Friday, April 26, 2024
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Navratri Upay: नवरात्रि के तीसरे दिन इन मंत्रों का उच्चारण करने से शत्रु होंगे पराजित, मिलेगा मनचाहा जीवनसाथी

Navratri Upay: आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए कुछ ऐसे उपाय जिन्हें अगर आप नवरात्रि के तीसरे दिन करते हैं तो आपका जीवन बदल जाएगा।

Written By : Acharya Indu Prakash Edited By : Poonam Yadav Updated on: September 27, 2022 16:53 IST
Navratri Upay- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Navratri Upay

Highlights

  • आज शारदीय नवरात्र का तीसरा दिन है।
  • आज मां दुर्गा के तीसरे रूप मां चंद्रघंटा की उपासना की जाती है।
  • मां चंद्रघंटा के मंत्र का जप करने से शत्रु से मिलती है विजय।

Navratri Upay: शारदीय नवरात्रि शुरू हो चुके हैं और हर दिन अलग-अलग शुभ फलों की प्राप्ति के लिये, घर-परिवार की सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी के लिये, अपने बिजनेस को अनजाने खतरों से बचाये रखने के लिये लोग मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की आराधना करते हैं। देवी मां की कृपा हो तो जीवन में सफलता, कामयाबी मिलने के साथ भय, रोग आदि से छुटकारा मिलता है। आज शारदीय नवरात्र का तीसरा दिन है यानि मां दुर्गा की तीसरी शक्ति की उपासना का दिन । आज के दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की उपासना की जायेगी । देवी मां के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित होने के कारण ही इन्हें चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है । 

मां चंद्रघंटा, जिनका वाहन सिंह है और जिनके दस हाथों में से चार दाहिनी हाथों में कमल का फूल, धनुष, जप माला और तीर है और पांचवां हाथ अभय मुद्रा में रहता है, जबकि चार बाएं हाथों में त्रिशूल, गदा, कमंडल और तलवार है और पांचवा हाथ वरद मुद्रा में रहता है, उनका स्वरूप भक्तों के लिए बड़ा ही कल्याणकारी है । ये सदैव अपने भक्तों की रक्षा के लिये तैयार रहती हैं । इनके घंटे की ध्वनि के आगे बड़े से बड़ा शत्रु भी नहीं टिक पाता है| अगर आज के दिन मां चंद्रघंटा के मंत्र का जप किया जाये तो जीवन में चल रही परेशानियों के साथ ही साधक को शुक्र ग्रह से संबंधी परेशानियों से भी छुटकारा मिलता है । क्योंकि शुक्र ग्रह पर मां चंद्रघंटा का आधिपत्य रहता है । लिहाजा आज के दिन आपको मां चंद्रघंटा के मंत्र का जप अवश्य करना चाहिए । 

पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।

प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

आज के दिन इस मंत्र का 11 बार जप करने से आपको शुक्र संबंधी परेशानियों के साथ ही जीवन में अन्य परेशानियों से भी छुटकारा मिलेगा । तो ये थी चर्चा आज शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन देवी दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की और अब मैं आपको माता के एक ऐसे अचूक मंत्र के बारे में बताउंगा जिसके जाप से आप किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं, अपने वश में कर सकते हैं, शत्रु से छुटकारा पा सकते हैं, अपनी मनोकामना पूरी कर सकते हैं तो आइये चर्चा शुरू करते है उस अचूक मंत्र की। सबसे पहले मैं बता दूं कि वो अचूक मंत्र है माता का नवार्ण मंत्र। तो सबसे पहले जान लीजिए क्या है मंत्र,तो नोट कीजिए -   

"ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे" 

मंत्र जपने में कोई भी त्रुटि यानी गलती नहीं होनी चाहिए । मंत्र का उच्चारण शुद्ध होना चाहिए । तो चलिए अब नवार्ण मंत्र की कुछ खास बातों पर रोशनी डालते हैं । इस मंत्र का पुरश्चरण 1 लाख जप है । मार्कण्डेय पुराण में इस मंत्र की महिमा बताई गयी है । आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में पंचमी तिथि से लेकर अष्टमी तक साधक को एक लाख मंत्र का जप करना चाहिए। पंचमी से अष्टमी तक ये साधना करने से सिद्धि प्राप्त होती है। 

दुर्गा देवी के इस मंत्र से आप मारण, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण, स्तंभन और विद्वेषण सभी कर्म कर सकते हैं लेकिन हर कर्म के लिए मंत्र का स्वरूप बदल जाता है यानी कि मंत्र में कुछ अक्षर जोड़ दिए जाते हैं ये अक्षर अलग-अलग उद्देश्य से अलग-अलग होते हैं ।उदाहरण के लिए किसी का वशीकरण करने के लिए ये मंत्र इस तरह जपा जाएगा -

।। वषट् ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे अमुक नामानं वषट मे वश्यं कुरु कुरु स्वाहा ।।

अगर आप किसी को अपने वश में करना चाहते हैं किसी का वशीकरण करना चाहते हैं तो मंत्र को इस रूप में जपना होगा जहां पर अमुक नाम लिखा है,वहां पर उस व्यक्ति का नाम लिखना होगा जिसका वशीकरण किया जाना है,उदाहरण के तौर पर मान लीजिए मैं xyz का वशीकरण करना चाहता हूं तो मुझे मंत्र इस तरह पढ़ना होगा -।। वषट् ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे xyz नामानं वषट मे वश्यं कुरु कुरु स्वाहा ।। वशीकरण के लिए एक करोड़ जप करना चाहिए। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जप करना चाहिए। सफेद आसन का प्रयोग करना चाहिए, सफेद वस्त्र पहनने चाहिए।

यहां एक बात और बता दूं कि तंत्र का प्रयोग कभी भी दुर्भाव से नहीं करना चाहिए । बुरी नियत से किये गये किसी भी तंत्र में निश्चित रूप से असफलता तो मिलती ही है इसके बुरे प्रभाव भी हो सकते हैं । दूसरी बात नवरात्र में 30 से  3 तारीख तक केवल मूल मंत्र ही जपना है यानि -

।। ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ।।

जब मंत्र नवरात्रि में सिद्ध हो जाये तब उसका प्रयोग करना चाहिए । तो ऊपर आपने देखा वशीकरण के लिए मंत्र का स्वरूप क्या है अब आप अन्य स्वरूप भी देखिए जैसे मारण के लिए - 

।। ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे देवदत्त रं रं खे खे मारय मारय रं रं शीघ्र भस्मी कुरु कुरु स्वाहा ।।

मारण के संदर्भ में ये बता दूं कि यह प्रयोग केवल समाज के शत्रुओं के लिए किये जाने की अनुमति है । किसी भी दशा में स्त्री के विरुद्ध मारण प्रयोग नहीं किया जा सकता है , अन्यथा प्रयोग करने वाले की मृत्यु निश्चित होती है । मंत्र महार्णव में साफ - साफ लिखा है - 

।। मरणम् वर्जितम् स्त्रीषु यतश्चा यानि कारयेत् स्त्रीषु च मारणम् मोहात्कर्तुमृत्युम् न संशय : ।। 

यानि किसी भी दशा में स्त्री के विरुद्ध मारण प्रयोग नहीं किया जा सकता है , अन्यथा प्रयोग करने वाले की मृत्यु सुनिश्चित होती है । मारण के लिए दस लाख जप करना चाहिए । काले कंबल के आसन पर काले वस्त्र पहनकर बैठना चाहिए और दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके जप करना चाहिए । अब उच्चाटन के लिए मंत्र नोट करिए - जिस व्यक्ति का उच्चाटन कर दिया जाता है वो व्यक्ति उस नगर या गांव से स्वयं ही चला जाता है । वहां पर उसका मन नहीं लगता है । मनुष्य का चित्र उस जगह से उचट जाता है ।  

।। ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे देवदत्तं फट् उच्चाटन कुरु कुरु स्वाहा ।।

देवदत्त की जगह उस व्यक्ति का नाम लिखिए जिसका उच्चाटन किया जाना है। उच्चाटन के लिए 24 लाख मंत्रों का जप करना चाहिए। लाल रंग के आसन पर लाल वस्त्र पहनकर बैठना चाहिए और दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके जप करना चाहिए।

अब मोहन के लिए मंत्र का स्वरूप नोट करिए - 

।। क्लीं क्लीं ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे देवदत्तं क्लीं क्लीं मोहनम् कुरु कुरु क्लीं क्लीं स्वाहा ।। 

देवदत्त की जगह उस व्यक्ति का नाम लिखिए जिसको मोहित किया जाना है । मोहन के लिए 12 लाख जप करना चाहिए । पीले आसन पर पीले कपड़े पहनकर बैठना चाहिए और पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके जप करना चाहिए । 

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स्तम्भन के लिए मंत्र का स्वरूप नोट करिए - 

।।ऊं ठं ठं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे देवदत्तं ह्रीं वाचम् मुखम् पदम् स्तम्भय स्तम्भय ह्रीं ह्रीं जिह्वाम कीलय कीलय ह्रीं बुद्धिं विनाशय ह्रीं ऊं ठं ठं स्वाहा ।। 

देवदत्त की जगह उस व्यक्ति का नाम लिखिए जिसका स्तम्भन किया जाना है । स्तम्भन के लिए 16 लाख जप करना चाहिए । चितकबरे आसन पर चितकबरे रंग के वस्त्र पहनकर बैठना चाहिए और दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके जप करना चाहिए ।  

अब आकर्षण के लिए मंत्र नोट करिए - इस मंत्र को पढ़कर आप जिसे चाहे अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं -

।। ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे देवदत्तम् यं यं शीघ्रमार्कर्षयाकर्षय स्वाहा ।।

आकर्षण में 13 लाख जप करना चाहिए । कुश के आसन पर बैठकर उत्तर दिशा की ओर मुंह करके आकर्षण का प्रयोग करना चाहिए । तो ये थी चर्चा आज वैधृति योग, स्वाती नक्षत्र और शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा के नवार्ण मंत्र की| उम्मीद है ये चर्चा आपको पसन्द आयेगी । 

(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं)

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