Tuesday, April 16, 2024
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परमाणु हथियारों को गैरकानूनी घोषित करने से संबद्ध संधि को अंगीकृत करेगा संयुक्त राष्ट्र

यह संधि परमाणु हथियारों के विकास, उनके भंडारण या इनके इस्तेमाल की धमकी पर सम्पूर्ण प्रतिबंध लगाता है। बहरहाल, इसके पैरोकारों को उम्मीद है कि यह परमाणु सम्पन्न देशों को निशस्त्रीकरण के लिये और अधिक गंभीरता से दबाव डालने में इजाफा करेगा।

Bhasha Bhasha
Published on: July 07, 2017 11:49 IST
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संयुक्त राष्ट्र: परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध से संबद्ध वार्ताओं का बहिष्कार करने वाले अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस एवं अन्य परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों के विरोध के बावजूद संयुक्त राष्ट्र आज परमाणु हथियारों को प्रतिबंधित करने से संबद्ध एक वैश्विक संधि को स्वीकार करने वाला है। समर्थक इस संधि को ऐतिहासिक उपलब्धि बता रहे हैं लेकिन परमाणु हथियारों से लैस देशों ने इस प्रतिबंध को यथार्थ से परे बताते हुए इसे खारिज कर दिया है। उनकी दलील है कि 15,000 परमाणु हथियारों के वैश्विक जखीरे को कम करने पर इसका कोई प्रभाव नहीं होगा।

ऑस्टि्रया, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड के नेतृत्व में 141 देशों ने संधि को लेकर तीन सप्ताह चली वार्ताओं में हिस्सा लिया। यह संधि परमाणु हथियारों के विकास, उनके भंडारण या इनके इस्तेमाल की धमकी पर सम्पूर्ण प्रतिबंध लगाता है। बहरहाल, इसके पैरोकारों को उम्मीद है कि यह परमाणु सम्पन्न देशों को निशस्त्रीकरण के लिये और अधिक गंभीरता से दबाव डालने में इजाफा करेगा। इसे स्वीकार किए जाने की पूर्व संध्या पर कोस्टारिका की राजदूत एवं संधि को लेकर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की अध्यक्ष एलेन व्हाइट गोमेज ने कहा, यह ऐतिहासिक पल होगा। एलेन ने इसे मानवता के लिये जवाबदेही बताते हुए कहा, विश्व इस कानूनी मानदंड के लिये 70 वर्ष से इंतजार कर रहा है।

परमाणु हथियार सम्पन्न नौ राष्ट्रों -- अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इस्राइल में से किसी देश ने इन वार्ताओं में हिस्सा नहीं लिया। यहां तक कि वर्ष 1945 में परमाणु हमलों का दंश झेल चुके जापान ने भी इन वार्ताओं का बहिष्कार किया और अधिकतर नाटो देशों ने भी ऐसा ही किया। 27 मार्च को वार्ता शुरू होने पर अमेरिकी दूत निकी हेली इस प्रतिबंध के विरोध में यह कहकर सामने आयी थीं कि परमाणु हथियार विहीन दुनिया की अपेक्षा मैं अपने परिवार के लिये और कुछ अधिक नहीं चाहती, लेकिन हमें यथार्थवादी होना पड़ेगा।

उन्होंने पूछा, क्या ऐसा कोई है जो यह मानता हो कि उत्तर कोरिया परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध के लिये सहमत होगा। परमाणु सम्पन्न देशों की दलील है कि उनके ये हथियार परमाणु हमले के खिलाफ बचाव के लिये हैं और उन्होंने कहा कि वे परमाणु अप्रसार संधि :एनपीटी: को बनाये रखने के लिये प्रतिबद्ध हैं। दशकों पुरानी एनपीटी में परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने पर जोर दिया गया है, साथ ही अपने परमाणु जखीरे में कमी लाने का दायित्व भी इन परमाणु सम्पन्न देशों पर है।

संधि को अंगीकृत किये जाने के बाद 20 सितंबर तक हस्ताक्षर प्रक्रिया होगी और 50 देशों की पुष्टि के बाद यह प्रभाव में आ जायेगा। संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिसंबर में हुए मतदान के दौरान 113 देशों ने इस नयी संधि पर वार्ता शुरू करने के पक्ष में मतदान किया था जबकि 35 देशों ने इसका विरोध किया था और 13 ने खुद को इससे अलग रखा था।

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