इसरो चीफ एस सोमनाथ ने बताया कि फ़िलहाल दवाएं चल रही हैं। सर्जरी के कुछ दिनों बाद सब ठीक हो गया। उन्होंने कहा हालांकि इस जंग को अभी और लड़ना है लेकिन मुझे भरोसा है कि मैं यह जंग जीत लूंगा।
उतरते समय मून लैंडर ओडीसियस का एक पैर चंद्रमा पर फंस गया था। इससे यह एक ओर झुक गया है। स्टैंडबाय मोड का उद्देश्य लैंडर की क्षमता को दो से तीन हफ्ते तक और काम करने के लिए बनाया गया था।
चांद से एक बार फिर खुशखबरी आई है। खुशखबरी यह है कि चंद्रमा पर गए एक चंद्रयान ने 9 दिन तक 'शांत' रहने के बाद फिर से काम करना शुरू कर दिया है। इस देश ने भारत के बाद अपना चंद्रयान चंद्रमा के लिए छोड़ा था। इससे पहले इस देश ने तीन बार यह चंद्र मिशन टाल दिया था।
अगर सबकुछ ठीक रहा तो 50 से अधिक वर्ष बीत जाने के बाद फिर से चांद पर मानवों के कदम जल्द पड़ेंगे। हालांकि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का 2024 का यह मून मिशन तकनीकी वजहों से एक साल के लिए स्थगित हो गया है। अब यह 2025-26 में चांद के लिए रवाना होगा। चांद पर पहलीबार 20 जुलाई 1969 को मानव ने पहला कदम रखा था।
इस साल ISRO ने भारतीय स्पेस के इतिहास में कई स्वर्णिम कारनामे दर्ज किए हैं। कई महत्वपूर्ण अभियान के साथ-साथ भारतीय स्पेस एजेंसी ने अन्य देशों की सैटेलाइट्स को स्पेस में पहुंचाया। यह साल इसरो के लिए बेहद ही यादगार रहा।
साल 2023 देश और दुनिया के लिए तमाम तरह की घटनाओं से भरा रहा और इंडिया टीवी आपको इन घटनाओं के बारे में लगातार जानकारियां मुहैया कराता रहा। यहां हम आपको इंडिया टीवी पर 10 सबसे ज्यादा पढ़ी गई खबरों के बारे में बता रहे हैं।
इसरो के मून मिशन चंद्रयान-3 की सफलता से पूरी दुनिया में भारत की वाहवाही हो रही है। इस बीच स्वीडिश अंतरिक्ष यात्री क्रिस्टर फुगलेसांग ने भी इस मिशन की तारीफ की और कहा कि उन्हें अगले मिशन का इंतजार है।
भारतीय एजेंसी इसरो ने एक और बड़ी उपलब्धि को अपने नाम किया है। दरअसल इसरो ने जानकारी देते हुए बताया है कि चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी की कक्षा में वापस सफलतापूर्वक लाया गया है।
भारत के चंद्रयान-3 ने अगस्त महीने में चंद्रमा के दक्षिणी भाग पर सफल लैंडिंग कर के इतिहास रच दिया था। इसने अपने सभी कार्यों को पूरा भी किया। अब ISRO ने बताया है कि यान का एक खास हिस्सा पृथ्वी के वायुमंडल में वापस आ गया है।
चंद्रयान मिशन-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर सफल लैंडिंग कराकर इसरो ने इतिहास रच दिया था। अब इसके बाद दोनों चंद्रमा की सतह पर स्लीप मोड में मौजूद हैं। इसरो चीफ ने खुलासा किया है और बताया है कि दोनों वहां क्या कर रहे हैं और क्या वे धरती पर वापस भी लौटेंगे?
इसरो प्रमुख ने भारत के स्पेस मिशन को लेकर कई जानकारियां दीं। उन्होंने बताया कि चंद्रयान मिशन की सफलता के बाद आदित्य एल वन और अब शुक्र के साथ ही मंगल ग्रह से जानकारिया प्राप्त करने की है। जानिए क्या बताया एस सोमनाथ ने-
भारत सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करते हुए कहा है कि हर साल 23 अगस्त को नेशनल स्पेस डे मनाया जाएगा। दरअसल इसी दिन चंद्रयान 3 के लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर लैंड किया था। इसी दिन की याद में हर साल नेशनल स्पेस डे मनाया जाएगा।
विदेशमंत्री जयशंकर ने कहा कि आज का भारत पहले के भारत से अलग है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपसे कहना चाहता हूं कि मैं जिसकी बात कर रहा हूं, वह वास्तव में एक अलग भारत है। जैसा कि आपने दूसरों से सुना है, यह वह भारत है, जो चंद्रयान-3 मिशन को पूरा करने में सक्षम है।’ भारत-अमेरिका के संबंध काफी गहरे हुए हैं।
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने मंगलवार को दिल्ली में इसरो को प्लानिंग को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि चंद्र मिशन की सफलता के बाद अब शुक्र ग्रह और सौरमंडल के बाहर के ग्रहों पर इसरो की नजर है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) इस महीने की शुरुआत में चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को स्लीप मोड में भेजने के बाद से उन्हें दोबारा से जगाने की कोशिश कर रहा है। हम आपको बताएंगे कि अगर चंद्रयान-3 का रोवर और लैंडर दोबारा नहीं जागे तो क्या होगा?
चांद पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद लैंडर विक्रम और प्रज्ञान रोवर ने चांद पर एक दिन पूरा कर लिया है। इसरो का कहना है कि चंद्रयान-3 मिशन का उद्देश्य पूरा हो चुका है। हालांकि, प्रयास ये है कि उन्हें जगाकर अतिरिक्त जानकारियां जुटाई जाएं।
चंद्रमा की सतह पर पिछले दो हफ्ते से निष्क्रिय पड़े लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को एक्टिव करने की कोशिश इसरो के वैज्ञानिकों ने शुरू कर दी है। फिलहाल लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान की तरफ से कोई सिग्नल नहीं मिला है।
चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से में अब सूर्योदय हो गया है। ऐसे में इसरो की ओर से 22 सितंबर को चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर से संपर्क करने की कोशिश की जाएगी। अगर ऐसा हो जाता है तो चांद से इसरो को और अधिक डेटा मिल सकता है।
चंद्रमा पर 14 दिनों तक धूप और 14 दिनों तक अंधेरा रहता है। चंद्रयान मिशन-3 का प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर अभी चांद के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद हैं और सूर्योदय होते ही इनके फिर से चार्ज होने की उम्मीद है।
राज्यसभा में आज चंद्रयान-3 की सफलता पर चर्चा हुई। इस दौरान विपक्षी पार्टियों ने इस सफलता का श्रेय वैज्ञानिकों को दिया। साथ ही विपक्षी दलों के सांसदों ने सरकार से रिसर्च पर खर्च बढ़ाने को भी कहा।
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