Thursday, March 28, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. बिज़नेस
  4. इस साल आम आदमी की थाली से गायब नहीं होगी दाल, अच्छी पैदावार और सरकार के कदमों का दिखेगा असर

इस साल आम आदमी की थाली से गायब नहीं होगी दाल, अच्छी पैदावार और सरकार के कदमों का दिखेगा असर

पिछले वर्ष दाल की खुदरा कीमतों में अनाप- शनाप उछाल ने आम आदमी की रसोई का बजट बिगाड़ दिया था। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। देश में अच्छी पैदावार की उम्मीद है।

Dharmender Chaudhary Dharmender Chaudhary
Updated on: February 09, 2017 16:59 IST
इस साल आम आदमी की थाली से गायब नहीं होगी दाल, अच्छी पैदावार और सरकार के कदमों का दिखेगा असर- India TV Paisa
इस साल आम आदमी की थाली से गायब नहीं होगी दाल, अच्छी पैदावार और सरकार के कदमों का दिखेगा असर

इंदौर। पिछले वर्ष दालों की खुदरा कीमतों में अनाप- शनाप उछाल ने आम आदमी की रसोई का बजट बिगाड़ दिया था। लेकिन मौजूदा सत्र के दौरान देश में दलहनी फसलों की अच्छी पैदावार, सरकार द्वारा दालों का बफर स्टॉक तैयार करने और विदेशों से दालों के बडे़ आयात के मद्देनजर उद्योग जगत के जानकारों को लगता है कि इस साल दालों की कीमतें नियंत्रण में बनी रहेंगी।

ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने कहा, हमें उम्मीद है कि देश में इस साल दालों की पर्याप्त उपलब्धता के चलते इनकी कीमतें आम आदमी की पहुंच में बनी रहेंगी। उन्होंने बताया कि इस साल दालों की खपत 240 से 260 लाख टन के बीच रहने का अनुमान है। वहीं अनुकूल मौसमी हालात और रकबे में इजाफे के चलते दलहनी फसलों की पैदावार 200 लाख टन के आस- पास रह सकती है।

सरकार ने उठाए ये कदम

  • सरकार घरेलू खरीद और आयात के जरिये दालों का 20 लाख टन का बफर स्टॉक तैयार करने के लक्ष्य पर काम कर रही है।
  • इसके अलावा, मौजूदा साल में कारोबारियों के स्तर पर भी करीब 40 लाख टन दाल आयात का अनुमान है।
  • अग्रवाल ने कहा, इन कारकों के चलते इस साल घरेलू बाजार में दालों की उपलब्धता पिछले साल के मुकाबले काफी बढ़ेगी।
  • नतीजतन पिछले साल की तरह इनकी खुदरा कीमतों में अचानक भारी उछाल की संभावना कम ही है।
  • भारत को बर्मा, तंजानिया, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चीन और यूके्रन प्रमुख रूप से दाल निर्यात करते हैं।
  • भारत में दालों की खासी खपत को देखते हुए मोजाम्बिक, मलावी और केन्या जैसे अफ्रीकी देशों में भी दलहनी फसलों, खासकर तुअर की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।

अग्रवाल ने कहा, ये अफ्रीकी मुल्क भारत को दलहनी फसलों के बडे़ बाजार की तरह देख रहे हैं। उन्होंने बताया कि देश में पिछले साल दालों की खुदरा कीमतों में तेजी के बाद परंपरागत रूप से सोयाबीन, गेहूं, सरसों और कपास उगाने वाले किसानों ने भी इस वर्ष दालों की खेती को तरजीह दी है।

जानकारों के मुताबिक देश की प्रमुख मंडियों में इन दिनों दलहनी फसलों की अच्छी आवक हो रही है। इससे इनकी कीमतों में गिरावट का दौर जारी है।  

Latest Business News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Business News in Hindi के लिए क्लिक करें पैसा सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement