Thursday, April 25, 2024
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कोच ने जीत के लिए प्रेरित किया: मधुरिका

आस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में अप्रत्याशित जीत हासिल करने वाली महिला टेबल टेनिस टीम का हिस्सा रहीं महाराष्ट्र की मधुरिका का कहना है कि कोच मासिमो कांस्टेनटीन ने टीम को विश्वास दिलाया था कि वह फाइनल में सिंगापुर जैसी टीम को मात दे सकती है। 

IANS Reported by: IANS
Published on: April 24, 2018 19:46 IST
MADHURIKA- India TV Hindi
MADHURIKA

नई दिल्ली: आस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में अप्रत्याशित जीत हासिल करने वाली महिला टेबल टेनिस टीम का हिस्सा रहीं महाराष्ट्र की मधुरिका का कहना है कि कोच मासिमो कांस्टेनटीन ने टीम को विश्वास दिलाया था कि वह फाइनल में सिंगापुर जैसी टीम को मात दे सकती है। भारतीय महिला टीम ने राष्ट्रमंडल खेलों के फाइनल में सिंगापुर को 3-1 से मात देकर पहली बार टीम स्पर्धा का स्वर्ण पदक हासिल किया था।

भारतीय टीम के लिए यह एक अप्रत्याशित सफलता थी। मधुरिका ने आईएएनएस से विशेष बातचीत में इस ऐतिहासिक जीत पर बात की। अहम मैच से पहले टीम ने क्या चर्चा की, इस सवाल के जवाब में मधुरिका ने कहा, "हर मैच से पहले टीम मीटिंग होती है। इंग्लैंड के खिलाफ जब हम सेमीफाइनल जीते तो कोच ने हमसे कहा कि हमारी टीम फाइनल के लिए पूरी तरह से तैयार है और हम सिंगापुर को हरा सकते हैं। अतीत में ऐसा नहीं हो सका, लेकिन इस बार आप लोग उन्हें हराने में सक्षम हैं। कोच की बातों ने हमें प्रेरित किया जिससे हमें आत्मविश्वास मिला।"

भारतीय टीम 2010 और 2014 के राष्ट्रमंडल खेलों के फाइनल में सिंगापुर से ही हार गई थी, लेकिन इस बार उन्होंने सिंगापुर को ही मात देते हुए ऐतिहासिक जीत हासिल की।

पहले मैच में मनिका बत्रा ने जीत हासिल करते हुए भारत को बढ़त दिला दी थी। दूसरा भी एकल मैच था जिसमें मधुरिका को हार का सामना करना पड़ा था। तीसरा मैच युगल मैच था जहां मधुरिका को मौमा दास के साथ जोड़ी बनाकर मैच खेलना था। हार के बाद अगला मैच खेलना कितना मुश्किल था इसका जबाव देते हुए मधुरिका ने कहा उनके लिए यह काफी मुश्किल था लेकिन मौमा के रहते हुए वो थोड़ी बेफिक्र थीं।

उन्होंने कहा, "दूसरा मैच हारने के तुरंत बाद मुझे युगल मुकाबला खेलना था। वो मैच हारने के बाद मुझ पर दबाव था। उस मैच में मेरी विपक्षी ने मेरी गलतियों को भांपा और मुझे मात दी। उस हार के बाद मुझ पर दबाव बढ़ गया था क्योंकि बढ़त लेने के लिए मुझे अगले मैच में जीतना जरूरी था। अगले मैच में मौमा जैसी अनुभवी खिलाड़ी मेरे साथ थीं, मैं अकेली नहीं थी। मुझे पता था कि मैं कोई गलती करूंगी तो मौमा है संभालने के लिए। मौमा के रहने से राह आसान हो गई थी।"

मधुरिका मानती हैं कि आज के दौर में सिर्फ अच्छा खेलना मायने नहीं रखता। साथ में मानसिक और शारीरिक तैयारी भी बेहद जरूरी होती है। उन्होंने कहा, "आज के दौर में सिर्फ अच्छा खेलना मायने नहीं रखता। एक खिलाड़ी को शारीरिक और मानसिक रूप से भी मजबूत रहना जरूरी होता है। चाहे आप विश्व की नंबर-1 खिलाड़ी हो या नहीं हों, लेकिन आप अगर शारीरिक और मानसिक रूप से फिट नहीं हो तो कुछ नहीं हो।"

मधुरिका, डॉक्टर नितिन पटनाकर के साथ अपने आप को मानसिक तौर पर मजबूत करने को लेकर काम करती हैं।

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