Saturday, April 20, 2024
Advertisement

मालदीव ने राष्ट्रमंडल से किनारा किया, लगाया भेदभाव का आरोप

मालदीव ने भेदभाव का आरोप लगाते हुए गुरुवार को स्वयं को राष्ट्रमंडल से अलग कर लिया। राष्ट्रमंडल 53 देशों का समूह है, जिसके ज्यादातर सदस्य ब्रिटिश साम्राज्य के पूर्व उपनिवेश हैं।

Bhasha Bhasha
Published on: October 13, 2016 21:07 IST
Mohamed Nasheed | AP File Photo- India TV Hindi
Mohamed Nasheed | AP File Photo

माले: मालदीव ने भेदभाव का आरोप लगाते हुए गुरुवार को स्वयं को राष्ट्रमंडल से अलग कर लिया। इस द्वीप देश ने 2012 में राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद को सत्ता से हटाए जाने की परिस्थितियों पर और उसके बाद राजनीतिक संकट सुलझाने की दिशा में प्रगति नहीं होने पर सजा देने के ग्रुप के फैसले को अन्यायपूर्ण बताया। मालदीव के विदेश मंत्रालय ने राष्ट्रमंडल छोड़ने के इस फैसले को मुश्किल और अपरिहार्य बताया। राष्ट्रमंडल 53 देशों का समूह है, जिसके ज्यादातर सदस्य ब्रिटिश साम्राज्य के पूर्व उपनिवेश हैं।

देश-विदेश की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पिछले महीने राष्ट्रमंडल मंत्रिस्तरीय कार्रवाई समूह (सीएमएजी) ने राजनीतिक संकट सुलझाने की दिशा में प्रगति नहीं होने पर गहरी निराशा जताते हुए मालदीव को संगठन से निलंबित करने की चेतावनी दी थी। राष्ट्रमंडल के लिए बेहद महत्वपूर्ण मालदीव ने कहा कि लोकतंत्र को बढ़ावा देने के नाम पर समूह ने देश का उपयोग सिर्फ संगठन की प्रासंगिकता और अंतरराष्ट्रीय राजनीति में लाभ को बढ़ाने के लिए किया। मालदीव के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘2012 में मालदीव के तत्कालीन राष्ट्रपति (नशीद) के इस्तीफा देने और संविधान में तय प्रक्रिया के तहत सत्ता का हस्तांतरण होने के बाद से ही राष्ट्रमंडल मालदीव के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की मांग कर रहा है।’ बयान के मुताबिक, मालदीव को सजा देने का राष्ट्रमंडल का फैसला अन्यायपूर्ण है, विशेष रूप से तब जब राष्ट्रमंडल की मदद से गठित राष्ट्रीय जांच आयोग (सीओएनआई) ने पाया कि मालदीव में सत्ता का हस्तांतरण संविधान के प्रावधानों के अनुरूप हुआ है।

मालदीव ने कहा कि तभी से सीएमएजी और राष्ट्रमंडल सचिवालय ने मालदीव के साथ अन्यायपूर्ण और पक्षपातपूर्ण व्यवहार किया है। मालदीव के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘राष्ट्रमंडल ने मालदीव के घरेलू राजनीतिक मामलों में सक्रिय भागीदार बनने की बात कही, जो संयुक्त राष्ट्र और राष्ट्रमंडल के चार्टर के सिद्धांतों के खिलाफ है। उसमें कहा गया है, मालदीव आश्वासन देता है कि उसके अंतरराष्ट्रीय संबंध, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय, दोनों बने रहेंगे।’ मालदीव ने कहा कि वह बड़ी आशाओं और आकांक्षाओं के साथ 1982 में राष्ट्रमंडल में शामिल हुआ था और उसे लगा था कि यह मंच सदस्य देशों के बीच महत्वपूर्ण मुद्दों पर समन्वय करेगा, विशेष रूप से संगठन में शामिल छोटे राष्ट्रों के साथ।

सीएमएजी ने 2012 में राष्ट्रपति नशीद को सत्ता से हटाए जाने संबंधी जांच के लिए गठित आयोग की आलोचना की है। बयान में कहा गया है, 2012 से ही मालदीव की सरकार राष्ट्रमंडल के साथ सबसे ज्यादा सहयोग कर रही है, पारदर्शिता दिखायी और उच्चतम स्तर पर राष्ट्रमंडल के साथ जुड़ी रही है। उसमें कहा गया है, राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन अब्दुल गयूम की सरकार ने कुल 110 कानून लागू किए हैं। उनमें से 94 राष्ट्रमंडल के चार्टर के मूल सिद्धांतों से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं।

Latest World News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Asia News in Hindi के लिए क्लिक करें विदेश सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement