अगर पाकिस्तान के नजरिए से देखें, तो पाकिस्तान को भारत में एक कमज़ोर सरकार चाहिए, एक कमजोर प्रधानमंत्री चाहिए। पाकिस्तान की मोदी से यही प्रॉब्लम है। मोदी एक मजबूत प्रधानमंत्री हैं।
Rajat Sharma Blog | राहुल आजकल अपनी हर चुनावी सभा में जब दलितों की बात करते हैं, जब मोदी को आदिवासियों का दुश्मन बताते हैं तो इसी क्रम में वो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी ले आते हैं। राहुल कहते हैं कि मुर्मू को मंदिर में इसीलिए नहीं बुलाया गया कि वो आदिवासी हैं।
असल में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन मुस्लिम और यादव वोट बैंक के भरोसे हैं। अखिलेश यादव और राहुल गांधी की जोड़ी को लगता है कि अगर यूपी में उनके उम्मीदवारों को एकमुश्त मुस्लिम वोट मिलता है तो कई सीटों पर बीजेपी को फाइट दी जा सकती है।
वो जानते हैं कि EVM ने हमारी चुनावी प्रक्रिया को कितना सुरक्षित बनाया है। मुझे लगता है जिन लोगों ने EVM पर सवाल उठाए, अब उन्हें अक्ल आ गई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने हर पहलू पर विचार करने के बाद फैसला किया है।
मोदी सरकार पाकिस्तान में बैठे आतंकवादियों का खात्मा कर रही है। इसकी हकीकत तो किसी को पता नहीं लगेगी लेकिन अगर सरकार ने एजेंसियों को छूट दी है, तो ये कोई गलत बात नहीं है क्योंकि मुंबई में हमला करने वाले हैंडलर्स पाकिस्तान में बैठे हैं । सरकार ने बीसियों बार सबूत दिए। पाकिस्तान ने क्या किया?
मुझे नहीं लगता कि इस तरह के हार्डकोर क्रिमिनल की मौत पर ज्यादा आंसू बहाने की जरूरत है। लेकिन फिर भी जो लोग उसकी मौत की असली वजह जानना चाहते हैं उन्हें ज्यूडिशियल मजिस्ट्रैट की जांच रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए।
सत्तर और अस्सी के दशक में उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा और एक गिरोह में शामिल हो गया, जो कोयला, रेलवे निर्माण, कबाड़ की बिक्री, लोक निर्माण और शराब के ठेकों को हथियाने के लिए बाहुबल का इस्तेमाल किया करता था।
अखिलेश के लिए ये चुनाव अस्तित्व का सवाल है। हालांकि वो आज़म खान की बात सुनते हैं लेकिन रामपुर से चुनाव लड़ने की बात नहीं मानी, इसीलिए इतना कन्फ्यूजन पैदा हुआ।
किसी भी महिला या किसी भी व्यक्ति के बारे में इस तरह के कमेंट नहीं होने चाहिए। राजनीति में चुनाव के दौरान एक दूसरे पर हमले होते हैं लेकिन ये व्यक्तिगत हों, किसी के परिवार पर सवाल उठाए जाएं, ये ठीक नहीं हैं।
सुप्रिया श्रीनेत अब सफाई दे रही हैं लेकिन इससे बात नहीं बनेगी क्योंकि उनके सोशल मीडिया अकाउंट से कंगना रनौत के बारे में जिस तरह का कमेंट किया गया उसे किसी भी तरह से जस्टिफाई नहीं किया जा सकता। ये गलत था और सुप्रिया श्रीनेत की ये गलती कांग्रेस को भारी पड़ सकती है।
सार्वजनिक तौर पर अब तक आम आदमी पार्टी का स्टैंड यही रहा है कि केजरीवाल को अगर जेल जाना पड़ा तो भी वो मुख्यमंत्री पद नहीं छोड़ेंगे, ना ही पार्टी के संयोजक पद से इस्तीफा देंगे। वो जेल से ही पार्टी और सरकार दोनों चलाएंगे लेकिन ये व्यावहारिक रूप से सम्भव नहीं है।
कांग्रेस का एक भी बैंक अकाउंट फ्रीज नहीं हुआ। देश भर में कांग्रेस पार्टी के 100 से ज्यादा अकाउंट हैं जिनमें अलग अलग जगह करोड़ों रुपये जमा हैं। इनमें से दिल्ली के पांच बैंकों के 11 अकाउंट्स से इनकम टैक्स ने अपने बकाया पैसे की रिकवरी की है। इन 11 अकाउंट्स को भी फ्रीज नहीं किया गया।
केजरीवाल ने ED के 9 समन को ठुकरा दिया, हाईकोर्ट में ED के नोटिस को चुनौती दी, कोर्ट में भी केजरीवाल की तरफ से यही कहा गया कि ये एक राजनीतिक बदले की कार्रवाई है और उन्हें चुनाव में कैंपेन करने से रोकने के लिए, गिरफ्तार किया जा रहा है।
ये बात अचरज में डालने वाली है कि साजिद और जावेद इन मासूम बच्चों के परिवार को जानते थे, इन बच्चों के मां-बाप ने साजिद और जावेद की मदद की थी, फिर भी उन्होंने ऐसी बर्बरता की।
मोदी की राजनीति बिल्कुल अलग तरह की है। वह दूर की सोचते हैं। पिछले 10 साल में उन्होंने तमिलनाडु के लोगों के दिलों को छूने की कोशिश की है। इसके बहुत सारे उदाहरण हैं।
राहुल गांधी हर थोड़े दिन में कुछ ऐसा कह देते हैं कि उनकी पार्टी के लोग भी परेशान हो जाते हैं। सारी ताकत सफाई देने और लीपापोती करने में लग जाती है। कांग्रेस के एक नेता कह रहे थे कि, क्या करें? राहुल जी full toss फेकेंगे, तो मोदी जी sixer तो लगाएंगे ही।
अगर सारे चुनाव एक साथ हों तो लाखों करोड़ रूपए बचेंगे, वक्त बचेगा और ये संसाधन दूसरे कामों में लगाए जा सकते हैं। लेकिन एक देश, एक चुनाव का लक्ष्य फिलहाल आसान नहीं लगता क्योंकि संविधान में तमाम संसोधन करने होंगे।
पार्टी के सभी सीनियर नेताओं को मान दिया गया, चाहे नितिन गडकरी हों या पीयूष गोयल। उन्हें सम्मानजनक तरीके से अपनी पसंद की सीटें दी गईं, किसी भी ऐसे नेता का टिकट नहीं काटा गया।
बीजेपी ने हरियाणा में चुनाव से पहले जिस तरह नेतृत्व परिवर्तन का फैसला किया, उस तरह के प्रयोग बीजेपी ने पहले भी किए हैं। कर्नाटक को छोड़कर बाकी जगह बीजेपी की रणनीति सफल रही। इसलिए हो सकता है खट्टर को बदलने के पीछे दस साल की एंटी इनकंबैसी से बचने की रणीनीति हो।
CAA का भारतीय नागरिकों से सरोकार नहीं हैं। इसमें किसी भी भारतीय की नागरिकता नहीं जाएगी। ये कानून सिर्फ पड़ोसी देशों में जुल्मों की शिकार अल्पसंख्यकों की मदद के लिए हैं। पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भागकर भारत आने वाले हिन्दू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसियों के लिए हैं।
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