निजी अमेरिकन अंतरिक्ष यान का नाम ओडीसियस है। यह नाटकीय लैंडिंग के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरा। लेकिन चंद्रमा की सतह पर उतरने के दौरान यह यान पलट गया।
जापान भी अपने महत्वाकांक्षी मून मिशन के लिए लंबे समय से प्रयासरत था। अब चंद्रमा पर जापान का लैंडर उतर चुका है। लेकिन दिक्कत की बात यह है कि बैटरी चार्ज न हो पाने के कारण यह सो गया। इसका संपर्क भी धरती से टूट गया है।
जापान का अंतरिक्ष यान मून स्नाइपर चंद्रमा पर पहुंच गया है। हालांकि जापानी अंतरिक्ष एजेंसी ने अभी तक यह पुष्टि नहीं की है कि यह लैंडिंग सफल रही है या नहीं? 25 दिसंबर को जापानी अंतरिक्ष यान चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश हुआ था।
अगर सबकुछ ठीक रहा तो 50 से अधिक वर्ष बीत जाने के बाद फिर से चांद पर मानवों के कदम जल्द पड़ेंगे। हालांकि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का 2024 का यह मून मिशन तकनीकी वजहों से एक साल के लिए स्थगित हो गया है। अब यह 2025-26 में चांद के लिए रवाना होगा। चांद पर पहलीबार 20 जुलाई 1969 को मानव ने पहला कदम रखा था।
भारतीय एजेंसी इसरो ने एक और बड़ी उपलब्धि को अपने नाम किया है। दरअसल इसरो ने जानकारी देते हुए बताया है कि चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी की कक्षा में वापस सफलतापूर्वक लाया गया है।
वैज्ञानिकों का दावा है कि दम घुटने से पृथ्वी पर जीवन का अंत हो जाएगा। उनका कहना है कि पृथ्वी पर ऑक्सीजन की मात्रा धीरे-धीरे कम हो रही है और इससे जीवन खतरे में है। दूसरे ग्रहों पर ऑक्सीजन की तलाश की जा रही है। पढ़ें पूरी खबर-
चंद्रयान मिशन-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर सफल लैंडिंग कराकर इसरो ने इतिहास रच दिया था। अब इसके बाद दोनों चंद्रमा की सतह पर स्लीप मोड में मौजूद हैं। इसरो चीफ ने खुलासा किया है और बताया है कि दोनों वहां क्या कर रहे हैं और क्या वे धरती पर वापस भी लौटेंगे?
चांद पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद लैंडर विक्रम और प्रज्ञान रोवर ने चांद पर एक दिन पूरा कर लिया है। इसरो का कहना है कि चंद्रयान-3 मिशन का उद्देश्य पूरा हो चुका है। हालांकि, प्रयास ये है कि उन्हें जगाकर अतिरिक्त जानकारियां जुटाई जाएं।
चंद्रमा पर 14 दिनों तक धूप और 14 दिनों तक अंधेरा रहता है। चंद्रयान मिशन-3 का प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर अभी चांद के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद हैं और सूर्योदय होते ही इनके फिर से चार्ज होने की उम्मीद है।
पाकिस्तान के लोगों के बाद अब पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भी भारत के बुलंदियों पर पहुंचने की जमकर तारीफ की है। वहीं पाकिस्तान की बदहाली के लिए नवाज ने अपने ही देश के कुछ पूर्व सैन्य अधिकारियों और सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को कसूरवार ठहराया है।
चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कर कीर्तिमान रच दिया। चंद्रमा पर अभी रात का समय चल रहा है और 22 सितंबर को वहां सूरज की रौशनी होगी तो क्या फिर से रोवर एक्टिव हो जाएगा। कोरियाई मून मिशन ने तस्वीरें भेजी हैं।
Chandrayaan-3 का विक्रम लैंडर सोमवार को हा स्लीप मोड में चला गया था। अंधेरे में चांद पर अभी विक्रम लैंडर कैसा दिख रहा है। इसकी तस्वीर चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने ली। जिसे ISRO ने सोशल मीडिया साइट X पर शेयर किया है।
भारत के ISRO की राह पर अमेरिका का NASA भी चलेगा। नासा चांद के दक्षिणी ध्रुव पर रोवर यान उतारेगा। इसके लिए टेस्टिंग शुरू हो गई है। 'नासा' द्वारा चांद पर अंतरिक्ष यान भेजने के लिए एक चंद्रमा रोवर बनाया जा रहा है।
अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और क्रांति की उम्मीद बढ़ गई है। भारत के ताबड़तोड़ चांद और सूर्य मिशन के बाद अब जापान ने अपना ब्रह्मांड मिशन लांच किया है। जापान का एक्सरे रॉकेट दूरबीन के साथ ब्रह्मांड की उत्पत्ति का पता लगाने चांद पर रवाना हो चुका है। भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान संघठन ने जापान को इसके लिए बधाई दी है।
अब नासा ने उस जगह को खोज निकाला है, जहां संभवतः रूस का लूना 25 क्रैश हुआ। नासा के लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (LRO) स्पेसक्राफ्ट ने चांद पर एक नए क्रेटर को खोजा है।
भारत अब तक चांद पर तीन मिशन भेज चुका है। साल 2008 में चंद्रयान-1 को लॉन्च किया गया था। इसमें एक प्रोब की क्रैश लैंडिंग कराई गई थी जिससे चांद पर पानी के बारे में पता चला था। फिर 2019 में चंद्रयान-2 चांद के करीब पहुंचा, लेकिन लैंड नहीं कर पाया। 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 के चांद पर लैंड करते ही भारत ने रिकॉर्ड बना दिया।
चंद्रयान-3 मिशन के जरिए भारत ने एक और ऐतिहासिक कामयाबी हासिल की है। इसरो ने बताया कि चंद्रयान-3 के रोवर प्रज्ञान ने चांद पर ऑक्सीजन का पता लगाया है।
क्वाड में भारत साथी जापान के चंद्र मिशन को लगता है 'ग्रहण' लग गया है। जापान के चंद्र मिशन में लगातार रुकावटें आ रही हैं। इस कारण तीसरी बार लॉन्चिंग टल गई है।
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चांद की सतह का तापमान क्या है और ये किस प्रकार बदलता है। इस बारे में अब तक दुनिया को कोई जानकारी नहीं है। मगर भारत द्वारा भेजे गए चंद्रयान 3 के पेलोड विक्रम लैंडर ने चांद की सतह का भ्रमण करके दिन भर चांद की मिट्टी के ताप का आकलन किया। अब इसे इसरो ने ग्राफ के तौर पर प्रस्तुत किया है।
दुनिया के लगभग सभी देश चंद्रयान-3 मिशन की सफलता पर भारत को अपनी शुभकामनाएं भेज चुके हैं, लेकिन पड़ोसी पाकिस्तान अब तक अपनी क्षुद्र मानसिकता का प्रदर्शन करता रहा। अब शर्म का पर्दा हटा तो चंद्र मिशन के 3 दिन बाद भारतीय वैज्ञानिकों और इसरो की सराहना की है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इसरो के वैज्ञानिकों को महान बताया।
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