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NPA समस्या को खत्‍म करने के लिए आ गया है निर्णायक कदम उठाने का समय: दीपक पारेख

बैंकिंग सेक्‍टर में NPA से निपटने के लिए बैड बैंक की जरूरत पर चर्चा के बीच बैंकर दीपक पारेख ने कहा है कि इस मामले में निर्णायक कदम उठाने का समय आ गया है।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Published on: March 16, 2017 20:20 IST
NPA समस्या को खत्‍म करने के लिए आ गया है निर्णायक कदम उठाने का समय: दीपक पारेख- India TV Paisa
NPA समस्या को खत्‍म करने के लिए आ गया है निर्णायक कदम उठाने का समय: दीपक पारेख

लंदन। बैंकिंग सेक्‍टर में लगातार बढ़ती गैर-निष्‍पादित संपत्तियों (NPAs) से निपटने के लिए बैड बैंक की जरूरत पर चर्चा के बीच जानेमाने बैंकर दीपक पारेख ने कहा है कि इस मामले में निर्णायक कदम उठाने का समय आ गया है। हालांकि उन्होंने ऐसे किसी कदम को लेकर आगाह किया जिससे यह लगे कि सरकार करदाताओं के धन का उपयोग प्रोत्साहन उपायों के लिए कर रही है।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा सरकार को बैंकों को साफ-सुथरा बनाए जाने से यह संकेत नहीं मिलना चाहिए कि कर्ज नहीं लौटाने वाले कर्जदार मामले में बच सकते हैं।

सप्ताहांत एलएसई स्टूडेंट्स यूनियन इंडिया फोरम में वित्तीय सुधार पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत के समक्ष बड़ी चुनौती गैर-निष्पादित कर्ज (NPA) का समाधान करने की है।

  • भारत के वृहत आर्थिक मानंदंडों में मजबूती को रेखांकित करते हुए पारेख ने कहा कि बही-खाते में दोहरी समस्या-कंपनियों तथा बैंक के बही खातों में दबाव-चिंताजनक है।
  • अगर निजी निवेश में तेजी नहीं आती है, भारत की वास्तविक वृद्धि संभावना हासिल नहीं हो पाएगी।
  • उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का NPA कुल कर्ज का 11.2 प्रतिशत पहुंच जाने का अनुमान है। वहीं निजी क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए 3.5 प्रतिशत पर पहुंच गया है।
  • प्रमुख बैंकर दीपक पारेख को भारत की वृद्धि संभावनाओं तथा सुधार एजेंडा को लेकर काफी उम्मीदें भी हैं।
  • उन्‍होंने कहा कि भारत दुनिया को दिखा रहा है कि वह व्यापार के लिए वास्तव में खुल चुका है, जो मौजूदा सरकार की प्रमुख उपलब्धि है।
  • सरकार ने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को समाप्त किया है।
  • सभी प्रकार की खरीद के लिए ई-निविदा प्रक्रिया लाने के सरकार के कदम की सराहना करते हुए पारेख ने कहा कि मानव हस्तक्षेप रहित इस पारदर्शी प्रणाली से यह सुनिश्चित हुआ है कि बोली के समय लिफाफों की अदला-बदली समाप्त हो गई है।
  • उन्‍होंने कहा कि उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार अपने इस बेदाग रिकॉर्ड को आगे बढ़ाए, लेकिन अधिक महत्वपूर्ण यह है कि इसे अब राज्य स्तर पर आगे बढ़ाया जाए।

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