प्रॉपर्टी को शॉर्टलिस्ट करने के बाद, वेबसाइटों पर दिए गए विवरण को जांच करने के बाद उस प्रोजेक्ट और फ्लैट को खुद से जाकर देखें। आस-पास के इंफ्रास्ट्रक्चर और रेलवे या मेट्रो स्टेशन से कनेक्टिविटी को समझने के लिए, प्रोजेक्ट पर जाना बहुत जरूरी होता है।
नौ शहर मुंबई, नवी मुंबई, ठाणे, दिल्ली-एनसीआर (दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद), बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, चेन्नई और कोलकाता हैं।
शीर्ष सात शहरों में औसत आवासीय संपत्ति की कीमतों में 2024 की पहली तिमाही में सालाना आधार पर 10 से 32 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
उत्तर प्रदेश रेरा के अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी के मुताबिक नई पहल होम बायर्स के सशक्तीकरण और इस सेक्टर में पारदर्शिता लाने के लिए की गई है।
बिल्डर के साथ फ्लैट बॉयर्स को भी इसका लाभ मिले। यमुना प्राधिकरण ने इसका भी रास्ता निकाल लिया है। यीडा की जिन बिल्डर परियोजना को ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) और कम्प्लीशन सर्टिफिकेट (सीसी) जारी हो चुका है, उनके बॉयर्स 64.7 फीसदी अतिरिक्त मुआवजे की धनराशि प्राधिकरण में जमा कराकर रजिस्ट्री करा सकते हैं।
एनारॉक ने कहा कि घरों के निर्माण का यह आंकड़ा 2017 के बाद सबसे ऊंचा है। साल 2017 में 2,04,200 घरों, 2018 में 2,46,140 घरों, 2019 में 2,98,450 घरों, 2020 में 2,14,370 घरों, 2021 में 2,78,650 घरों का निर्माण पूरा हुआ था।
जोशी ने कहा कि हमारे पास अफोर्डेबल हाउसिंग (सस्ते घर) की कमी है। इसके लिए केंद्र सरकार की प्राथमिकता राज्यों और शहरी स्थानीय अधिकारियों के साथ काम करना है ताकि शहरी नियोजन प्रक्रिया के तहत बड़े संख्या में सस्ते घर बनाए जा सके। इसके लिए डेवलपर्स को अपने प्रोजेक्ट में कम से कम से कम 15% या अधिक सस्ते घर बनाने चाहिए।
क्रेडाई वेस्टर्न यूपी के सचिव दिनेश गुप्ता ने कहा कि क्रेडाई के सदस्यों, रेरा अधिकारियों के साथ-साथ घर खरीदारों के प्रतिनिधियों की मदद से हम यूपी रेरा कॉन्सिलिएशन फोरम में दायर किए गए लगभग 90% से 95% मामलों को हल करने में सफल रहे हैं।
अगर कोई आवंटी शिकायत दर्ज कराने के लिए किसी विशेषज्ञ की सहायता लेता है तो उसका मोबाइल एवं ईमेल भी देना होगा। शिकायतकर्ता के पास प्रीव्यू एवं एडिटिंग का विकल्प मिलेगा। इसका उपयोग फीस जमा करके शिकायत जमा करने से पूर्व ही कर सकेंगे।
नोएडा में बिना बिके मकानों की संख्या पिछले साल के अंत से 15 प्रतिशत घटकर 8,658 इकाई हो गई, जो 2022 के अंत में 10,171 इकाई थी। ग्रेटर नोएडा में बिना बिके मकानों की संख्या 2022 के अंत में 26,096 इकाइयों से 28 प्रतिशत गिरकर 2023 के अंत में 18,825 इकाइयों पर आ गई।
रियल एस्टेट में सुधार के लिए रेरा लगातार कदम उठा रहा है। अब यह फैसला मील का पत्थर साबित होगा। अभी तक कई बिल्डर भोले-भाले खरीदारों से ज्यादा पैसा ले लेते हैं।
आंकड़ों के अनुसार इस कैलेंडर वर्ष 2023 में आवासीय बिक्री 4,76,530 इकाई रही। यह किसी भी कैलेंडर वर्ष में दर्ज अभी तक की सबसे अधिक बिक्री है। 2022 में 3,64,870 इकाइयों की बिक्री की गई थी।
हालांकि, शर्तों का उल्लंघन करने पर बिल्डरों को लाभ नहीं मिल सकेगा। इस बोर्ड बैठक में नोएडा प्राधिकरण के सीईओ लोकेश एम ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण सीईओ एनजी रवि कुमार समेत तीनों प्राधिकरण और बोर्ड के अन्य सदस्यों की मौजूदगी में इस प्रस्ताव पर मुहर लग गई है।
नए साल में होम लोन सस्ता होने की पूरी उम्मीद है। आरबीआई ने 2023 में होम लाने पर बढ़ी ईएमआई में कमी नहीं की है। हालांकि, अब महंगाई कंट्रोल में है। ऐसे में बहुत उम्मीद है कि अगले साल यानी नए साल में आरबीआई कर्ज सस्ता करेगा।
करीब चार महीने पहले समिति बनी थी। समिति ने डेवलपर्स की खराब वित्तीय हालत को देखते हुए अपनी संस्तुतियां दी थी। समिति में उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा के टॉप ब्यूरोक्रेट्स शामिल थे। सिफारिशें उत्तर प्रदेश सरकार को भेजी गई थी। सरकार ने गौतमबुद्ध नगर के तीनों विकास प्राधिकरणों को सिफारिशें भेजी था।
अगर आप अपना घर बुक करने जा रहे हैं तो बुक करने से पहले डेवलपर्स से पांच सवाल जरूर पूछे। ऐसा कर आप बाद की परेशानियों से बच जाएंगे और टेंशन फ्री रहेंगे।
साल के अंत में प्रॉपर्टी ब्रोकर और डेवलपर्स के पास खरीदारों की भीड़ नहीं होती है। इसके चलते आप आसानी से सही प्रॉपर्टी का चयन कर सकते हैं।
देश में 2023 में अभी तक शीर्ष सात शहरों में बेची गई 58 अल्ट्रा-लक्जरी संपत्तियों में से अकेले मुंबई में 53 इकाइयां बेची गईं। गुरुग्राम में दो अपार्टमेंट और नई दिल्ली में दो बंगले बेचे गए। हैदराबाद के जुबली हिल्स में 40 करोड़ रुपये से अधिक का एक आवासीय सौदा हुआ।
अगर आप घर खरीदने के लिए आर्थिक और भावनात्मक रूप से तैयार नहीं हैं, तो बहुत सोचसमझकर फैसला लें। घर खरीदने के लिए डाउन पेमेंट से लेकर मासिक किस्तों (ईएमआई) और पंजीकरण की लगात का आकलन जरूर करें।
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर खतरे के निशान के पार पहुंचने के बाद जीआरएपी-3 लागू किया गया है। इसके तहत दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतम बौद्ध नगर सहित पूरे दिल्ली-एनसीआर में गैर-जरूरी निर्माण कार्य, पत्थर तोड़ने और खनन पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया है।
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