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World Cup 2019, दक्षिण अफ्रीका टीम प्रोफाइल: 'चोकर्स' के तमगे को हटाने उतरेगी दक्षिण अफ्रीका, ये है टीम की ताकत और कमजोरी

 1992 से लेकर 2015 तक विश्व कप के अहम मौकों पर इस टीम से ऐसी गलतियां हुई हैं, जिसने यह चोकर्स शब्द इसके साथ जोड़ दिया है। यहां दक्षिण अफ्रीकी टीम का पूरा प्रीव्यू।

IANS Reported by: IANS
Published on: May 27, 2019 17:15 IST
World Cup 2019, दक्षिण अफ्रीका टीम प्रोफाइल: 'चोकर्स' के तमगे को हटाने उतरेगी दक्षिण अफ्रीका, ये है - India TV Hindi
Image Source : GETTY IMAGES World Cup 2019, दक्षिण अफ्रीका टीम प्रोफाइल: 'चोकर्स' के तमगे को हटाने उतरेगी दक्षिण अफ्रीका, ये है टीम की ताकत और कमजोरी

नई दिल्ली। आईसीसी विश्व कप में जब भी दक्षिण अफ्रीका के नाम का जिक्र होता है तो एक संज्ञा इस टीम के साथ जुड़ जाती है। यह संज्ञा है 'चोकर्स' का। इसके पीछे दक्षिण अफ्रीका का विश्व कप का कड़वा इतिहास है। 1992 से लेकर 2015 तक विश्व कप के अहम मौकों पर इस टीम से ऐसी गलतियां हुई हैं, जिसने यह शब्द इसके साथ जोड़ दिया है। 1992 में हुए विश्व कप में डकवर्थ लुइस नियम ने इस टीम को सेमीफाइनल से बाहर भेजा तो 1999 में लांस क्लूजनर तथा एलान डोनाल्ड के बीच रन लेने के बीच हुई बेहद आसान सी गलती ने इस टीम को एक बार फिर सेमीफाइनल से ही बाहर भगा दिया। 2003 में कहानी नहीं बदली और न ही उसके बाद। इन सभी कारणों से दक्षिण अफ्रीका को चोकर्स कहा जाने लगा क्योंकि विश्व कप में कभी इस टीम की किस्मत तो कभी खिलाड़ियों की नादान सी गलती ने उसे खिताब तक जाने से रोक दिया। 

इस बार इंग्लैंड एंड वेल्स में विश्व कप हो रहा है और यहां फाफ डु प्लेसिस की टीम के लिए अपने ऊपर से चोकर्स का तमगा हटाना बेहद जरूरी सा बन गया। यह तमगा सिर्फ विश्व विजेता बनकर ही हट सकता है। हमेशा की तरह इस विश्व कप में भी दक्षिण अफ्रीका कागजों पर मजबूत टीम है जो वो पहले भी रही है। लेकिन इस बार उसकी कोशिश मैदान पर दम दिखा ट्रॉफी जीतने की होगी। 

इस टीम की खासियत इसकी पेस बैट्री है जिसमें युवा कागिसो रबाडा, लुंगी नगिदी और अनुभवी डेल स्टेन के नाम हैं। विश्व क्रिकेट में इन तीनों के खौफ से हर कोई वाकिफ है। इंग्लैंड की परिस्थति में यह तीनों और खतरनाक हो जाएंगे। 

रबाडा ने हाल ही में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 12वें सीजन में दिल्ली कैपिटल्स के लिए खेलते हुए दमदार प्रदर्शन किया था और लीग में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों में दूसरे स्थान पर रहे थे। दूसरा इसलिए क्योंकि चोट के कारण वह तीन मैच नहीं खेले थे और स्वेदश आ गए थे। उनकी फॉर्म दक्षिण अफ्रीका के जड़ी बूटी है। नगिदी हालांकि इस साल आईपीएल नहीं खेल पाए, लेकिन इस गेंदबाज ने पिछले साल भारत के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करने के बाद जो प्रदर्शन किया वो उनकी पहचान बताने काफी है। 

