Tuesday, April 23, 2024
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मुंबई हमले को अंजाम देने वाले लश्कर पर कसा शिकंजा, अमेरिका ने दो शीर्ष नेताओं को बताया वैश्विक आतंकी

वाशिंगटन: अमेरिका ने पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के दो शीर्ष नेताओं को वैश्विक आतंकी करार दे दिया है और आतंकी संगठन की छात्र इकाई पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस तरह उसने 2008 में

Bhasha Bhasha
Published on: December 29, 2016 16:23 IST
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वाशिंगटन: अमेरिका ने पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के दो शीर्ष नेताओं को वैश्विक आतंकी करार दे दिया है और आतंकी संगठन की छात्र इकाई पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस तरह उसने 2008 में मुंबई हमले को अंजाम देने वाले लश्कर पर शिकंजा कस दिया है। 

अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने मोहम्मद सरवर और शाहिद महमूद को वैश्विक आतंकी करार दिया। लश्कर के ये दोनों ही नेता पाकिस्तान से हैं। लश्कर-ए-तैयबा की छात्र इकाई अल-मुहम्मदिया स्टूडेंट्स को अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने आतंकी संगठन का दर्जा दे दिया। यह छात्र इकाई मूल संगठन के वरिष्ठ नेताओं के साथ मिलकर लोगों की भर्ती और युवाओं के लिए गतिविधियों के आयोजन का काम करती है। 

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा, अल-मुहम्मदिया स्टूडेंट्स लश्कर-ए-तैयबा की छात्र इकाई है। लश्कर-ए-तैयबा को दिसंबर 2001 में अमेरिका ने आतंकी संगठन करार दे दिया था। 

विदेश मंत्रालय ने कहा कि आतंकी संगठन का दर्जा दिए जाने के बाद से लश्कर-ए-तैयबा लगातार अपना नाम बदलता रहा है और प्रतिबंधों से बचने के लिए मुखौटा संगठन बनाता रहा है। 

विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय के कार्यवाहक निदेशक जॉन ई स्मिथ ने कहा, लश्कर-ए-तैयबा के ये दो नेता आतंकी संगठन की गतिविधियों के लिए धन जुटाने और उसे इधर से उधर पहुंचाने के लिए जिम्मेदार हैं। 

उन्होंने कहा, आज के कदम का उद्देश्य उनकी गतिविधियों को उजागर करना ही नहीं है बल्कि लश्कर-ए-तैयबा के आर्थिक तंत्र और हिंसक आतंकी हमले करने की उसकी क्षमता को बाधित करने का भी है। 

वित्त मंत्रालय ने कहा कि सरवर 10 साल से अधिक समय तक लाहौर में लश्कर-ए-तैयबा का एक वरिष्ठ पदाधिकारी रहा है और संगठन में कई नेतृत्वकारी भूमिकाएं निभा चुका है। इस समय वह लाहौर में लश्कर-ए-तैयबा का अमीर है। वह जनवरी 2015 से इस पद पर है। 

मंत्रालय ने कहा कि लाहौर में लश्कर-ए-तैयबा के अमीर के तौर पर सरवर ने संगठन के अधिकतर वरिष्ठ नेताओं से संपर्क रखा हुआ है। वर्ष 2012 और 2013 के बीच सरवर ने लश्कर के विदेश मामलों के प्रमुख हाफिज अब्दुल रहमान मक्की के साथ काम किया और वर्ष 2013 की शुरूआत में मक्की ने सरवर से पाकिस्तान के अंदर की गई अपनी यात्रा के लिए धन देने के लिए कहा था। 

वित्त मंत्रालय ने कहा कि अपने इस पद के आधार पर सरवर लश्कर-ए-तैयबा के लिए धन जुटाने की गतिविधियों में सीधे तौर पर शामिल रहा है। वह लश्कर-ए-तैयबा की ओर से धन जुटाने एवं पहुंचाने के लिए पाकिस्तान में औपचारिक वित्तीय प्रणाली का इस्तेमाल करता रहा है। 

दूसरी ओर, महमूद लंबे समय से कराची में लश्कर-ए-तैयबा का वरिष्ठ सदस्य रहा है। वह वर्ष 2007 से संगठन के साथ जुड़ा है। 
बयान में कहा गया कि जून 2015 से कम से कम जून 2016 तक महमूद लश्कर-ए-तैयबा की धन जुटाने वाली शाखा फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन :एफआईएफ: का उपाध्यक्ष रहा है। 

एफआईएफ को पहले लश्कर-ए-तैयबा का ही एक दूसरा नाम करार दिया गया था। 

मंत्रालय ने कहा कि महमूद पहले लश्कर-ए-तैयबा के विदेशी अभियान दल का हिस्सा था। इस दल का नेतृत्व साजिद मीर के हाथ में था। मीर को वर्ष 2012 में वैश्विक आतंकी करार दिया गया था। 

लश्कर के अभियान दल का हिस्सा होने के दौरान महमूद को सउदी अरब और बांग्लादेश की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। 

मंत्रालय ने कहा कि इसके अलावा अगस्त 2013 में महमूद को बांग्लादेश और म्यांमा के इस्लामी संगठनों के साथ गोपनीय संबंध बनाने का निर्देश दिया गया था। वर्ष 2011 के अंत में महमूद ने दावा किया था कि लश्कर-ए-तैयबा का ध्यान मुख्य रूप से भारत और अमेरिका पर हमला करने पर होना चाहिए। 

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