Certified Financial Planner : ग्लोबल सर्टिफाइड फाइनेंशिल प्लानिंग प्रोफेशनल्स कम्युनिटी 5.1 फीसदी की दर से बढ़कर दिसंबर 2023 तक 2,23,770 तक पहुंच गई है।
नो-कॉस्ट ईएमआई उपभोक्ताओं के लिए एक लोकप्रिय और आकर्षक विकल्प बनकर उभरा है। जैसा कि नाम से पता चलता है, ये भुगतान योजनाएं बिना किसी एक्स्ट्रा चार्ज की मिलती है। हालांकि, हकीकत में ऐसा होता नहीं है। नो-कॉस्ट ईएमआई में कई कैच है, जिसे जानना जरूरी है।
Tips for Child Education: बच्चों की शिक्षा के लिए जितनी जल्दी प्लानिंग शुरू की जा सके। उतना ही अच्छा होता है। आज हम इस आर्टिकल में बच्चों की शिक्षा के प्लानिंग के लिए कुछ फाइनेंसियल टिप्स बताने जा रहे हैं।
पर्सनल लोन में आपको एकमुश्त राशि बैंक की ओर से दी जाती है। इसको चुकाने की एक तय सीमा होती है।वहीं, ओवरड्राफ्ट में, ब्याज राशि की गणना उपयोग की गई राशि और उपयोग किए गए दिनों की संख्या के आधार पर दैनिक आधार पर की जाती है।
डीबीएस बैंक इंडिया ने क्रिसिल के साथ साझेदारी में एक लेटेस्ट स्टडी में यह भी सामने आया कि रिटायरमेंट योजना को 35-45 साल की आयु वर्ग में पहली बार शामिल होते देखा जा रहा है।
फाइनेंशियल एक्सपर्ट का कहना है कि पीपीएफ पर ब्याज दर अप्रैल 2020 से संशोधित नहीं की गई है। ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी का इंतजार खत्म होगा।
मिडिल और लोअर मिडिल क्लास के लिए अपने बच्चों को हायर एजुकेशन दिला पाना काफी कठिन काम है। पैसा ना होने के चलते बहुतों के सपने मर जाते हैं। लेकिन छोटी-छोटी बचत करते अच्छा-खासा फंड तैयार किया जा सकता है।
हर कोई अमीर बनना चाहता है लेकिन कुछ ही लोग बन पाते हैं। हालांकि, अगर सही तरीके से प्लानिंग की जाए तो आसानी से अमीर बना जा सकता है।
Rule of 72 Explained: रूल 72 एक ऐसा नियम है जिसकी मदद से आप आसानी से पता लगा सकते हैं कि तय ब्याज दर पर आपकी रकम कितने समय में दोगुनी होगी।
पैसे से पैसा बनता है। इसलिए जितनी कम उम्र से बचत और निवेश शुरू कर सकें उतना अच्छा। दिखावे और लग्जरी लाइफ स्टाइल के चक्कर में अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा नहीं गंवाए। अगर आप वेल्थ क्रिएशन करना चाहते हैं, तो अपनी कमाई से कम खर्च करें और बचे हुए पैसे को निवेश करें।
सरकार के इस फैसले से अब तक 3.5 लाख पीड़ित लोगों को फायदा हुआ है। बैंकों को इस संबंध में सिस्टम और प्रोसेस को मजबूत करने के लिए कहा गया है।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट में ट्रांजैक्शन के लिए फीस (Transaction fees) बढ़ाएगा। 1 नवंबर से शेयर मार्केट में ट्रांजैक्शन पर कुछ एक्स्ट्रा फीस चुकानी पड़ सकती है।
जरूरतें, बचत और चाहत की कैटेगरी में मंथली खर्च को बांटकर आप शानदार फाइनेंशियल प्लानिंग कर सकते हैं। इससे आप आर्थिक तौर पर कभी दबाव महसूस नहीं करेंगे।
आपकी जितनी इनकम है, उस मुताबिक, बजट बनाएं, अपने खर्चों पर नज़र रखें और गैर-जरूरी खर्चों पर बचत और निवेश को प्राथमिकता दे। यह बेहद जरूरी है। आर्थिक तौर पर ये बातें आपके जीवन को आसान बना देंगे।
वर्ल्ड फाइनेंशियल प्लानिंग डे के अवसर पर हम आपको बता रहें कि फाइनेंशियल प्लानिंग में किन गलतियों से बचना चाहिए। अगर आप सही तरीके से अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग करेंगे तो आसानी से वित्तीय लक्ष्य को हासिल कर लेंगे।
फाइनेंशियल एक्सपर्ट का कहना है कि अगर कोई अनुशासित तरीके से निवेश करता है, तो लंबे समय में म्यूचुअल फंड लगभग 12-15% रिटर्न दे सकते हैं।
फाइनेंशियल एक्सपर्ट का कहना है कि निवेशकों को अलग-अलग टाइम फ्रेम के अनुसार निवेश करना चाहिए। इससे शानदार रिटर्न भी मिलता है और पैसे की किल्लत भी नहीं होती है।
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली या एनपीएस, शेयर बाजार से जुड़ा, निवेश उत्पाद है। 18 से 60 वर्ष की आयु के भारतीय नागरिक एनपीएस खाता खोलने के लिए पात्र हैं।
हाइब्रिड फंड इक्विटी और डेट दोनों को बेहद आकर्षक बनाता है। इसलिए, इक्विटी और डेट का संयोजन निवेशकों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है।
अधिकांश लोग कमाई के बाद खर्च का सही तरीके से प्रबंधन नहीं करने के कारण मनी डिसॉर्डर के शिकार हो जाते हैं।
संपादक की पसंद
लेटेस्ट न्यूज़