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रूंगटा बंधुओं को चार साल की जेल, भरना होगा 5-5 लाख रुपए का जुर्माना

विशेष अदालत ने ब्‍लॉक आवंटन में हुई अनियमितता के मामले में जेआईपीएल के डायरेक्‍टर आरसी रूंगटा और आरएस रूंगटा को चार-चार साल जेल कैद की सजा सुनाई है।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Updated on: April 04, 2016 16:13 IST
Coal scam Verdict : रूंगटा बंधुओं को चार साल की जेल, भरना होगा 5-5 लाख रुपए का जुर्माना- India TV Paisa
Coal scam Verdict : रूंगटा बंधुओं को चार साल की जेल, भरना होगा 5-5 लाख रुपए का जुर्माना

नई दिल्‍ली। सीबीआई की विशेष अदालत ने सोमवार को एक कोल ब्‍लॉक आवंटन में हुई अनियमितता के मामले में झारखंड इस्‍पात प्राइवेट लिमिटेड (जेआईपीएल) के डायरेक्‍टर आरसी रूंगटा और आरएस रूंगटा को चार-चार साल जेल कैद की सजा सुनाई है। विशेष सीबीआई जज भरत पाराशर, जिन्‍होंने कोयला घोटाले में पहला फैसला सुनाया है, ने दोनों आरोपियों पर 5-5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। अदालत ने 28 मार्च को अपने फैसले में कहा था कि आरोपियों ने झारखंड में कंपनी को उत्तरी धाडू कोयला ब्‍लॉक आबंटित करवाने में धोखाधड़ी की और बेईमानी के इरादे से सरकार को धोखा दिया।

रूंगटा बंधुओं के अलावा कोर्ट  ने जेआईपीएल पर भी 25 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है, कंपनी को भी इस मामले में दोषी बनाया गया है। रूंगटा और जेआईपीएल कोल ब्‍लॉक आवंटन घोटाले में सजा पाने वाले पहले दोषी हैं। यह मामला झारखंड के उत्तरी धाडू कोयला ब्‍लॉक के आवंटन में हुई अनियमितताओं से जुड़ा है। इसके अलावा, सीबीआई द्वारा अन्‍य 19 मामलों की जांच की जा रही है। कोल ब्‍लॉक घोटाले से जुडे़ मामलों की नियमित सुनवाई के लिए विशेष अदालत का गठन किया गया है।  सीबीआई के विशेष न्यायाधीश भरत पाराशर ने कंपनी और इसके दोनों निदेशकों को भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक षडयंत्र) और 420 (धोखाधड़ी) का दोषी पाया था। इससे पहले कोर्ट ने पिछली 21 मार्च को मामले में फैसला सुनाने के लिए 28 मार्च की तारीख तय की थी। कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले में यह पहला प्रकरण है, जिसमें विशेष अदालत अपना फैसला सुनाया है। विशेष अदालत कोयला घोटाला मामले से जुड़े सभी पहलुओं को देख रही है।

सीबीआई का आरोप था कि जेआईपीएल और तीन अन्य कंपनियों इलेक्ट्रो स्टील कास्टिंग लि., आधुनिक एलॉयज एंड पावर लि. और पवनजय स्टील तथा पावर लि. को संयुक्त रूप से धाडू कोयला ब्लॉक आबंटित किए गए। लेकिन न तो जांच समिति ने आवेदनकर्ता कंपनी के दावे का सत्यापन किया और न ही राज्यमंत्री (एमओएस) ने आवेदनकर्ता कंपनियों के आकलन के लिये कोई तौर-तरीके अपनाएं। अदालत ने इन पर आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी के आरोप में मुकदमा चलाया था।

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