Thursday, April 18, 2024
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पाकिस्तान की अदालत ने भारतीय नागरिक सरबजीत की हत्या के मामले में सभी गवाहों को तलब किया

पाकिस्तान की एक अदालत ने बुधवार को भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की हत्या के मामले में सभी गवाहों को अगले महीने तलब किया है।

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: September 26, 2018 21:20 IST
Pakistan court summons all witnesses in Sarabjit Singh murder case | PTI File- India TV Hindi
Pakistan court summons all witnesses in Sarabjit Singh murder case | PTI File

लाहौर: पाकिस्तान की एक अदालत ने बुधवार को भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की हत्या के मामले में सभी गवाहों को अगले महीने तलब किया है। पाकिस्तान की जेल में बंद सरबजीत सिंह की 2013 में दूसरे कैदियों ने हत्या कर दी थी। मौत की सजा पाए 2 कैदियों अमीर सरफराज उर्फ तम्बा और मुदस्सर ने लाहौर की कोट लखपत जेल में मई 2013 में सरबजीत (49) पर हमला कर उसकी जान ले ली थी। लाहौर के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश मुहम्मद मोइन खोखर ने अभियोजन पक्ष के किसी भी गवाह के अपना बयान दर्ज कराने के लिए अदालत में पेश ना होने पर मामले की सुनवाई के दौरान नाराजगी जताई।

सुनवाई के बाद अदालत के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘5 अक्टूबर को होने वाली अगली सुनवाई के लिए मामले में सभी गवाहों को नोटिस जारी करते हुए जज ने अभियोजन पक्ष के वकील को (कोर्ट में) उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।’ उन्होंने बताया कि अब तक कोट लखपत जेल के 2 गवाहों ने अपने बयान दर्ज कराए हैं। अधिकारी ने कहा, ‘पिछली सुनवाई के दौरान एक गवाह ने कोर्ट से कहा था कि सरबजीत को गंभीर हालत में सर्विसेज हॉस्पिटल लाया गया था। वह सिंह का बयान दर्ज करना चाहता था लेकिन डॉक्टरों ने उसकी बेहद गंभीर हालत का हवाला देते हुए उसे ऐसा करने से रोक दिया।’

पिछली सुनवाई के दौरान जज ने कोर्ट के साथ सहयोग ना करने के लिए जेल के अधिकारियों को फटकार भी लगाई थी। सत्र अदालत में सुनवाई शुरू होने से पहले लाहौर हाई कोर्ट के जस्टिस मजहर अली अकबर नकवी की एक सदस्यीय न्यायिक समिति ने शुरुआत में सरबजीत हत्या मामले की जांच की थी। नकवी ने मामले में करीब 40 गवाहों के बयान दर्ज किए और सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। रिपोर्ट के तथ्य अब तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। अधिकारियों ने बताया कि न्यायिक समिति ने बयान दर्ज कराने के लिए विदेश मंत्रालय के जरिए सरबजीत के परिजनों को भी नोटिस जारी किए थे। लेकिन परिजनों ने बयान दर्ज नहीं कराए।

तम्बा और मुदस्सर ने समिति को दिए बयानों में अपना गुनाह कबूल करते हुए कहा था कि उन्होंने सरबजीत की हत्या की क्योंकि वे उसके द्वारा अंजाम दिए गए बम विस्फोटों में लोगों के मारे जाने का बदला लेना चाहते थे। सरबजीत को 1990 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुए कई बम विस्फोटों में कथित रूप से संलिप्त होने के लिए मौत की सजा दी गई थी। हालांकि उसके परिवार का कहना है कि यह गलत पहचान का मामला था और सरबजीत बिना किसी गलत मंशा के सीमा पार कर पाकिस्तान चला गया था।

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