पाकिस्तान अपने आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में नाकाम साबित हो रहा है। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही है। विश्व बैंक ने भी आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान को चेताया है।
एक प्रमुख अमेरिकी थिंक टैंक 'द ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन' के अर्थशास्त्री सुरजीत भल्ला और करण भसीन ने हाल में जारी 2022-23 के उपभोग व्यय के आंकड़ों का हवाला दिया।
सुब्रमण्यम ने यह भी कहा कि खुदरा महंगाई में भोजन का योगदान कम होगा और शायद पहले के वर्षों में भी कम था। इसका मतलब है कि मुद्रास्फीति को बढ़ा-चढ़ाकर बताया जा रहा था और शायद कम है, क्योंकि मुद्रास्फीति में भोजन का प्रमुख योगदान रहा है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा का कहना है कि असम असम आधुनिक इतिहास के सबसे समृद्ध दौर से गुजर रहा है। गरीबी दर में 25 फीसदी की गिरावट आई।
राज्य स्तर पर, उत्तर प्रदेश में 5.94 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले और इस मामले में यह सूची में शीर्ष पर है। इसके बाद बिहार में 3.77 करोड़ और मध्य प्रदेश में 2.30 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले।
रिपोर्ट में कहा गया कि दुनिया के 10 सबसे बड़े निगमों में से सात में मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) या प्रमुख शेयरधारक एक अरबपति हैं।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पूर्व में मदद करने वाले देशों की तारीफ की है। ताकि बाढ़ से जूझ रहे पाकिस्तान को फिर से दया की भीख मिल सके। पाकिस्तान में हजारों लोग बाढ़ से बेघर हो चुके हैं। दो वक्त की रोटी के भी गरीबों को लाले पड़े हैं।
भारत में कुल 415 मिलियन लोग केवल 15 वर्षों (2005-06-2019-21) के भीतर गरीबी से बाहर आ गए, जो मानव विकास मापदंडों में उल्लेखनीय सुधार को दर्शाता है।
Mothers Selling Children: बल्ख प्रांत में रहने वाली इस महिला का कहना है कि उसे अत्यधिक गरीबी के कारण अपने बच्चे को मजबूरन बेचने का फैसला लेना पड़ा है। उसके पास खाने तक के लिए कुछ नहीं है।
संयुक्त राष्ट्र ने एक प्रेस रिलीज में इस रिपोर्ट का विवरण देते हुए कहा कि भारत में इन 15 वर्षों के दौरान करीब 41.5 करोड़ लोगों का बहुआयामी गरीबी के चंगुल से बाहर निकल पाना एक ऐतिहासिक परिवर्तन है।
Delhi News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने रविवार को देश में बेरोजगारी और आय में बढ़ती असमानता पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि गरीबी देश के सामने एक राक्षस जैसी चुनौती के रूप में सामने आ रही है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने रविवार को देश में बेरोजगारी और आय में बढ़ती असमानता पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि गरीबी देश के सामने एक राक्षस जैसी चुनौती के रूप में सामने आ रही है।
Nitin Gadkari: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर में एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए कहा कि देश के भीतर अमीर एवं गरीब के बीच की खाई गहरी हो रही है जिसे पाटने की जरूरत है।
Poverty in Bangladesh: गरीबी से जूझ रहे बांग्लादेश की सरकार ने लोगों को इससे बाहर निकालने का ऐसा नुख्सा तैयार किया है, जिसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। आप गहरी सोच में पड़ जाएंगे कि ऐसा भला कैसे हो सकता है। दरअसल बांग्लादेश की अधिकांश आबादी गरीबी की मार झेल रही है।
Russia-Ukraine War: संयुक्त राष्ट्र ने अपने एक रिपोर्ट में कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से वैश्विक स्तर पर गरीबी बहुत तेजी से बढ़ी है। युद्ध की वजह से करीब 7.1 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे आ गए है।
कुपोषण सबसे चिंताजनक है और सहायता संगठनों का कहना है कि आधी से अधिक आबादी खाद्यान्न संकट का सामना कर रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 20 करोड़ लोग या विकासशील एशिया की 5.2 प्रतिशत आबादी, 2017 तक अत्यधिक गरीबी में रहती थी। महामारी नहीं आती तो ये आंकड़ा 2020 तक 2.6 प्रतिशत संभव था
द/नज फाउंडेशन का मिशन गरीबी उन्मूलन है और ‘सेंटर फॉर रूरल डेवलपमेंट’ ग्रामीण भारत में आजीविका में सुधार पर केंद्रित है।
पिछले साल लॉकडाउन के दौरान देश भर में अप्रैल-मई 2020 के दौरान लगभग 10 करोड़ लोगों की नौकरियां चली गईं।
संपादक की पसंद