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चीनी मिलों ने गन्ना किसानों के 92 फीसदी बकाए का भुगतान किया

सरकार ने कहा कि चीनी मिलों ने गन्ना किसानों के 48,675 करोड़ रुपए के बकाए का भुगतान कर दिया है, जो कुल बकाये का 92 फीसदी है।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Updated on: June 29, 2016 19:18 IST
चीनी मिलों ने गन्ना किसानों के 92 फीसदी बकाए का किया भुगतान, 4225 करोड़ रुपए का बकाया शेष- India TV Paisa
चीनी मिलों ने गन्ना किसानों के 92 फीसदी बकाए का किया भुगतान, 4225 करोड़ रुपए का बकाया शेष

नई दिल्ली। सरकार ने कहा कि चीनी मिलों ने गन्ना किसानों के 48,675 करोड़ रुपए के बकाए का भुगतान कर दिया है और उन पर सितंबर को समाप्त होने वाले चालू विपणन वर्ष में करीब 4,225 करोड़ रुपए का बकाया रह गया है। गन्ना के कुल बकाये में उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 1,975 करोड़ रुपए का बकाया था। भुगतान योग्य गन्ना कीमत और बकाये को उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी), जो अधिकतम कीमत है और केंद्र द्वारा निर्धारित किया जाता है, के आधार पर गणना की गई है और यह किसानों को दिया जाएगा। विपणन वर्ष 2015-16 के लिए गन्ने का एफआरपी 230 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।

खाद्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, चालू चीनी सत्र 2015-16 के दौरान देश भर में चीनी मिलों  द्वारा किसानों से करीब 23 करोड़ टन गन्ने की खरीद की गई थी। मंत्रालय ने कहा, उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) के आधार पर गन्ना के कुल 52,900 करोड़ रुपए के कुल बकाए में से चालू चीनी सत्र में गन्ना कीमत के बकाये के रूप में केवल 4,225 करोड़ रुपए अब बच गए हैं। इसमें कहा गया है कि चीनी मिलों ने अभी तक गन्ना बकाया राशि का करीब 92 फीसदी का भुगतान कर दिया है।

बयान में कहा गया है, चालू चीनी सत्र के लिए कुल लंबित गन्ना कीमत के बकाए में से करीब 1,975 करोड़ रुपए का बकाया उत्तर प्रदेश में है। यह बकाये भुगतान का करीब 14 फीसदी है। गन्ना बकाये का अधिकांश 1,600 करोड़ रुपए का हिस्सा पांच चीनी समूह कंपनियों बजाज, मवाना, मोदी, सिम्भौली और राना के हैं। देश में प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र ने लगभग 96 फीसदी गन्ना कीमत बकाये का भुगतान कर दिया है। कर्नाटक जैसे अन्य प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य ने किसानों के अपने बकाये के 94 प्रतिशत राशि का भुगतान कर दिया है। चीनी सत्र 2014-15 के दौरान पिछले वर्ष अप्रैल में गन्ने का बकाया 21,800 करोड़ रुपए की ऊंचाई को छू गया था और अब यह घटकर मात्र 684 करोड़ रुपए रह गया है।

मंत्रालय ने कहा, केंद्र सरकार निरंतर गन्ना मूल्य बकाये की स्थिति की निगरानी करती आ रही है और राज्यों को परामर्श दे रही है कि वे अपने बकाए का तेजी से निपटान करें। ब्राजील के बाद भारत दुनिया में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। चीनी उत्पादन विपणन वर्ष 2015-16 में घटकर 2.5 करोड़ टन रह जाने का अनुमान है, जो उससे पिछले वर्ष में 2.83 करोड़ टन का हुआ था। चीनी की वार्षिक मांग करीब 2.6 करोड़ टन होने का अनुमान है।

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