Friday, April 19, 2024
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Gita Jayanti 2022: आज गीता जयंती पर जाने ये 5 श्लोक, जीवन में हमेशा आपको बनाएंगे सफल

मान्यताओं के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसके जरिए ही भगवान श्रीकृष्ण ने लोगों को जीवन के सार को समझाने का प्रयास किया है।

Sushma Kumari Written By: Sushma Kumari @ISushmaPandey
Updated on: December 03, 2022 11:22 IST
गीता जयंती 2022- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV गीता जयंती 2022

Gita Jayanti 2022: मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है।  कहते हैं मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन ही इस दिन भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र की भूमि पर अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।  गीता में कुल अठारह अध्याय हैं, जो हमें जीवन के अलग-अलग पहलुओं से परिचित कराते हैं, और अपने लक्ष्य के प्रति सजग बनाते हैं।

इसके अलावा आज मोक्षदा एकादशी भी है। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहते हैं। इसे वैकुण्ठ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में इस एकादशी का बड़ा ही महत्व बताया गया है। इस दिन भगवान विष्णु के दामोदर रूप की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु के शंख, गदा, चक्र और पद्मधारी रूप को दामोदर की संज्ञा दी गयी है। पद्मपुराण में आया है कि स्वंय भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर से कहा है कि इस दिन तुलसी की मंजरी,धूप-दीप आदि से भगवान दामोदर का पूजन करना चाहिए। 

सफलता के मंत्र

1. कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।

मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

अगर आप हर काम में सफलता पाना चाहते हैं तो कर्म पर ध्यान दें, तभी आप बिना भटकाव के कर्म को पूर्ण कर पाएंगे। क्योंकि कर्म से ही सफलता मिल सकती है। जब फल की इच्छा से कर्म करेंगे, तो ध्यान कर्म पर कम और फल पर ज्यादा रहेगा। इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि कर्म ही व्यक्ति के अधिकार में है, फल की चिंता मत करें। 

2. क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रम:।
स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति।।

किसी भी काम में सफलता के लिए मन का शांत होना जरूरी है, क्योंकि क्रोध से बुद्धि का नाश हो जाता है। जो बुद्धिहीन होता है, वह स्वयं का ही सर्वनाश कर लेता है। इसलिए यदि आप किसी कार्य में सफलता पाना चाहते हैं तो क्रोध का त्याग कर दें। 

3. अज्ञश्चाश्रद्दधानश्च संशयात्मा विनश्यति।
नायं लोकोऽस्ति न परो न सुखं संशयात्मनः।।

इस श्लोक में शंका को गलत बताया गया है। जो व्यक्ति संदेह या शंका करने वाला होता है, उसे कभी भी सुख और शांति नहीं मिलती है। वह स्वयं का ही विनाश करता है।  न ही उसे इस लोक में सुख मिलता है और न ही परलोक में। 

4. ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।
सङ्गात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥

अगर आप अपने जीवन में सफलता पाना चाहते हैं तो विषयों और वस्तुओं के प्रति अपनी आसक्ति या लगाव को न रखें। यदि आप ऐसा नहीं करेंगे तो फिर आपका उनसे लगाव होगा और उस चीज को पाने की कोशिश करेंगे और फिर ऐसे में जब वो चीज आपको नहीं मिलेगी तो आपको क्रोध आएगा। 

5. हतो वा प्राप्यसि स्वर्गम्, जित्वा वा भोक्ष्यसे महिम्।
तस्मात् उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चय:॥

गीता के इस श्लोक मतलब है कि जब अर्जुन कौरवों के विरुद्ध युद्ध नहीं करना चाहते थे, तब श्रीकृष्ण ने कहा कि तुम निडर होकर युद्ध करो, यदि मारे गए तो स्वर्ग मिलेगा और जीत गए तो धरती पर राज करोगे। इसलिए बिना डर के ही कोई काम करें। 

आज के दिन कुछ बातों का भी ख्याल रखना चाहिए

  1. एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
  2. आज के दिन पान खाने से बचना चाहिए। साथ ही तेल में बना हुआ खाना भी अवॉयड करना चाहिए।
  3. आज के दिन किसी की निन्दा नहीं करनी चाहिए और क्रोध करने व झूठ बोलने से बचना चाहिए

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। INDIA TV इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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