Saturday, April 20, 2024
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श्रीलंका में सियासी घटनाक्रम और अहम किरदारों की भूमिका पर एक नजर, अब तक क्या-क्या पता है?

श्रीलंका में शासन की अर्ध-राष्ट्रपति प्रणाली है जिसमें प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल के साथ एक राष्ट्रपति भी होता है। प्रधानमंत्री देश की विधायिका के प्रति जिम्मेदार होता है। वहां राष्ट्रपति भारत की तरह प्रतिकात्मक नहीं है लेकिन अमेरिका की तरह शक्तिशाली भी नहीं है।

India TV News Desk Edited by: India TV News Desk
Published on: October 29, 2018 22:32 IST
Sri Lanka's newly appointed prime minister Mahinda...- India TV Hindi
Sri Lanka's newly appointed prime minister Mahinda Rajapaksa, center, hands over inaugural documents to an official during his duties assuming ceremony in Colombo, Sri Lanka

कोलंबो: श्रीलंकाई राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को पद से हटाकर उनकी जगह पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को नया प्रधानमंत्री घोषित कर दिया। सिरिसेना के इस कदम से देश में एक संवैधानिक संकट खड़ा हो गया। यहां गहराते संकट और इसके अहम किरदारों के बारे में कुछ बिंदु हैं:

सरकार-

श्रीलंका में शासन की अर्ध-राष्ट्रपति प्रणाली है जिसमें प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल के साथ एक राष्ट्रपति भी होता है। प्रधानमंत्री देश की विधायिका के प्रति जिम्मेदार होता है। वहां राष्ट्रपति भारत की तरह प्रतिकात्मक नहीं है लेकिन अमेरिका की तरह शक्तिशाली भी नहीं है।

अहम किरदार-
मैत्रीपाला सिरिसेना, मौजूदा राष्ट्रपति, जिनके सियासी मोर्चे यूनाइटेड पीपल्स फ्रीडम अलायंस (यूपीएफए) ने एका सरकार से समर्थन वापस ले लिया था।
रानिल विक्रमसिंघे, यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के वरिष्ठ नेता, जिन्हें पिछले हफ्ते राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री के पद से हटाया।
महिंदा राजपक्षे, दो बार राष्ट्रपति रह चुके हैं जिन्हें सिरिसेना ने नाटकीय तरीके से नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया।

राजनीतिक पृष्ठभूमि-
सिरिसेना ने 2015 के राष्ट्रपति चुनावों में दो बार राष्ट्रपति रहे राजपक्षे पर चौंकाने वाली जीत हासिल की।
सिरिसेना और विक्रमसिंघे ने राष्ट्रीय एका सरकार बनाने के लिये 2015 में हाथ मिलाया जिससे तमिल अल्पसंख्यकों के काफी समय से लंबित मामले समेत संवैधानिक और शासकीय सुधार लाया जा सके।
सिरिसेना ने शुक्रवार को अपने सहयोगी विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर दिया और उनकी जगह पूर्व प्रतिद्वंद्वी राजपक्षे को नया प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया। बहुमत सिद्ध करने के लिए आपात सत्र बुलाए जाने की विक्रमसिंघे की मांग के बाद सिरिसेना ने संसद को 16 नवंबर तक निलंबित कर दिया।

श्रीलंका में सियासी संकट क्यों है?
श्रीलंका में 2015 में अपनाए गए 19वें संशोधन के तहत राष्ट्रपति के पास प्रधानमंत्री को अपने विवेक से हटाने का अब अधिकार नहीं है।
प्रधानमंत्री को तभी बर्खास्त किया जा सकता है जब या तो मंत्रिमंडल को बर्खास्त किया गया हो, प्रधानमंत्री ने इस्तीफा दे दिया हो या फिर प्रधानमंत्री संसद का सदस्य न रहे।
राष्ट्रपति केवल प्रधानमंत्री की सलाह पर किसी मंत्री को हटा सकता है।
संसद के स्पीकर कारू जयसूर्या प्रधानमंत्री पद से विक्रमसिंघे को हटाने के फैसले को स्वीकार करने से इनकार कर चुके हैं। जयसूर्या ने एक खत में राष्ट्रपति के 16 नवंबर तक संसद को निलंबित करने के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसके देश के लिये ‘‘गंभीर और अवांछित’’ परिणाम होंगे।

राजनीतिक दल क्या कहते हैं?
राष्ट्रपति सिरिसेना खेमे की दलील है कि कैबिनेट का अस्तित्व तभी खत्म हो गया जिस वक्त यूपीएफए ने राष्ट्रीय सरकार से समर्थन वापस लिया। जब कोई कैबिनेट नहीं हो, कोई प्रधानमंत्री नहीं हो तब राष्ट्रपति के पास उस शख्स को नियुक्त करने का अधिकार होता है जो उनके मुताबिक संसद में बहुमत रखता हो।
विक्रमसिंघे के मुताबिक, सिरिसेना ने जो किया वह असंवैधानिक है क्योंकि 2015 में पारित 19वें संशोधन के अनुच्छेद 46(2) के मुताबिक राष्ट्रपति संसद में बहुमत का समर्थन रखने वाले प्रधानमंत्री को बर्खास्त नहीं कर सकता। विक्रमसिंघे ने जोर देकर कहा कि उनके पास संसद में बहुमत है।

सदन में दलों की सीट संख्या-
विक्रमसिंघे के यूनाइटेड नेशनल फ्रंट के पास 106 सांसद हैं जबकि राजपक्षे के यूनाइटेड पीपल्स फ्रीडम अलायंस (यूपीएफए) के पास 95 सांसद हैं।
225 सदस्यों वाले सदन में साधारण बहुमत के 113 के आंकड़े को हासिल करने के लिये राजपक्षे को 18 और सांसदों का समर्थन चाहिए। राजपक्षे को यूएनपी के दो सांसदों का पहले ही समर्थन मिल चुका है।
मुख्य तमिल पार्टी तमिल नेशनल अलायंस के 16 सांसद हैं कुछ अन्य दलों के पास छह सांसद हैं।

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