कोलकाता: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने शुक्रवार को कहा कि आज के दौर में सलामी बल्लेबाज टेस्ट में थोड़ी तेजी से रन नहीं बना पाते तो उनके ऊपर टीम से बाहर होने की तलवार लटकी होती है। गांगुली ने कहा कि ऐसा ऑस्ट्रेलिया के मैथ्यू हेडन और भारत के वीरेन्द्र सहवाग के कारण हुआ जिन्होंने टेस्ट में सलामी बल्लेबाज के तौर पर तेजी से रन बटोरने का नया चलन शुरू किया। गांगुली ने यह बात भारत के 500 टेस्ट मैच खेलने के अवसर पर यहां आयोजित एक समारोह में कही।
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पूर्व कप्तान ने कहा, ‘आप आज के दौर से सलामी बल्लेबाजों को देखिए, उन्हें तेजी से रन न बनाने के कारण आलोचना झेलनी पड़ती है। यह सब वीरेन्द्र सहवाग और मैथ्यू हेडन ने शुरू किया। कुछ हद तक जस्टिन लैंगर ने भी। लेकिन टेस्ट में इन दोनों ने बल्लेबाजी की परिभाषा बदल दी।’ भारत ने अपना ऐतिहासिक 500वां टेस्ट मैच कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला था जिसमें उसने 197 रनों से जीत हासिल की थी।
गांगुली ने एक किस्से को याद करते हुए कहा, ‘हम इंग्लैंड में नेटवेस्ट ट्रॉफी में 325 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रहे थे और मुझे याद है मैं जब उसके साथ मैदान पर बल्लेबाजी करने जा रहा था, मैंने वीरू से कहा था थोड़ा सा डिफेंड कर ले, तू सेंचुरी बनाएगा। लेकिन उसके बाद मैंने सोचा कि उसे उसका खेल खेलने देना अच्छा होगा।’ इस पर सहवाग ने अपने कप्तान की तारीफ की और कहा एक सफल खिलाड़ी के पीछे एक सफल कप्तान होता है।
उन्होंने कहा, ‘मुझे कभी डर नहीं लगा क्योंकि मेरे कप्तान गांगुली ने हमेशा मेरा समर्थन किया। मैं जानता था कि मेरे पीछे जितने भी बल्लेबाज हैं सभी महान हैं। राहुल द्रविड़, सचिन तेंडुलकर, सौरव गांगुली, वीवीएस लक्ष्मण, एम.एस धोनी, सभी थे। इसलिए मैं आराम से खेल सकता था। मुझे याद है जब मैं इंग्लैंड में था और खराब दौर से गुजर रहा था, सौरव मेरे पास आए और कहा जो कुछ भी हो वह मेरे साथ हैं मुझे टीम से बाहर नहीं किया जाएगा। कुछ कप्तान कुछ खिलाड़ियों का बचाव करते हैं। आपको इस समर्थन की जरूरत होती है।’