Thursday, March 28, 2024
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रोहिंग्या शरणार्थी संकट: सू की से फ्रीडम ऑफ ऑक्सफोर्ड सम्मान वापस लिया गया

म्यांमार की ‘स्टेट काउंसलर’ आंग सान सू की की रोहिंग्या शरणार्थी मुद्दे से निपटने में निष्क्रियता को लेकर और देश में हुई हिंसा की तरफ से आंखें मूंदने के लिए उनसे ‘फ्रीडम ऑफ ऑक्सफोर्ड’ सम्मान वापस ले लिया गया है...

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: November 28, 2017 19:33 IST
Aung San Suu Kyi | AP Photo- India TV Hindi
Aung San Suu Kyi | AP Photo

लंदन: म्यांमार की ‘स्टेट काउंसलर’ आंग सान सू की की रोहिंग्या शरणार्थी मुद्दे से निपटने में निष्क्रियता को लेकर और देश में हुई हिंसा की तरफ से आंखें मूंदने के लिए उनसे ‘फ्रीडम ऑफ ऑक्सफोर्ड’ सम्मान वापस ले लिया गया है। देश में भड़की हिंसा की वजह से 6 लाख से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमानों को देश छोड़कर बांग्लादेश जाना पड़ा। बांग्लादेश में रोहिंग्या मुसलमान शरणार्थी शिविरों में बेहद ही दयनीय स्थिति में रह रहे हैं। हालांकि यह संकट रोहिंग्या मुसलमानों के एक उग्रवादी संगठन द्वारा म्यांमार के सुरक्षाकर्मयों पर किए गए घातक हमले के बाद ही शुरू हुआ था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऑक्सफोर्ड सिटी काउंसिल ने 72 वर्षीय सू की को 1997 में दिये गये सम्मान को स्थाई रूप से वापस लेने के पक्ष में सोमवार की रात वोटिंग की। कांउसिलर मैरी क्लार्कसन ने कहा, ‘आज हमने उनसे उनके शहर के सर्वोच्च सम्मान को वापस लेने का अभूतपूर्व कदम उठाया है क्योंकि अल्पसंख्यक रोहिंग्या आबादी पर हुए दमन के दौर में वह निष्क्रिय रहीं।’ उन्होंने एक बयान में कहा, ‘हमें उम्मीद है कि आज हमने उन लोगों के साथ अपनी थोड़ी-सी आवाज मिलाई है जो मानवाधिकारों के लिए और रोहिंग्या लोगों के लिहाज से न्याय के लिए बात कर रहे हैं।’

म्यांमार के रखाइन प्रांत में सैन्य कार्रवाई के बाद 6 लाख से अधिक रोहिंग्या लोग बांग्लादेश पलायन कर गए। पिछले सप्ताह म्यांमार ने शरणार्थियों की घर वापसी के लिए बांग्लादेश के साथ करार किया था। ऑक्सफोर्ड सिटी काउंसिल ने कहा कि सू की को फ्रीडम ऑफ सिटी का खिताब इसलिए दिया गया क्योंकि वह ‘असहिष्णुता और अंतरराष्ट्रीयता’ के शहर का प्रतिनिधित्व कर रही थीं। लेकिन अब उनकी निष्क्रियता नजर आई।

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