Sunday, May 19, 2024
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दिलचस्प आकड़ें जो गवाही देते हैं, कैसे टेस्ट क्रिकेट में छाई 'कोहली युग' की बादशाहत

जैसे-जैसे कप्तान विराट कोहली एक बल्लेबाज से कप्तान के रूप में टेस्ट क्रिकेट में उभरते आए हैं वैसे-वैसे टीम इंडिया शिखर की ओर बढती गई है।

Written by: India TV Sports Desk
Updated on: October 26, 2019 9:16 IST
Virat Kohli- India TV Hindi
Image Source : BCCI Virat Kohli

भारतीय कप्तान विराट कोहली के नेतृत्व में टीम इंडिया ने दिन दुनी रात चौगुनी रफ़्तार से तरक्की हासिल की है। इस कड़ी में जैसे-जैसे कप्तान विराट कोहली एक बल्लेबाज से कप्तान के रूप में टेस्ट क्रिकेट में उभरते आए हैं वैसे-वैसे टीम इंडिया शिखर की ओर बढती गई है। यही कारण है कि कप्तान विराट कोहली के नेतृत्व में टीम इंडिया ने लगातार 11 टेस्ट मैच जीतकर सभी रिकॉर्ड को ध्वस्त करते हुए एक जमाने में घातक मानी जाने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम को भी पछाड़ दिया है। एक समय ऑस्ट्रेलिया टेस्ट टीम में 'वॉ' और 'पोंटिंग' युग चलता था। जिनकी कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया टीम ने लगातार 10 टेस्ट मैच जीतकर रिकॉर्ड कायम किया था लेकिन कप्तान कोहली ने इस विराट रिकॉर्ड को तोड़ते हुए क्रिकेट जगत में बता दिया है कि ये 'कोहली युग' है। 

कोहल युग की शुरुआत 

भारतीय कप्तान विराट कोहली अपने करियर में जैसे-जैसे टेस्ट क्रिकेट खेलते गए वो एक खिलाड़ी के साथ-साथ एक महान कप्तान के रूप में भी निखरते गए। जिसकी दुहाई ये आकड़ें देते हैं। कोहली ने साल 2011 में टेस्ट क्रिकेट खेलना शुरू किया था। ऐसे में जब तक उन्हें टेस्ट क्रिकेट की कप्तानी 2014 में मिलती तब तक टीम इंडिया ने 36 मैच खेले थे। जिसमें उसे 13 जीत और 16 हार का सामना करना पड़ा था। इस दौरान भारतीय टेस्ट टीम का जीत प्रतिशत 36.11 का रहा। जिसमें कोहली के कप्तान बनने से पहले उनके बल्ले से 41.13 की औसत से 2098 रन और 10 शतक निकले। जबकि टीम इंडिया के कुल स्कोर में उनका 14.6 प्रतिशत रन बनाने का योगदान रहा।  

Virat Kohli

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Virat Kohli

2011-14 के बीच में टीम इंडिया ने घर में खेले 15 में से 11 मैचों में जीत हासिल की। जिसमें कोहली के बल्ले से घरेलू सरजमीं पर 20 पारियों में 50.02 की औसत से 859 रन निकले। जो कि चेतेश्वर पुजारा (1203) और धोनी ( 911 ) के बाद कोहली के बल्ले से निकले रन थे। 

कप्तान बनने के बाद बतौर बल्लेबाज आया निखार 

2014 में कोहली के कप्तान बनने के बाद से टीम इंडिया ने कोहली की कप्तानी में अभी तक खेले 51 टेस्ट मैचों में 31 में जीत हासिल की है। जिसके चलते टीम इंडिया का जीत प्रतिशत 60.78 का रहा। जबकि कोहली के बल्ले से इस दौरान बतौर कप्तान टीम इंडिया के कुल रनों के 17.56 प्रतिशत रन निकले। इतना ही नहीं बतौर कप्तान कोहली का बल्लेबाजी औसत 63.69 का रहा जिसके चलते 4968 रन ठोकें। 

Virat Kohli

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Virat Kohli

कोहली की कप्तानी में घरेलू सरजमीं पर खेले गए मैचों की बात करें तो भारत ने 26 टेस्ट मैच घर में खेलें जिसमें उसे 20 टेस्ट मैचों में जीत हासिल हुई जबकि सिर्फ एक टेस्ट मैच टीम इंडिया पिछले चार सालों से घर में हारी है। इस दौरान कोहली के बल्ले से बतौर कप्तान घरेलू सरजमीं पर 38 पारियों में 77.76 की औसत से 2563 रन निकले। 

इस तरह अगर कुल मिलाकर कोहली के बतौर कप्तान 4968 रनों की बात करें तो वर्तमान में वो टेस्ट क्रिकेट बतौर कप्तान सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों की सूची में छठे स्थान पर आते हैं। जिसमे सबसे उपर स्थान साउथ अफ्रीका के पूर्व कप्तान ग्रीम स्मिथ (8659 रन) का है। इतना ही नहीं अगर घरेलू सरजमीं पर बात करें तो 2563 रन के साथ कोहली सांतवे स्थान पर हैं जिसमें सबसे ज्यादा रन बतौर कप्तान घर पर रन बनाने वाले ऑस्ट्रेलिया के रिकी पोंटिंग हैं। जिनके नाम 3555 रन घरेलू सरजमीं पर दर्ज हैं। 

विराट कोहली   साल  पारी   मैच रन औसत प्रतिशत योगदान शतक/अर्धशतक जीत/हार   
कोहली बगैर कप्तान  2011-2014 55 31 2098 41.13 14.6 10/7 13/16
कप्तान विराट कोहली  2014-2019  84 51 4968 63.69 17.56  19/12  31/51

कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया की बदली परंपरा

Virat Kohli

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Virat Kohli

इस तरह आकड़ों से साफ़ है कि कोहली युग की शुरुआत कोई एक दिन का खेल नहीं बल्कि सालों की तपस्या और मेहनत है। साल 2014 में जब भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अचानक से टेस्ट क्रिकेट की कप्तानी और संन्यास का ऐलान किया उस समय भारतीय क्रिकेट के विशाल सागर में कोहली ही मोती की तरह चमक रहे थे। जिसके चलते टीम मैनेजमेंट ने अंडर-19 वर्ल्डकप 2008 भारत को जीताने वाले कप्तान विराट कोहली को टेस्ट टीम इंडिया की बागडोर सौंप दी। इसके बाद से टीम इंडिया ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और वर्षों पुरानी अपनी परम्परा को भी बदल दिया। कोहली की कप्तानी से पहले टीम इंडिया दुनिया के हर कोने में अपनी घातक बल्लेबाजी के लिए जानी जाती थी मगर कप्तान कोहली के फिटनेस मंत्र और मजबूत मानसिकता के चलते आज की टीम इंडिया अपनी बल्लेबाजी नहीं बल्कि घातक गेंदबाजी के लिए भी जानी जाती है। जिसने दुनिया के हर मैदान में विश्वभर के सभी बल्लेबाजों को अपनी गेंदों के आगे घुटने टेकने में मजबूर कर दिया है। इस तरह हम ये कह सकते हैं की विश्व टेस्ट क्रिकेट में 'कोहली युग' की बादशाहत बरकरार है।

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