Friday, April 19, 2024
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शहरों और गांवों के बीच का फासला कम करेगा चीन

चीन के अधिकांश शहर तो आधुनिक हो चुके हैं, पर गांवों में विकास की बयार धीरे-धीरे पहुंच रही है। चीनी सांख्यिकी ब्यूरो के मुताबिक शहरों में एक भी गरीब व्यक्ति नहीं है, लेकिन गांवों में गरीबों की संख्या 1 करोड़ 66 लाख बतायी जाती है। वहींशहरीकरण के स्तर में सुधार करने के साथ-साथ पिछड़े और गरीब क्षेत्रों के विकास पर ध्यान देगी सरकार।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: March 15, 2019 23:18 IST
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Image Source : WWW.NEWS.CN China

आज के दौर में दुनिया के कई देश शहरीकरण की बढ़ती समस्या से जूझ रहे हैं। क्योंकि ग्रामीण इलाकों व छोटे कस्बों के लोगों की बड़ी आबादी बड़े महानगरों में आने को मजबूर होती है। नौकरी या बेहतर जीवन की तलाश उन्हें यहां खींच लाती है। ऐसे में शहरों पर बोझ बढ़ना लाजमी है, जिससे शहरीकरण की समस्या खड़ी हो जाती है। चीन भी एक बड़ा देश है, जहां बड़ी संख्या में लोग महानगरों का रुख करते हैं। हालांकि पिछले कुछ वर्षों से अपेक्षाकृत रूप से कम विकसित क्षेत्रों के विकास पर ध्यान दिया जा रहा है। बावजूद इसके शहरों व गांवों में संतुलन कायम करना एक चुनौती है। क्योंकि चीन के अधिकांश शहर तो आधुनिक हो चुके हैं, पर गांवों में विकास की बयार धीरे-धीरे पहुंच रही है। चीनी सांख्यिकी ब्यूरो के मुताबिक शहरों में एक भी गरीब व्यक्ति नहीं है, लेकिन गांवों में गरीबों की संख्या 1 करोड़ 66 लाख बतायी जाती है।  

इस चुनौती को चीन सरकार भी मानती है, इसके तहत शहरीकरण के स्तर में सुधार करने पर जोर दिया गया है। विशेषकर असंतुलित व अपर्याप्त विकास की समस्या से निपटने पर ध्यान दिया जाएगा। सरकार का दावा है कि इस दिशा में सुधार जारी रखने के लिए संबंधित मैकेनिज्म व नीतियों को बेहतर बनाया जाएगा। इसके साथ ही एकीकृत शहरी और ग्रामीण विकास को बढ़ावा दिए जाने पर भी सहमति बनी है।

जबकि सिटी क्लस्टर विकास के अंतर्गत प्रमुख शहरों को विकास के मॉडल के रूप में विकसित किया जा रहा है। वहीं ग्रामीण इलाकों से शहरों में आए लोगों को पहले की तुलना में अधिक आसानी से शहरी नागरिकता प्रदान की जाएगी। आवास की जरूरत को पूरा करने के लिए स्थानीय सरकारों के साथ मिलकर काम करने के लिए केंद्र सरकार प्रतिबद्ध लगती है। साथ ही हर शहर के पुराने एरिया की जीर्णोद्धार योजना चलायी जाएगी। जिसके तहत सड़क, पानी, बिजली व गैस आपूर्ति को नए ढंग से मुहैया कराए जाने पर भी काम हो रहा है। लोगों की सुविधा के लिए बाज़ारों, सुपर मार्केट, गलियों और पार्किंग लॉट आदि का पुनर्निर्माण किया जाएगा।

यहां बता दें कि आम तौर पर चीन के पूर्वी, दक्षिणी इलाके ज्यादा संपन्न और विकसित माने जाते हैं। जबकि पश्चिमी व उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों की स्थिति उतनी अच्छी नहीं है। सरकार की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के पिछड़े हुए पश्चिमी क्षेत्रों के विकास पर ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है। इसके लिए वहां खुलेपन का दायरा बढ़ाया जाएगा। इस बाबत नई नीतियों को लागू करते हुए इन इलाकों में कॉरपोरेट इनकम टैक्स में छूट जारी रहेगी। इसके अलावा उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों का पुनुरुद्धार करने के लिए सुधार और नवाचार संबंधी कदमों पर फोकस किया जाएगा।

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वहीं राजधानी बीजिंग और इससे सटे हुए थ्येनचिन व हबेई क्षेत्र का एक साथ विकास किया जा रहा है। इसका मकसद बीजिंग के केंद्र से बोझ कम करना है। इसके लिए श्योंगआन नए क्षेत्र का विकास व निर्माण जोरों पर है। साथ ही बीजिंग के पास थोंगचोउ इलाके को भी नए सेंटर के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस नए ज़िले में रहने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है, वहीं प्रशासनिक अमले को भी शिफ्ट किया जाना है। इस तरह अगले एक-दो साल में बीजिंग की तस्वीर बदल जाएगी। वर्तमान में बीजिंग की आबादी 2 करोड़ से अधिक है, इस तरह नए क्षेत्रों का विकास होने से बीजिंग बेहतर ढंग से अपनी व्यवस्था चला पाएगा। इसकी उम्मीद की जा रही है। 

बीजिंग उत्तरी क्षेत्र में पड़ता है, जबकि दूर दक्षिण के क्वांगतोंग-हांगकांग-मकाओ ग्रेटर खाड़ी क्षेत्र के विकास पर भी नजर है। हाल में चीन ने चूहाई-हांगकांग व मकाओ को जोड़ने के लिए समुद्र के ऊपर पुल का निर्माण भी किया है। इसके अलावा चीन के नीति-निर्धारक यांग्त्जी नदी डेल्टा क्षेत्र को नेशनल स्ट्रेटिजी व डिजाइन के तहत आगे बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। इसी क्रम में यांग्त्जी आर्थिक बेल्ट का निर्माण भी चल रहा है। जिसका लाभ नदी के आसपास रहने वाली बड़ी आबादी को मिलेगा। 

यह कहने में कोई दोराय नहीं है कि अगर ये प्रयास व योजनाएं गंभीरता से चलायी गयी तो शहरों और गांवों के बीच की दूरी कम हो सकेगी। जिसका सीधा लाभ आम लोगों को मिलेगा। 

Anil Azad Pandey

Anil Azad Pandey

लेखक अनिल आज़ाद पांडेय चाइना मीडिया ग्रुप में वरिष्ठ पत्रकार हैं। चीन-भारत मुद्दों पर अकसर भारतीय व अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में लिखते रहते हैं। इसके साथ ही हैलो चीन पुस्तक के लेखक भी हैं। 

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