Wednesday, April 24, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. बिज़नेस
  4. भारत में बनेंगे पांचवी पीढ़ी के ग्राइपेन लड़ाकू विमान, स्वीडिश कंपनी साब तकनीक देने को तैयार

भारत में बनेंगे पांचवी पीढ़ी के ग्राइपेन लड़ाकू विमान, स्वीडिश कंपनी साब तकनीक देने को तैयार

ग्राइपेन लड़ाकू विमान की मैन्युफैक्चरिंग भारत में हो सकती है। साब ने अपनी पांचवी पीढ़ी के ग्राइपेन लड़ाकू विमान भारत में बनाने को तैयार हो गया है।

Dharmender Chaudhary Dharmender Chaudhary
Updated on: December 21, 2015 10:32 IST
भारत में बनेंगे पांचवी पीढ़ी के ग्राइपेन लड़ाकू विमान, स्वीडिश कंपनी साब तकनीक देने को तैयार- India TV Paisa
भारत में बनेंगे पांचवी पीढ़ी के ग्राइपेन लड़ाकू विमान, स्वीडिश कंपनी साब तकनीक देने को तैयार

नई दिल्ली। ग्राइपेन लड़ाकू विमान की मैन्युफैक्चरिंग भारत में हो सकती है। डिफेंस इक्विपमेंट बनाने वाली स्वीडन की कंपनी साब ने अपनी पांचवी पीढ़ी के ग्राइपेन लड़ाकू विमान भारत में बनाने को तैयार हो गया है। इसके अलावा साब ने भारत को इसकी तकनीक देने की भी पेशकश की है। कंपनी की यह पेशकश भारतीय वायु सेना के मॉडर्नाइजेशन के लिए प्रस्तावित अरबों डॉलर की योजना में अपने लिए अवसर निकालने के एक नए प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

साब की नजर वायु सेना से मिलने वाले कॉन्ट्रैक्ट पर

साब वर्ष 2011 में भारतीय वायुसेना के लिए मीडियम मल्टी रोल कॉम्बेट एयरक्राफ्ट (मझोले बहुउद्देशीय लड़ाकू विमानों) की सप्लाई का ठेका हासिल नहीं कर सकी थी। यह कॉन्ट्रैक्ट फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन के हाथ लगा। साब का अनुमान है कि भारतीय वायुसेना के विमान बेड़े को मजबूत करने का काम राफेल के 36 विमानों से पूरा नहीं होगा, उसे और अधिक लड़ाकू विमानों की जरूरत होगी। साब ने भारत में न सिर्फ एक मैन्युफैक्चरिंग सेंटर स्थापित करने बल्कि अगले 100 साल तक के लिए वैज्ञानिकी क्षेत्र के विकास में मदद की भी पेशकश की है। कंपनी साथ ही भारत के स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस और आधुनिक मध्यम लड़ाकू विमान के अगले स्वरूप के विकास में भी साझेदारी की बात कह रही है। इन विमानों का विकास एवं डिजाइन भारत की एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी की ओर से किया जा रहा है।

भारत की हर शर्त मानने को तैयार साब

साब के एयरोनॉटिक्स डिवीजन के प्रमुख उल्फ निल्सन ने कहा कि कंपनी भारत के लिए पहले से ही अपनी तैयारी कर रही है और सहयोग के लिए स्थानीय साझेदारों की पहचान कर रही है। निल्सन ने कहा कि तकनीक हस्तांतरण का प्रस्ताव वास्तविक होगा क्योंकि वे भारत को प्रणालियों पर पूर्ण नियंत्रण एवं सॉफ्टवेयर पर पूर्ण नियंत्रण की पेशकश कर रहे हैं। साब (भारत) के प्रमुख जेन वाइडरस्ट्रॉम ने कहा कि कंपनी भारत की निषेध सूची को भी मानने को तैयार है। यह निषेध सूची भारत में विनिर्मित लड़ाकू विमानों को अन्य देशों को निर्यात करने के निषेध की शर्त से जुड़ी है। इस शर्त को रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने पिछले महीने एक साक्षात्कार में स्पष्ट किया था। वाइडरस्ट्रॉम ने कहा, रक्षा उपकरणों के निर्यात के मामले में हमारे स्वीडन में भी लगभग ऐसी ही व्यवस्था है। इसपर निर्णय सरकार लेती है और हम भी कुछ खास देशों को रक्षा सामान का निर्यात नहीं कर सकते हैं। यह लगभग भारत जैसा ही है।

हल्के लड़ाकू विमान के लिए मदद देने को तैयार

साब के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हकन बुस्खे ने कहा कि कंपनी स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान परियोजना के लिए हर तरह की मदद देने को तैयार है। भारतीय वायुसेना ने अक्टूबर में कहा था कि उसे अपनी क्षमताएं बढ़ाने के लिए कम से कम छह अतिरिक्त स्कवार्डनों की जरूरत होगी, जिसमें 108 राफेल लड़ाकू विमान या इसके जैसे ही लड़ाकू विमान शामिल होंगे। चूंकि सरकार 126 एमएमआरसीए (मीडियम मल्टी रोल कॉम्बेट एयरक्राफ्ट) की अरबों की निविदा रद्द कर रही है, ऐसे में विमानन उद्योग में यह नई उम्मीद पैदा हुई है कि भारत इन नए लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए नए टेंडर निकाल सकता है। साब के अलावा अमेरिका की लॉकहीड मार्टिन और फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट एविएशन ने भी सरकार के मेक इन इंडिया के अनुरूप लड़ाकू विमानों की पेशकश की है।

Latest Business News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Business News in Hindi के लिए क्लिक करें पैसा सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement