Friday, March 29, 2024
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सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण मामले की सुनवाई में बीसीसीआई से कोई नहीं जाएगा: विनोद राय

लोकपाल डी.के. जैन इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की टीम मुंबई इंडियंस के मेंटॉर तेंदुलकर और सनराइजर्स हैदराबाद के मेंटॉर के खिलाफ हितों के टकराव के मामले में बैठक करेंगे।

IANS Reported by: IANS
Published on: April 28, 2019 18:58 IST
सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण मामले की सुनवाई में बीसीसीआई से कोई नहीं जाएगा: विनोद राय- India TV Hindi
Image Source : PTI सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण मामले की सुनवाई में बीसीसीआई से कोई नहीं जाएगा: विनोद राय

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त की गई प्रशासकों की समिति (सीओए) ने निर्णय लिया है कि हितों के टकराव मामले में लोकपाल के साथ मुंबई इंडियन के मेंटॉर सचिन तेंदुलकर और सनराइजर्स हैदराबाद के मेंटॉर वी.वी.एस. लक्ष्मण की होने वाली बैठक में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का कोई प्रतिनिधि मौजूद नहीं होगा।

लोकपाल डी.के. जैन इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की टीम मुंबई इंडियंस के मेंटॉर तेंदुलकर और सनराइजर्स हैदराबाद के मेंटॉर के खिलाफ हितों के टकराव के मामले में बैठक करेंगे। सीओए प्रमुख विनोद राय ने आईएएनएस से बात करते हुए बताया कि भविष्य में बोर्ड केवल एक रेफरेंस के रूप में कार्य करेगा। राय ने कहा, "बीसीसीआई केवल एक प्वाइंट आफ रेफरेंस के रूप में काम करेगा ताकि लोकपाल मामले को पूरी तरह से समझ सकें।"

इससे पहले, दिल्ली कैपिटल्स के सलाहकार सौरभ गांगुली के खिलाफ हितों के टकराव के मामले में हुई बैठक में बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी शामिल थे और उन्होंने इस मामले में बोर्ड का पक्ष भी रखा था। इस पर सवाल उठे थे। गांगुली बोर्ड की क्रिकेट सलाहकार समिति के सदस्य हैं और साथ ही दिल्ली कैपिटल्स के सलाहकार भी हैं।

हालांकि, इस बार इस प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जाएगा। बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सीओए को यह समझ आ गया है कि उन्होंने रेफरेंस के लिए पेपर भेजने की बजाए बीसीसीआई के एक अधकिारी को भेजकर गलत किया।

वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "लोकपाल के साथ हुई गांगुली की बैठक में एक प्रतिनिधि का होना बेतुकी बात थी। एक लोकपाल के होने का यही मतलब है कि जांच से जुड़े मामले में किसी प्रकार का पक्षपात न हो। यदि किसी को बैठक में भेजा जा रहा है, तो वह मामले को क्षति पहुंचा सकता है क्योंकि उसके रेफरेंस में अंतर्निहित पक्षपात हो सकता है।

उन्होंने कहा, "अगर राहुल जौहरी के मामले को लोकपाल को दिया जाता है, तो क्या वे एक पर्सन आफ रेफरेंस के रूप में सहायता करेंगे? क्या आप इस संभावना से इनकार कर सकते हैं कि गांगुली के मामले में जो रेफरेंस दिए गए हैं, वे यह ध्यान में रखते हुए नहीं दिए गए कि भविष्य में जौहरी का अपना मामला सामने आ सकता है और वह जानते है कि पहले लिया गया कोई निर्णय उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है। एक रेफरेंस के तौर पर व्यक्ति को भेजने की क्या जरूरत है। दस्तावेज पर्याप्त है और वो भी पूछे जान पर।"

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