Thursday, April 25, 2024
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अपनी बेटी का 'दंगल' देखने से फिर चूके महावीर फोगाट, सबको याद आ गई आमिर खान की फिल्म

आमिर खान की फिल्म दंगल का सीन फिर आया याद, महावीर फोगाट फिर नहीं देख सके बबिता का मैच।

India TV Sports Desk Written by: India TV Sports Desk
Published on: April 12, 2018 19:51 IST
महावीर और बबिता फोगट- India TV Hindi
महावीर और बबिता फोगट

आपको आमिर खान की फिल्म दंगल का वो सीन तो याद ही होगा जिसमें बबिता का मैच हो रहा होता है और उनके पिता को एक कमरे में बंद कर दिया जाता है और इस कारण वो अपनी बेटी का मैच नहीं देख पाते। बिल्किल वैसा ही एक बार फिर से उनके साथ हुआ है। महावीर फोगाट फिर से अपनी बेटी का मैच नहीं देख पाए और इस बार कारण ये था कि उन्हें मैच देखने के लिए टिकट नहीं मिल सकी। 

फोगाट को जिनकी जीवनी पर फिल्म ‘दंगल’ बनी है, यहां मौजूदा चैंपियन बबिता (53 किग्रा) का मुकाबला देखने के लिए आए थे। लेकिन जब उनकी बिटिया करारा स्पोर्ट्स एंड लीजर सेंटर में अपना मुकाबला लड़ रही थी तब उन्हें बाहर इंतजार करना पड़ा। इस पूरे घटनाक्रम से दुखी बबिता ने कहा, ‘मेरे पिताजी पहली बार मेरा मुकाबला देखने के लिए आए थे लेकिन मुझे दुख है कि सुबह से यहां होने के बावजूद वो टिकट हासिल नहीं कर पाए। एक खिलाड़ी दो टिकट का हकदार होता है लेकिन हमें वो भी नहीं दिए गए। मैंने अपनी तरफ से बहुत कोशिश की लेकिन उन्हें बाहर बैठना पड़ा। वो यहां तक कि टीवी पर भी मुकाबला नहीं देख पाए।’ 

महावीर फोगाट आखिर में तब अंदर पहुंच पाए जब ऑस्ट्रेलियाई कुश्ती टीम बबिता की मदद के लिए आगे आई और उन्होंने उन्हें दो टिकट दिए। बबिता ने कहा, ‘जब मैंने ऑस्ट्रेलियाई टीम से दो पास देने के लिए कहा तब वह अंदर आ पाए। ऑस्ट्रेलियाई टीम ने मेरी उन्हें एरेना तक लाने में मदद की। मैंने आईओए से लेकर दल प्रमुख तक हर किसी से मदद के लिए गुहार लगाई। मैं कल रात दस बजे तक गुहार लगाती रही हालांकि आज मेरा मुकाबला था और मुझे विश्राम करने की जरूरत थी।’ 

उन्होंने कहा, ‘इससे बहुत बुरा लगता है। मैंने दल प्रमुख सहित हर किसी से बात की थी।’ दल प्रमुख विक्रम सिसौदिया ने कहा कि पहलवानों के लिए जो टिकट थे उन्हें उनके कोच राजीव तोमर को दिया गया था और इन्हें बांटना उनकी जिम्मेदारी थी। उन्होंने कहा, ‘हमें राष्ट्रमंडल खेल महासंघ से जो टिकट मिले थे हमने उन्हें संबंधित कोच को दे दिया था। हमें कुश्ती के पांच टिकट मिले थे जो हमने तोमर को दे दिए थे। मुझे नहीं पता कि उसे टिकट क्यों नहीं मिल पाया। लगता है कि मांग काफी अधिक थी।’ बबिता से जब पूछा गया कि जब माता पिता को एक्रीडिएशन दिलाने की बात आती है तो क्या सभी खिलाड़ियों के साथ समान रवैया अपनाया जाना चाहिए, उन्होंने कहा, ‘पहली बार मेरे पिताजी इतनी दूर मेरा मुकाबला देखने के लिए आए थे। मुझे दुख है कि उन्हें इंतजार करना पड़ा।’ 

बबिता ने कहा, ‘मुझे इसकी परवाह नहीं कि उन्हें एक्रीडिएशन मिलता है या नहीं। मेरे लिए तो यह केवल एक टिकट का सवाल था। वो कम से कम मुकाबला तो देख सकते थे।’ उन्होंने शटलर साइना नेहवाल की अपने पिता को सभी क्षेत्रों में पहुंच रखने वाला एक्रीडिएशन नहीं देने पर खेलों से हटने की धमकी के संदर्भ में कहा, ‘लेकिन एक खिलाड़ी के माता पिता को एक्रीडिएशन मिलता है तो दूसरों को भी मिलना चाहिए। केवल एक खिलाड़ी को ही ये सुविधा क्यों दी गई।’

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