Saturday, April 27, 2024
Advertisement

‘जंग के चलते पूरी दुनिया में हर साल एक लाख से ज्यादा बच्चों की जान जाती है’

एक गैर सरकारी संगठन के आंकड़ों को मुताबिक, दुनिया में होने वाली लड़ाइयां हर साल एक लाख से भी ज्यादा बच्चों के लिए काल बन जाती हैं।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: February 15, 2019 11:55 IST
War kills over 100000 kids a year, says Save the Children NGO | AP Representational- India TV Hindi
War kills over 100000 kids a year, says Save the Children NGO | AP Representational

म्यूनिख: दुनिया में इस समय कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां लगातार जंग जारी है। इन हिस्सों में अरब देशों, अफ्रीका के कुछ देशों को प्रमुख तौर पर गिना जा सकता है। इस बीच एक गैर सरकारी संगठन के आंकड़ों को मुताबिक, दुनिया में होने वाली लड़ाइयां हर साल एक लाख से भी ज्यादा बच्चों के लिए काल बन जाती हैं। गैर सरकारी संगठन ‘सेव द चिल्ड्रन इंटरनेशनल’ ने शुक्रवार को कहा कि युद्ध और उसके प्रभाव की वजह से हर साल कम से कम 1,00,000 बच्चों की मौत हो जाती है, जिसमें भूख और मदद ना मिलने जैसे प्रभाव शामिल हैं।

एक अनुमान के मुताबिक दस युद्धग्रस्त देशों में 2013 से 2017 के बीच युद्ध की वजह से 5,50,000 बच्चे दम तोड़ चुके हैं। उनकी मौत युद्ध और उसके प्रभावों से हुई है, जिसमें भूख, अस्पतालों और बुनियादी ढाचों को हुआ नुकसान, स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच की कमी, स्वच्छता और मदद नहीं मिल पाने जैसे कारण शामिल हैं। संगठन की मुख्य कार्यकारी अधिकारी थॉरनिंग शिमिड्ट ने एक बयान में कहा, ‘हर 5 में से करीब एक बच्चा संकटग्रस्त इलाकों में रह रहा है। बीते दो दशक में यह सबसे बड़ी संख्या है।’

सेव द चिल्ड्रन ने कहा कि उसने ओस्लो स्थित ‘पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट’ के साथ अध्ययन में पाया कि 2017 में 42 करोड़ बच्चे संकटग्रस्त इलाकों में रह रहे थे। यह दुनिया भर के बच्चों की संख्या का 18 फीसदी हिस्सा है और बीते साल के मुकाबले इसमें 3 करोड़ बच्चों का इजाफा हुआ है। अफगानिस्तान, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कांगो, इराक, माली, नाइजीरिया, सोमालिया, दक्षिण सूडान, सीरिया और यमन सबसे संकटग्रस्त देश हैं।

Latest World News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Europe News in Hindi के लिए क्लिक करें विदेश सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement