हम इस बीमारी के बारे में जितना जानते जा रहे हैं, चीजें उतनी ही खराब दिख रही हैं।
WHO ने बताया कि इस समय 30 से अधिक कंपनियां संभावित नए नैदानिक परीक्षणों पर काम कर रही हैं या उन्होंने इन्हें विकसित कर लिया है। उसने बताया कि अमेरिका, फ्रांस, ब्राजील, भारत और आस्टि्रया में 14 वैक्सीन डेवलपर्स इसके टीके विकसित करने के लिए 23 परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं।
WHO ने फरवरी में जीका के संक्रमण को इंटरनेशनल पब्लिक हेल्थ इमरजेन्सी घोषित किया था। लोगों के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करने वाला यह वायरस नवजात शिशुओं में विकृतियों और मस्तिष्क संबंधी विकारों से जुड़ा है।
मार्गरेट ने बताया कि यह वायरस इस समय 38 देशों में फैल चुका है। उन्होंने चेताया कि इस बारे में कोई नहीं बता सकता कि क्या यह वायरस देश के अन्य हिस्सों में भी फैलेगा या नहीं और क्या यह वहां भी इसी प्रकार भू्रण संबंधी विकृतियां एवं मस्तिष्क संबंधी विकार पैदा करेगा।
उन्हौंने कहा, यदि लातिन अमेरिका और कैरेबियाई देशों से परे भी ऐसा देखा जाता है तो विश्व एक गंभीर जन स्वास्थ्य संकट का सामना करेगा।