दिल्ली-एनसीआर में, बिना बिकी आवास की संख्या (Unsold housing stock) 40,211 यूनिट से 7 प्रतिशत घटकर 37,356 यूनिट हो गई।
बड़ी संख्या में नए हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के आने से ऐसे बिना बिके घरों की बिक्री की रफ्तार काफी धीमी हो गई है।
केंद्रीय मंत्री के मुताबिक फिलहाल घरों की मांग नहीं है और आगे कर्ज पर ब्याज बोझ बढ़ेगा
चेन्नई में बन चुके फ्लैटों को निकालने में 31 महीने, मुंबई महानगर क्षेत्र में 34 महीने और कोलकाता में 38 माह का समय लगेगा।
लंबे समय से मंदी की मार झेल रहे रियल एस्टेट सेक्टर को आशा की किरण दिखाई देने लगी है। देश के सात प्रमुख शहरों में बिना बिके मकानों की 6.85 लाख इकाई रही
मुंबई महानगर क्षेत्र में अगस्त के अंत में साढ़े तीन लाख से ज्यादा नव निर्मित मकानों को खरीदार का इंतजार था।
सरकार ने संशोधित मूल्य दरों वाले स्टिकरों के साथ माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने से पहले निर्मित सामान को बेचने की समयसीमा बढ़ाकर 31 दिसंबर कर दी है।
NCC ने बिल्डरों को कड़ा संदेश देते हुए कहा- सही समय पर फ्लैट हैंड ओवर करने या रिफंड देने में नाकाम होने पर कंपनी के अधिकारियों को गिरफ्तार किया जा सकता है।
क्या आप अपने सपनों का घर खरीदने का विचार कर रहे हैं। अगर अभी आप घर खरीदने से चूक गए तो भविष्य में शायद आपको इससे बेहतर मौका फिर मिलना मुश्किल होगा।
देश में बिना बिके मकानों और वाणिज्यिक एस्टेट की संख्या बढ़ती जा रही है। सबसे ज्यादा बिना बिके मकानों की संख्या दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में है।
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