Wednesday, April 17, 2024
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पाकिस्तान: बुर्का अनिवार्य करने के फैसले पर लगी रोक तो भड़के मौलाना और राजनेता

सरकार की तरफ से कहा गया कि यह फैसला जरूरी नहीं था और इसे मुख्यमंत्री से पूछे बगैर लागू किया गया।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: September 19, 2019 18:23 IST
Mufti Taqi Usmani and others criticise KP govt for withdrawing notification on Abaya | Pixabay Repre- India TV Hindi
Pakistan: Mufti Taqi Usmani and others criticise KP govt for withdrawing notification on Abaya | Pixabay Representational

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में छात्राओं के लिए बुर्का या अबाया (लंबी चादर) को अनिवार्य करने के फैसले को रद्द किया जाना कई नेताओं और मौलानाओं को रास नहीं आया है। उनका कहना है कि इस फैसले को फिर से बहाल किया जाए। खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में छात्राओं के लिए बुर्का पहनना अनिवार्य कर दिया गया था। इस फैसले के समर्थन में आवाजें उठी थीं लेकिन विरोध में उठी आवाजें ज्यादा मुखर थीं। देश भर में इस फैसले की आलोचना के बाद प्रांत की सरकार ने इससे जुड़ी अधिसूचना वापस ले ली। 

मंत्री ने कहा, हिजाब अनिवार्य होना चाहिए

सरकार की तरफ से कहा गया कि यह फैसला जरूरी नहीं था और इसे मुख्यमंत्री से पूछे बगैर लागू किया गया। लेकिन, अधिसूचना को वापस लेना देश के संसदीय कार्य राज्य मंत्री अली मोहम्मद खान को पसंद नहीं आया। उन्होंने इसे बहाल करने की मांग की है और कहा है कि वह इस मामले में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मुख्यमंत्री से बात करेंगे। खान ने एक ट्वीट में कहा, "खैबर पख्तूनख्वा में स्कूल की बच्चियों के लिए हिजाब को अनिवार्य करना एक अच्छा कदम था।’

मुफ्ती तकी उस्मानी ने कहा, लागू हो फैसला
खान ने आगे कहा, ‘यह इस्लाम और मदीना की रियासत के उसूलों के हिसाब से था। इसको जल्दबाजी में वापस लिए जाने से मैं सहमत नहीं हूं। इस फैसले को बहाल किया जाना चाहिए और मैं इस पर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से बात करूंगा।’ पाकिस्तान के मशहूर मजहबी नेता मुफ्ती तकी उस्मानी ने भी बुर्के को अनिवार्य करने के फैसले को वापस लेने का विरोध किया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री इमरान खान खैबर पख्तूनख्वा सरकार के फैसले का संज्ञान लेंगे। उन्होंने भी ट्वीट में कहा कि 'इस्लामी ड्रेस कोड' को अनिवार्य किया जाना इस्लामी शिक्षा के अनुरूप था। 

भड़के उस्मानी ने इमरान से किया सवाल
उस्मानी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि खैबर पख्तूनख्वा सरकार ने इस अधिसूचना को बाद में वापस ले लिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह आदेश पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के इस वादे के बावजूद वापस लिया कि वह देश को रियासत-ए-मदीना (इस्लाम के शुरुआती दिनों में मदीना से संचालित शासन व्यवस्था) के उसूलों के हिसाब से चलाएंगे। उन्होंने पूछा कि क्या इमरान खान इस आदेश को वापस लिए जाने के फैसले का संज्ञान लेंगे?
 

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