भट्टाचार्य के अनुसार, उत्तर बंगाल में लगभग 300 चाय बागान हैं, जिनमें से 15 बंद हैं। टीएआई ने कहा कि उद्योग को उर्वरक, कोयला और रसायनों से लेकर उत्पादन लागत में अचानक वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है, जबकि नीलामी में कीमत बहुत कम मिल रही है।
एफएसएसएआई (FSSAI) के सीईओ जी कमला वर्धन राव ने कहा कि खाद्य सुरक्षा नियामक ने देशभर में चाय उद्योग में सर्वेक्षण कराया था और सैम्पल जमा किए थे।
कारोबारियों के अनुसार दार्जिलिंग चाय उद्योग को जीवित रखने के लिए सब्सिडी के रूप में कुछ सरकारी सहायता की जरूरत है जो नेपाल से आने वाली चाय से उत्पन्न खतरे को दूर करने में मदद करेगी।
राज्य में चाय उद्योग की संभावना बहुत उज्जवल है। राज्य में उद्योग को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार वर्तमान में चाय बागान की गुणवत्ता के मामले में देश में पांचवें स्थान पर है।
भारतीय चाय निर्यातक संघ के अध्यक्ष अंशुमन कनोरिया ने कहा, ‘‘"दार्जिलिंग चाय उद्योग ‘आईसीयू’ में है। उत्पादन लागत में वृद्धि हुई है, जबकि प्रतिकूल जलवायु के कारण फसल उत्पादन में गिरावट आ रही है।
दो दशकों की अवधि में, यह देखा गया है कि दार्जिलिंग में सालाना बारिश में 22 प्रतिशत की कमी आई है और वर्षा का प्रतिरूप ‘अनियमित’ हो गया है।
चाय बोर्ड के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, देश में जनवरी 2023 में चाय उत्पादन एक करोड़ 34.3 लाख किलोग्राम था, जबकि पिछले कैलेंडर वर्ष के इसी महीने में यह उत्पादन एक करोड़ 62.2 लाख किलोग्राम का था।
देश में प्रीमियम वर्ग के लोग अक्सर लाइट व महकती हुई चाय को ज्यादा पसंद करते है। वही, दूसरी ओर एक ऐसा तबका भी है जिसे कड़क व दमदार चाय ही पसंद है।
चाय के सबसे बड़े उत्पादक और इसका सबसे अधिक उपभोग करने वाले देश चीन में निर्यात इस साल जनवरी से अगस्त तक पिछले साल की समान अवधि के 40.5 लाख किलोग्राम से घटकर 35.5 लाख किलोग्राम रह गया।
इस दुर्लभ किस्म की चाय का केवल एक किलो उत्पादन किया और इसके लिए मिले नई रिकॉर्ड-तोड़ कीमत से खुश हैं जिसने इतिहास रच दिया है।
सबसे पहले HUL की बात करें तो यहां कंपनी के मशहूर कॉफी ब्रांड Bru कॉफी की कीमतें 3-7% तक बढ़ गई हैं।
असम के डिब्रूगढ़ जिले की एक विशेष चाय की मंगलवार को 99,999 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर नीलामी की गई।
निर्यात में सुस्ती का सामना कर रहे भारतीय चाय उद्योग का निर्यात 2021 में तीन से चार करोड़ किलो घट सकता है। इसका मुख्य कारण वैश्विक बाजारों में कम लागत वाली चाय के किस्मों की उपलब्धता और मजबूत आयातक रहे देशों में व्यापार पर जारी प्रतिबंध है।
क वर्ष में 85 लाख किलोग्राम दार्जिलिंग चाय का उत्पादन होता है जिसे 'चायों की शैंपेन' कहा जाता है लेकिन वैश्विक स्तर पर दार्जिलिंग चाय के नाम से पांच करोड़ किलोग्राम चाय की बिक्री होती है।
छोटा से राज्य त्रिपुरा में चाय उत्पादन का का इतिहास एक सदी लंबा है। उसकी इच्छा है कि उसके चाय की बांग्लादेश में फिर से नीलामी हो।
एक जाता रिपोर्ट के अनुसार बढ़ती मजदूरी के चलते चाय कंपनियों पर कीमतों को लेकर दबाव है। ऐसे में आगामी वित्त वर्ष में चाय की कीमतों में बढ़ोत्तरी हो सकती है।
गुवाहाटी चाय नीलामी केंद्र (जीटीएसी) ने कोरोना वायरस महामारी के बीच हुई एक नीलामी में चाय पत्ती की विशेष किस्म मनोहारी गोल्ड की बिक्री 75 हजार रुपये प्रति किलोग्राम की दर से की है।
भारतीय चाय निर्यातक संघ के मुताबिक पिछले साल निर्यात लगभग 25.2 करोड़ किलोग्राम का हुआ था। संघ को आशंका है कि ईरान से मांग में कमी आने की वजह से निर्यात का आकार 18 करोड़ से 18.5 करोड़ किलोग्राम तक घट जाएगा
अभी कंपनी के मंच पर 7,000 से अधिक शिक्षक हैं। हाल ही में बायजूस ने व्हाइटहैट जूनियर का अधिग्रहण किया है। कंपनी ने एक बयान में कहा कि वह देश में महिला शिक्षकों के आधार को बढ़ा रही है।
घरेलू बाजार में अच्छी गुणवत्ता वाली चाय के दाम करीब 100 रुपए प्रति किलोग्राम चढ़ गए हैं।
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