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छोटी कंपनियों के IPO से जुटाए गए धन पर होगी सेबी की नजर, खर्च पर कड़ी निगरानी के लिए नियुक्‍त होगी एजेंसी

सेबी की योजना अब आईपीओ से 500 करोड़ रुपए तक का धन जुटाने वाली सभी छोटी कंपनियों के लिए निगरानी एजेंसी की नियुक्ति को अनिवार्य करने की है।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Updated on: April 13, 2017 19:51 IST
छोटी कंपनियों के IPO से जुटाए गए धन पर होगी सेबी की नजर, खर्च पर कड़ी निगरानी के लिए नियुक्‍त होगी एजेंसी- India TV Paisa
छोटी कंपनियों के IPO से जुटाए गए धन पर होगी सेबी की नजर, खर्च पर कड़ी निगरानी के लिए नियुक्‍त होगी एजेंसी

नई दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) छोटी कंपनियों द्वारा आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिये जुटाई गई राशि का दुरुपयोग रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की योजना बना रहा है। नियामक की योजना अब आईपीओ से 500 करोड़ रुपए तक का धन जुटाने वाली सभी छोटी कंपनियों के लिए निगरानी एजेंसी की नियुक्ति को अनिवार्य करने की है, जो जुटाई गई पूंजी के खर्च की निगरानी करेगी।

मौजूदा नियमों के तहत सार्वजनिक निर्गम के जरिये 500 करोड़ रुपए या इससे अधिक धन जुटाने वाली कंपनियों के लिए निगरानी एजेंसी की नियुक्ति की जरूरत होती है। यह एजेंसी बैंक या सार्वजनिक वित्तीय संस्थान हो सकता है।

सूत्रों ने कहा कि छोटे निर्गमों या शेयर बिक्री के जरिये जुटाई गई 500 करोड़ रुपए से कम की राशि का दुरुपयोग रोकने के लिए नियामक अब सभी कंपनियों के लिए निगरानी एजेंसी की नियुक्ति को अनिवार्य करने पर विचार कर रहा है। यानी आईपीओ का आकार कुछ भी हो सभी कंपनियों को निगरानी एजेंसी की नियुक्ति करनी होगी।

यही नियम आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिये निवेशकों से धन जुटाने के अलावा राइट इश्यू के जरिये मौजूदा निवेशकों से धन जुटाने पर भी लागू होगा। इसमें बैंक और सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों जैसी कुछ कंपनियों को इस प्रावधान से छूट है क्‍योंकि इस वर्ग की इकाइयों को और कड़े नियामकीय अनुपालन को पूरा करना होता है।

छोटी कंपनियों के लिए भी निगरानी एजेंसी की अनिवार्यता संबंधी प्रस्ताव को सेबी के निदेशक मंडल की 26 अप्रैल को होने वाली अगली बैठक में रखा जा सकता है। इस तरह की शिकायतें मिली हैं कि कुछ कंपनियों ने पेशकश दस्तावेज में उल्‍लेखित  उद्देश्‍यों से अलग भी आईपीओ के धन का इस्तेमाल किया है।

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