Thursday, April 25, 2024
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अमेरिका रक्षा क्षेत्र में भारत की मदद को तैयार, लेकिन रूस से एस-400 खरीद से सहयोग पर पड़ेगा असर : ट्रंप प्रशासन

ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि अमेरिका भारत की रक्षा जरूरतों को आधुनिक प्रौद्योगियों तथा साजो सामान के साथ पूरा करने में मदद के लिए तैयार है। 

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: June 14, 2019 14:56 IST
Donald Trump- India TV Hindi
Image Source : PTI Donald Trump

वाशिंगटन: ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि अमेरिका भारत की रक्षा जरूरतों को आधुनिक प्रौद्योगियों तथा साजो सामान के साथ पूरा करने में मदद के लिए तैयार है। इसी के साथ उसने आगाह किया कि भारत का रूस से लंबी दूरी का ‘एस-400 मिसाइल रक्षा तंत्र’ खरीदने से सहयोग पर असर पड़ सकता है। ट्रंप प्रशासन का यह बयान अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा कुछ सप्ताह पहले दी गई ऐसी ही एक चेतावनी के बाद आया है। अधिकारी ने कहा था कि भारत के रूस से मिसाइल तंत्र खरीद के भारत-अमेरिका रक्षा संबंध पर ‘गंभीर-निहितार्थ’ होंगे। 

गौरतलब है कि ‘एस-400’ रूस का सबसे आधुनिक सतह से हवा तक लंबी दूरी वाला मिसाइल रक्षा तंत्र है। चीन 2014 में इस तंत्र की खरीद के लिए सरकार से सरकार के बीच करार करने वाला पहला देश बन गया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के बीच पिछले वर्ष अक्टूबर में अनेक मुद्दों पर विचार विमर्श के बाद भारत और रूस के बीच पांच अरब डॉलर में ‘एस-400’ हवाई रक्षा तंत्र खरीद सौदे पर हस्ताक्षर हुए थे। 

विदेश मंत्रालय की विशेष अधिकारी एलिस जी वेल्स ने एशिया, प्रशांत एवं परमाणु अप्रसार के लिए विदेश मामलों में सदन की उपसमिति को बताया कि अमेरिका अब किसी अन्य देश के मुकाबले भारत के साथ सबसे अधिक सैन्य अभ्यास करता है। उन्होंने कहा,‘‘ ट्रंप प्रशासन के अंतर्गत हम इस बात को लेकर बेहद स्पष्ट हैं कि हम भारत की रक्षा जरूरतों को पूरा करने में मदद के लिए तैयार हैं और कांग्रेस ने भारत को जो ‘अहम रक्षा साझेदार’ का दर्जा दिया है उस पर अलग तरीके की रक्षा साझेदारी चाह रहे हैं।’’ 

वह कांग्रेस की उप समिति में भारत के रूस से ‘एस-400’ तंत्र की खरीद और भारत-अमेरिका के बीच संबंधों को जितना हो सके उतना मजबूत और सार्थक बनाने पर बोल रही थीं। उन्होंने बताया कि कुछ सप्ताह पहले भारत, अमेरिका, फिलिपींस और जापान ने दक्षिण चीन सागर में नौवहन किया था। वेल्स ने कहा, ‘‘हम अपने द्विपक्षीय,त्रिपक्षीय तथा चतुष्कोणीय फॉर्मेट में उस तरीके से मिल कर काम कर रहे हैं जिसके बारे में 10साल पहले तक हमने सोचा तक नहीं था। और इसलिए हम चाहेंगे कि हमारे सैन्य संबंधों के सभी आयम इस नए साझेदारी तक पहुंचे।’’ 

उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि भारत की रूसी हथियारों पर निर्भरता पुराने समय से है। उन्होंने कहा कि ‘एस-400’ के साथ चिंता की बात यह है कि यह ‘हमारी अपनी आपसी क्षमता को बढ़ाने’ की भारत की क्षमता को घटा देगा। वेल्स ने अपने संबोधन में कहा कि एक खास मोड़ पर पहुंच कर भारत को निर्णय लेना पड़ेगा कि वह क्या हथियार तंत्र और मंच चुनता है। 

एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा,‘‘यह ऐसा मामला है कि 10 साल पहले तक हम भारत को उतने सैन्य साजो सामान की पेशकश नहीं करते थे जितना हम आज देने के लिए तैयार हैं। हम भारत के साथ बातचीत कर रहे है कि हम अपने रक्षा संबंधों को किस प्रकार से बढ़ा सकते हैं।’’ वेल्स ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारत-अमेरिका रक्षा व्यापार शून्य से 18 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। यह भारत द्वारा हथियार के स्रोतों में विविधता लाने के कारण हुआ है। उन्होंने कहा,‘‘हम इसमें लगातार प्रगति और रक्षा संबंधों को बढ़ाना चाहते हैं। लेकिन मुद्दा यह है कि भारत के 65 से 70 प्रतिशत सैन्य उपकरण रूस निर्मित हैं।’’ 

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