सीरीज भारत गंवा चुका है। 25 साल का बदला कलंक ना बन जाए। इसका डर सताने लगा है लेकिन जीत की उम्मीद अब भी बाकी है और उस विश्वास का नाम है अजिंक्य रहाणे। हार की निराशा के बीच उम्मीद की एक किरण हैं ये बल्लेबाज़। तहस नहस हो चुके भारतीय बैटिंग लाइनअप के लिए संजीवनी बन सकता है ये बल्लेबाज़। भारतीय टेस्ट टीम का उपकप्तान, विदेशी सरजमीं पर हिंदुस्तान का सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज़। आज इस भारतीय टीम में वापसी की बांट ढो रहा है, शायद अब तो कप्तान कोहली और कोच शास्त्री तो इन रिकॉर्ड्स को देखने की जहमत उठा चुके होंगे, जिसकी वजह से हर हिंदुस्तानी अजिंक्य रहाणे को हर हाल में जोहान्सबर्ग में देखना चाहता है।
अजिंक्य रहाणे ने दक्षिण अफ्रीका में खेले 2 टेस्ट में 69.66 की औसत से 209 रन बनाए हैं, इन 2 टेस्ट में रहाणे 2 अर्धशतक भी बना चुके हैं। जरा गौर कीजिए अगर इस दौरे पर विराट कोहली के एकमात्र शतक को छोड़ देते हैं तो टॉप सिक्स में से किसी बल्लेबाज़ ने एक अर्धशतक भी नहीं बनाया है। रहाणे की औसत वैसे भी विदेश में खतरनाक हो जाती है और आप मिडिल ऑर्डर के बाकी बल्लेबाज़ों से उनकी तुलना देखेंगे तो आप दांतों तले उंगली दबा लेंगे।
एशिया के बाहर रहाणे का औसत है 54.66 का, जबकि एशिया में ये घटकर रह जाती है सिर्फ और सिर्फ 37.85 की यानि दोनों के बीच अंतर है 16.81 का। अब कप्तान कोहली को देखिए कोहली का एशिया के बाहर औसत है 46.30, जबकि एशिया में बढ़कर ये हो जाता है 59.44 का। अंतर है माइनस 13.14 का।
भारतीय क्रिकेट की नई दीवार कहे जाने वाले पुजारा का औसत एशिया के बाहर 27.42 है, जबकि एशिया में 65.55, अंतर है माइनस 38.13 का और मिस्टर टैलेंटेड रोहित शर्मा का एशिया के बाहर औसत है 23.90, जबकि एशिया में 61.06, अंतर है माइनस 37.16 का।
इन आकंड़ों को देखकर तो रहाणे को ना खिलाना गलती कहलाएगा ही ना अब सामने कलंक से बचने की चुनौती है और यहां अगर रहाणे को फिर नहीं खिलाए तो गलती और महागलती की बारिक रेखा भी खत्म हो जाएगी।