अमेरिका में बढ़ती बांड पैदावार चिंता का विषय है और इससे नकदी बाजार में बिकवाली का हालिया दौर शुरू हो गया है। वैश्विक शेयर बाजारों में तेजी फेड की धुरी से शुरू हुई, जिसमें 10 साल की बॉन्ड यील्ड 5 प्रतिशत से गिरकर लगभग 3.8 प्रतिशत हो गई।
भारत में एफपीआई प्रवाह में 2023 में बदलाव देखा गया और 28.7 अरब डॉलर का निवेश दर्ज किया गया। इससे पहले 2022 में एफपीआई ने घरेलू बाजार से 17.9 अरब डॉलर निकाले थे। 2023 में निवेश 2017 के बाद सबसे अधिक रहा, जब एफपीआई ने घरेलू बाजार में 30.8 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया था।
19 अक्टूबर को 5 प्रतिशत के शिखर पर पहुंचने के बाद 10-वर्षीय अमेरिकी बांड यील्ड में गिरावट शुरू हुई। पिछले दो दिनों के दौरान इसमें भारी गिरावट आई है, जिससे 3 नवंबर को यील्ड तेजी से घटकर 4.66 फीसदी रह गई। बांड यील्ड में इस उलटफेर का मुख्य कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल की टिप्पणी है।
इससे पहले, जनवरी-फरवरी के दौरान एफपीआई ने 34,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की थी।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार एक से पांच मार्च के दौरान एफपीआई ने शेयर बाजारों से शुद्ध रूप से 881 करोड़ रुपये और ऋण या बांड बाजार से 4,275 करोड़ रुपये निकाले हैं। इस तरह उनकी शुद्ध निकासी 5,156 करोड़ रुपये रही है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने नवंबर के पहले सप्ताह में घरेलू पूंजी बाजारों 12,000 करोड़ रुपए का निवेश किया है।
इस सप्ताह भारतीय शेयर बाजार की चाल आर्थिक आंकड़ों, प्रमुख कंपनियों के चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के नतीजों और वैश्विक बाजारों से मिलने वाले संकेतों से तय होगी।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों एफपीआई ने कराधान को लेकर स्पष्टता के बीच इस महीने अब तक भारतीय पूंजी बाजारों में 14,600 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया है।
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