डेल स्टेन का कोई सानी नहीं है। स्टेनगन के नाम से मशहूर यह गेंदबाज अपने अनुभव के दम पर किसी भी समय टीम के लिए उपयोगी साबित हो सकता है। इन तीनों की एक मिली-जुली खासियत जो है वो है तेजी और उछाल साथ ही गेंद को अच्छे से स्विंग कराना। एक तेज गेंदबाज के पास यह तीनों हों और वह इंग्लैंड में खेल रहा हो तो यह सोने पर सुहागा है। 

इस टीम के लिए हालांकि इन तीनों को चोट मुक्त देखना भी अहम होगा क्योंकि तीनों का चोटों का इतिहास खासकर स्टेन का, अच्छा नहीं रहा। बीच टूर्नामेंट में अगर किसी को कुछ होता है तो सिरदर्द बढ़ना है।

इन तीनों के अलावा दक्षिण अफ्रीका के पास स्पिन में इमरान ताहिर और तबरेज शम्सी हैं। ताहिर ने आईपीएल में रबाडा को पीछे कर पर्पल कैप ली थी। यह अनुभवी गेंदबाजी टीम के लिए दूसरे हाफ में मुख्य हथियार होगा। 

बल्लेबाजी में टीम के पास डु प्लेसिस, क्विंटन डी कॉक जैसे नाम हैं लेकिन अगर कायदे से देखा जाए तो यही दो बल्लेबाज हैं जिन पर टीम की बल्लेबाजी टिकी हुई है। डी कॉक ने आईपीएल में मुंबई इंडियंस से खेलते हुए फॉर्म हासिल कर ली है तो वहीं डु प्लेसिस ने चेन्नई सुपर किंग्स के साथ अपने बल्ले का जलवा दिखाया। 

डी कॉक सलामी बल्लेबाज हैं। इनके साथ एडिन मार्कराम या अनुभवी हाशिम अमला पारी की शुरुआत करने आएंगे, लेकिन परेशानी यह है कि अमला फॉर्म में नहीं हैं और मार्कराम निरंतर नहीं है। 

मध्य क्रम में कप्तान के ऊपर ही भार होगा क्योंकि डेविड मिलर, ज्यां पॉल ड्यूमिनी, आंदिले फेहुलक्वायो की फॉर्म स्थिर नहीं है। 

दक्षिण अफ्रीका के पास क्रिस मौरिस जैसा अच्छा हरफनमौला खिलाड़ी हैं जो कमाल कर सकता है। आईपीएल में उन्होंने वो लय हासिल कर ली है। गेंद से वह किफायती साबित हो सकते हैं तो बल्ले से अंत में बड़े शॉट लगाने में माहिर हैं। 

कप्तान डु प्लेसिस के लिए टीम संयोजन भी टेढ़ी खीर रहेगी क्योंकि संतुलन के लिए टीम के पास ज्यादा गहराई दिख नहीं रही है उसका कारण खिलाड़ियों के प्रदर्शन में अस्थिरता। 

अब देखना होगा कि मैदान पर जाकर यह टम क्या कमाल दिखाती है। अगर अपनी प्रतिभा के हिसाब से खेल गई तो कुछ भी कर सकती है वरना चोकर्स का तमगा हटाने के लिए चार साल का इंतजार बढ़ जाएगा। 

टीम : फाफ डु प्लेसिस (कप्तान), डेविड मिलर, एडिन मार्कराम, हाशिम अमला, रासी वैन डेर डुसैन, क्विंटन डी कॉक (विकेटकीपर), कागिसो रबाडा, लुंगी नगिदी, इमरान ताहिर, डेल स्टेन, तबरेज शम्सी, ज्यां पॉल ड्यूमिनी, आंदिले फेहुक्वायो, ड्वयान प्रीटोरियस, क्रिस मौरिस। 

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