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रिलायंस जियो यूजर्स सावधान! साइबर अटैक कर सकते हैं हैकर्स- रिपोर्ट में खुलासा

साइबर सिक्यॉरिटी कंपनी सिमेंटेक की रिपोर्ट के मुताबिक, जियो यूजर्स पर हैकर्स साइबर अटैक कर सकते हैं। सिमेंटेक ने एक मैलवेयर सोर्स कोड का पता लगाया है।

India TV Business Desk Written by: India TV Business Desk
Published on: October 31, 2019 14:51 IST
Reliance Jio users- India TV Paisa

Reliance Jio users

नई दिल्ली। रिलायंस जियो यूजर्स सावधान हो जाएं, जियो यूजर्स को लेकर साइबर सिक्यॉरिटी कंपनी सिमेंटेक (Symantec) ने एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। सिमेंटेक की रिपोर्ट के मुताबिक, जियो यूजर्स पर हैकर्स साइबर अटैक कर सकते हैं। सिमेंटेक ने एक मैलवेयर सोर्स कोड का पता लगाया है। आशंका जताई जा रही है कि हैकर्स मैलवेयर सोर्स कोड को जियो के यूजर्स पर साइबर अटैक करने के लिए तैयार कर रहे हैं।

साथ ही साइबर सिक्योरिटी कंपनी ने एक एक्सहेल्पर (Xhelper) नाम के मैलवेयर (वायरस) का भी पता लगाया है, जो फोन में छिपा रहता है और अन्य मलिशस ऐप डाउनलोड करता या विज्ञापन दिखाता है। सूत्रों की मानें तो हैकर्स इस वायरस के जरिए यूजर्स का निजी डाटा चोरी या फिर लीक करेंगे।

कंपनी ने अपने आधिकारिक पोस्ट में लिखा है कि हमने वायरस वाले क्लासेस और कंटेंट की जानकारी हासिल की है, जिन्हें जियो यूजर्स के खिलाफ इस्तेमाल किया जाएगा। लेकिन अभी तक इस क्लासेस को यूजर्स के डिवाइसेज में नहीं भेजा गया है। लेकिन हमें उम्मीद संदेह है कि हैकर्स भविष्य में जियो यूजर्स को टारगेट करने की प्लानिंग कर रहे हैं।

एक्सहेल्पर ऐसे करता है काम 

एक्सहेल्पर आपके फोन में एक एप के रूप में डाउनलोड होता है और फिर अपने आप छिप जाता है। एक्सहेल्पर गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध नहीं है, लेकिन थर्ड पार्टी ऐप स्टोर और अन्य सोर्स पर इसे देखा गया है। इसके साथ ही सिक्योरिटी कंपनी ने रिलायंस जियो यूजर्स को रैंडम एप्स और अनजान एपीके फाइल्स को इंस्टॉल नहीं करने की सलाह दी है।

अनइंस्टॉल करने के बाद भी अपने आप होता है डाउनलोड

सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि अगर यूजर्स एक्सहेल्पर वायरस वाले एप को अनइंस्टॉल कर देते हैं, तो यह अपने आप दोबारा डाउनलोड हो जाता है। हैकर्स ने इस एप को इस तरह डिजाइन किया है कि यह हिडेन एप (न दिखने वाला) की तरह काम करता है। साइबर सिक्यॉरिटी कंपनी सिमेंटेक ने दावा किया है कि इस मैलवेयर ने पिछले 6 महीने में 45 हजार से ज्यादा एंड्रॉयड डिवाइसेस को नुकसान पहुंचाया है।

हैकर्स यूजर्स का फोन ऐसे करते हैं कनेक्ट

हैकर्स इस वायरस वाले एप से यूजर्स के फोन की मेमरी को डिक्रिप्शन कर कनेक्ट करते हैं। पेलोड एम्बेड करने के बाद अटैकर्स अपने कमांड और कंट्रोल सर्वर से डिवाइसेज को जोड़ते हैं। इससे यूजर्स के फोन पर हैकर्स का पूरा कंट्रोल हो जाता है। 

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