Saturday, April 20, 2024
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पाकिस्तान को लगा बड़ा झटका, आईसीसी ने बीसीसीआई के खिलाफ मुआवजे का दावा किया खारिज

पीसीबी ने भारतीय क्रिकेट बोर्ड पर द्विपक्षीय सीरीज से जुड़े सहमति पत्र (एमओयू) का सम्मान नहीं करने का आरोप लगाया था।

Bhasha Reported by: Bhasha
Updated on: November 20, 2018 17:53 IST
आईसीसी ने बीसीसीआई के खिलाफ मुआवजे का दावा किया खारिज- India TV Hindi
Image Source : GETTY IMAGES आईसीसी ने बीसीसीआई के खिलाफ मुआवजे का दावा किया खारिज

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की विवाद निवारण समिति ने मंगलवार को बीसीसीआई के खिलाफ पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के मुआवजे के दावे को खारिज कर दिया। इस मामले में बीसीसीआई के पक्ष को सही ठहराया गया जिससे लंबे समय से चले आ रहे विवाद का अंत हुआ। पीसीबी ने भारतीय क्रिकेट बोर्ड पर द्विपक्षीय सीरीज से जुड़े सहमति पत्र (एमओयू) का सम्मान नहीं करने का आरोप लगाया था। 

आईसीसी ने 26 पन्ने के फैसले का निष्कर्ष एक पंक्ति के आदेश में देते हुए कहा, ‘‘पीसीबी के दावे को खारिज किया जाता है। खर्चे की भरपाई कौन करेगा इस पर फैसला सुरक्षित रखा गया है।’’ आईसीसी ने कहा, ‘‘यह फैसला बाध्यकारी होगा और इसके खिलाफ अपील नहीं की जा सकती।’’ पीसीबी ने बीसीसीआई पर एमओयू का सम्मान नहीं करने का आरोप लगाते हुए 447 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की थी। इस एमओयू के तहत भारत को 2015 से 2023 के बीच पाकिस्तान से छह द्विपक्षीय सीरीज खेलनी थीं। 

बीसीसीआई ने इसके जवाब में कहा था कि वह इस कथित एमओयू को मानने के लिए बाध्य नहीं है और यह कोई मायने नहीं रखता क्योंकि पाकिस्तान ने भारत द्वारा सुझाए आईसीसी के राजस्व माडल पर समर्थन की प्रतिबद्धता पूरी नहीं की। भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने साथ ही कहा था कि पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय क्रिकेट के लिए सरकार से स्वीकृति की जरूरत पड़ती है जो 2008 में मुंबई आतंकी हमले के बाद से नहीं मिल रही। 

सीओए विनोद राय ने पीटीआई से कहा, ‘‘हमें खुशी है कि हमारा रुख सही साबित हुआ। पीसीबी जिसे एमओयू कह रहा है वह असल में प्रस्ताव पत्र है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं बीसीसीआई की विधि टीम के अलावा प्रत्येक उस व्यक्ति को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने इस मामले पर काम किया।’’ राय ने कहा कि बीसीसीआई अब पाकिस्तान के खिलाफ मुआवजे का मामला दायर करेगा और मध्यस्थता मामले पर हुए खर्च की भरपाई की मांग करेगा। 

उन्होंने कहा, ‘‘हम पैनल के सामने प्रस्तुतिकरण रखेंगे और मांग रखने की मध्यस्थता के इस मामले का पूरा खर्चा पीसीबी उठाए।’’ पीसीबी ने इस फैसले पर निराशा जताई और कहा कि फैसले को पढ़ने के बाद वे अपने विकल्पों पर विचार करेंगे। पीसीबी ने बयान में कहा, ‘‘पीसीबी विवाद निवारण समिति के फैसले पर खेद जताता है।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘पीसीबी अपने हितधारकों से इस मामले में विस्तृत चर्चा और सलाह मशविरे के बाद अपनी भविष्य की कार्रवाई पर फैसला करेगा।’’ आईसीसी ने पीसीबी के मुआवजे दावे पर विचार के लिए तीन सदस्यीय विवाद निवारण समिति गठित की थी। इस मामले की सुनवाई एक से तीन अक्टूबर तक यहां आईसीसी के मुख्यालय में हुई। 

इस मुद्दा 2014 से चल रहा है जब बीसीसीआई के तत्कालीन सचिव संजय पटेल ने 2015 से 2023 के बीच छह द्विपक्षीय सीरीज खेलने के लिए एक पन्ने के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे जिसे बीसीसीआई ने हमेशा ‘प्रस्ताव पत्र’ कहा। आईसीसी के विवाद निवारण समिति ने फैसला दिया कि दोनों बोर्ड के बीच जिस दस्तावेज पर हस्ताक्षर हुए वह बाध्यकारी नहीं लगता।

 
समिति ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि पीसीबी के दावे में कोई दम नहीं है। यदि बीसीसीआई 2014 या 2015 में ऐसी सीरीज खेलने के लिए बाध्य नहीं था तो इसके नहीं खेलने से मुआवजे का कोई दावा नहीं बनता।’’ पहली प्रस्तावित सीरीज नवंबर 2015 में यूएई में होनी थी लेकिन बीसीसीआई को सरकार से स्वीकृति नहीं मिली। पाकिस्तान के खिलाफ द्विपक्षीय सीरीज के लिए सरकार से स्वीकृति लेना अनिवार्य है। पीसीबी ने इस सीरीज से मिलने वाले टीवी राजस्व गंवाने के कारण मुआवजे का मामला डाला था। 

आईसीसी ने फैसले में कहा, ‘‘पैनल स्वीकार करता है कि बीसीसीआई ने सरकार की स्वीकृति की जरूरत का जो दावा किया है वह सिर्फ पीसीबी के ईमेल में ही नहीं बल्कि पीसीबी की बोर्ड बैठक की जानकारी में भी नजर आती है, बीसीसीआई में अपने लिखित जवाब में यह सब जानकारी दी है।’’ पूर्व विदेशी मंत्री सलमान खुर्शीद उन व्यक्तियों में शामिल रहे जिनसे सुनवाई के दौरान जिरह हुई। बीसीसीआई के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार खुर्शीद ने सुरक्षा कारणों से पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय क्रिकेट खेलने के इनकार करने के भारत के रुख को उचित ठहराया था। 

राय ने सुनवाई के दौरा गवाही के लिए खुर्शीद का भी आभार जताया। उन्होंने कहा, ‘‘मध्यस्थता मामले में खुर्शीद और सुंदर रमन की गवाही ने हमारे पक्ष को मजबूत किया।’’ रमन उस समय आईपीएल के सीओओ थे। आईसीसी की समिति ने हालांकि कटु राजनयिक रिश्तों के बीच दोनों देशों से अपील की कि वे द्विपक्षीय क्रिकेट दोबारा शुरू करने पर विचार करें। आदेश के अंत में कहा गया, ‘‘समिति उम्मीद जताती है कि राजनैतिक मसलों के कारण लंबे समय तक यह इच्छा पूरी होने से नहीं रह पाएगी।’’

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