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भारतीय स्‍टेट बैंक में सहयोगी बैंकों को मिलाना सही, अर्थशास्त्री मेघनाद देसाई ने सरकार के कदम को बताया उचित

जाने-माने अर्थशास्त्री मेघनाद देसाई ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के सहयोगी बैंकों का एसबीआई में विलय करने की अनुमति देने के सरकार के फैसले को सही बताया है।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Updated on: July 10, 2016 13:46 IST
SBI में सहयोगी बैंकों को मिलाना सही, अर्थशास्त्री मेघनाद देसाई ने सरकार के कदम को बताया उचित- India TV Paisa
SBI में सहयोगी बैंकों को मिलाना सही, अर्थशास्त्री मेघनाद देसाई ने सरकार के कदम को बताया उचित

नई दिल्ली। जाने-माने अर्थशास्त्री मेघनाद देसाई ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के सहयोगी बैंकों का एसबीआई में विलय करने की अनुमति देने के सरकार के फैसले को सही बताया है। उन्‍होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ अन्य बैंकों को मौजूदा तीन या चार बड़े बैंकों में विलय कर देना चाहिए।

भारतीय मूल के अर्थशास्त्री और ब्रिटिश राजनेता देसाई ने कहा, भारतीय स्टेट बैंक का  पुनर्गठन बहुत अच्छा विचार है। सार्वजनिक क्षेत्र के मौजूदा 24 बैंकों (एसबीआई और इसके भागीदार को छोड़कर) का तीन या चार बड़े बैंकों में विलय कर दिया जाना चाहिए। मंत्रिमंडल ने पिछले महीने एसबीआई और इसके सहयोगी बैंकों के विलय को मंजूरी दी, जिससे सार्वजनिक क्षेत्र का यह बैंक वैश्विक आकार का बैंक हो जाएगा।

एसबीआई में शामिल किए जाने वाले ये पांच सहयोगी बैंक- स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर और स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद- हैं। एसबीआई की अध्यक्ष अरुंधती भट्टाचार्य ने कहा था कि एसबीआई और इसके सहयोगी बैंकों का विलय दोनों पक्षों के लिए लाभदायक है।

स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर और स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर के शेयर बाजार में सूचीबद्ध हैं। विलय के बाद एक स्टेट बैंक और विशाल बैंकिंग इकाई बनेगी, जो इस क्षेत्र में विश्व की बड़ी इकाई के साथ प्रतिस्पर्धा करेगी। विलय के बाद एबीआई की परिसंपत्ति 37 लाख करोड़ रुपए या 555 अरब डॉलर होगी। इसकी शाखाओं की संख्या बढ़ कर 22,500 और एटीएम 58,000 हो जाएंगे। बैंक के उपभोक्ताओं की संख्या 50 करोड़ से अधिक होगी। फिलहाल एसबीआई की 16,500 शाखाएं हैं, जिनमें 36 देशों के 191 विदेशी कार्यालय भी शामिल हैं।

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