Friday, April 26, 2024
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भारत की ऐतिहासिक जीत के सबसे बड़े हीरो बने चेतेश्वर पुजारा और जसप्रीत बुमराह

उपमहाद्वीप के बाहर रन बनाने के लिए संघर्ष करने वाले पुजारा ने चार टेस्ट की सीरीज में 74.42 की औसत से 521 रन बनाये।

Bhasha Reported by: Bhasha
Updated on: January 08, 2019 10:04 IST
चेतेश्वर पुजारा- India TV Hindi
Image Source : GETTY IMAGES चेतेश्वर पुजारा

सिडनी: विदेशी सरजमीं पर चेतेश्वर पुजारा के शानदार प्रदर्शन को तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह के कौशल का साथ मिला जिससे भारत ने ऑस्ट्रेलिया में पहली टेस्ट सीरीज में जीत दर्ज की। इन दोनों खिलाड़ियों का प्रदर्शन और भी खास रहा क्योंकि विपरीत परिस्थितियों में शानदार प्रदर्शन के लिए मशहूर कप्तान विराट कोहली के प्रदर्शन को इन दोनों खिलाड़ियों ने फीका कर दिया। उपमहाद्वीप के बाहर रन बनाने के लिए संघर्ष करने वाले पुजारा ने चार टेस्ट की सीरीज में 74.42 की औसत से 521 रन बनाये। इस दौरान उनका टॉप स्कोर 193 रन कर रहा। 

मैन ऑफ द सीरीज का खिताब पाने वाले पुजारा ने तीसरे क्रम पर बल्लेबाजी करते हुए एडिलेड, मेलबर्न और सिडनी में भी शतकीय पारियां खेली। उनके काम को बुमराह (सीरीज में 21 विकेट) और मोहम्मद शमी (16 विकेट) ने और आसान कर दिया। 

कप्तान कोहली इस दौरान 282 रन बनाकर पुजारा से काफी पीछे रहे। सिडनी में 159 रन की नाबाद पारी खेलने वाले ऋषभ पंत भारत की ओर से दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे जिन्होंने सीरीज में 350 रन बनाये। भारतीय बल्लेबाजों के सीरीज में लगाये गये पांच शतकों को हालांकि देखें तो पर्थ के नये स्टेडियम में कोहली की शतकीय पारी सबसे बेहतरीन रही। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने इस पिच को औसत से खराब करार दिया था। 

भारत के लिए सीरीड की बड़ी खोज के बारे में बात करे तो वह नये सलामी बल्लेबाज मयंक अग्रवाल (195 रन) रहे जिन्होंने मेलबर्न और सिडनी में अर्धशतक लगाकर करियर का शानदार आगाज किया। 

गेंदबाजी विभाग की बात करे तो बुमराह लाल गेंद के क्रिकेट में बड़ी ताकत बनकर उभरे और यही कारण है कि दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में टेस्ट सीरीज में अब भारत को बराबरी की टीम माना जा सकता है। बुमराह के पास आठ कदम के रनअप से तेज गेंदबाजी के साथ गेंद को दोनों ओर स्विंग करने की काबिलियत है जिससे ऑस्ट्रेलिया बल्लेबाजों के दिमाग में भ्रम की स्थिति रही। 

उन्होंने इशांत शर्मा (11 विकेट) और मोहम्मद शमी जैसे गेंदबाजों के साथ मिलकर ऑस्ट्रेलिया के 70 में से 50 विकेट चटकाए। अंतिम दो टेस्ट मैचों के लिए टीम में शामिल हुए रविन्द्र जडेजा ने सात विकेट लेकर और एक अर्धशतक लगाकर हरफनमौला खिलाड़ी के तौर पर अपनी उपयोगिता साबित की। वहीं, इंग्लैंड के खिलाफ लार्ड्स मैदान पर निराशाजनक प्रदर्शन करने वाले कुलदीप यादव ने सिडनी टेस्ट की पहली पारी में पांच विकेट चटकाए जिसके बाद कोच रवि शास्त्री ने भी उनकी तारीफ की। 

टेस्ट मैचों में मयंक और कुलदीप का शानदार प्रदर्शन तमिलनाडु के मुरली विजय और रविचंद्रन अश्विन के लिए खतरे की घंटी है। कोहली ने भी कहा था कि विदेशी दौरे पर अश्विन की फिटनेस टीम के लिए चिंता की बात है। साल के अंत में भारत जब अपने घरेलू हालात में खेलेगा तब अश्विन टीम का अहम हथियार होंगे। 

विजय के लिये यह करियर का अंतिम दौरा साबित हो सकता है। पैंतीस साल के इस खिलाड़ी ने देश के लिए 61 टेस्ट मैच खेले हैं लेकिन इंग्लैंड और फिर ऑस्ट्रेलिया दौरे पर खराब प्रदर्शन के बाद टीम में जगह मिलना मुश्किल होगा। उन्होंने इस दौरे पर चार पारियों में सिर्फ 49 रन बनाये और पृथ्वी शॉ फिट होकर टीम में जगह बनाने के लिए तैयार होंगे। लोकेश राहुल भी पांच पारियों में महज 57 रन बना सके लेकिन उम्र उनके साथ है और उनके कौशल पर किसी को शक नहीं है। 

सीरीज में भारतीय उपकप्तान अजिंक्य रहाणे भी उम्मीदों के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर सके। उन्होंने 31 के औसत से 217 रन बनाये। टीम में उनकी जगह को लेकर तुरंत खतरा नहीं है लेकिन हनुमा विहारी की बल्लेबाजी के साथ कामचालाऊ ऑफ स्पिन गेंदबाजी करने की क्षमता मुंबई के बल्लेबाज को अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करेगी। 

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