वर्ष 2016 में कंपनियों के बोर्डरूम में काफी हलचल का माहौल रहा क्योंकि इस अवधि में कंपनियों ने 52 अरब डॉलर से ज्यादा राशि के विलय-अधिग्रहण को अंजाम दिया।
भारत आक्रमक तरीके से 40,000 करोड़ के एनआईआईफ के लिए कोष आकर्षित करने में लगा है, लेकिन वैश्विक निवेशक इसमें निवेश को लेकर सतर्कता का रूख अपना सकते हैं।
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