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अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए नीतिगत दर में कटौती कर सकता है रिजर्व बैंक

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आर्थिक वृद्धि को रफ्तार देने के लिए नीतिगत दर में लगातार छठवीं बार कटौती कर सकता है।

India TV Business Desk Written by: India TV Business Desk
Published on: December 01, 2019 18:34 IST
Reserve Bank Of India- India TV Paisa

Reserve Bank Of India

नयी दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आर्थिक वृद्धि को रफ्तार देने के लिए नीतिगत दर में लगातार छठवीं बार कटौती कर सकता है। विशेषज्ञों ने यह बात कही। विनिर्माण गतिविधियों में गिरावट के कारण आर्थिक वृद्धि दर घटकर 4.5 प्रतिशत पर आ गई है। यह आर्थिक वृद्धि का छह साल से अधिक का न्यूनतम आंकड़ा है। गौरतलब है कि केंद्रीय बैंक 2019 में अब तक पांच बार नीतिगत दर में कटौती कर चुका है। सुस्त पड़ती वृद्धि को रफ्तार देने और वित्तीय प्रणाली में धन उपलब्धता की स्थिति को बढ़ाने के लिए नीतिगत दर में कुल मिलाकर 1.35 प्रतिशत की कमी की गई है। इस समय रेपो दर 5.15 प्रतिशत है।

एक बैंकर ने पहचान उजागर नहीं करते हुए बताया कि आरबीआई गवर्नर ने पिछले दिनों कहा था कि जब तक आर्थिक वृद्धि में सुधार नहीं होता तब तक ब्याज दरों में कटौती की जाएगी। इससे इस बात की संभावना है कि तीन दिसंबर से शुरू होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर घटाई जा सकती है। आईएचएस मार्किट के मुख्य अर्थशास्त्री (एशिया प्रशांत) राजीव विश्वास ने कहा, 'आरबीआई ने अक्टूबर में दरों में कटौती के साथ मौद्रिक नीति को उदार बनाये रखने का फैसला किया था। इस स्थिति में आर्थिक मोर्चे पर सुस्ती रहने बनी रहने से नीतिगत दर में कटौती की संभावना है।' 

डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि मुद्रास्फीति नीचे बनी हुई है और अर्थव्यवस्था की क्षमता को देखते हुए इसके नीचे ही बने रहने की उम्मीद है। इसलिए आरबीआई के पास नीतिगत दर में कटौती की गुंजाइश बनी हुई है। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के मुख्य अर्थशास्त्री निखिल गुप्ता ने कहा, 'हमें आशंका है कि अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में बेहतर वृद्धि देखने को नहीं मिले। त्योहारी महीना होने के बावजूद प्रमुख सूचकांकों में अक्टूबर में गिरावट का रुख रहा। हमें लगता है कि आर्थिक वृद्धि दर तीसरी तिमाही में घटकर 4 प्रतिशत के करीब आ सकती है।'

आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक पर रहेगी बाजार की नजर

देश के शेयर बाजार में इस सप्ताह निवेशकों की नजर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक पर रहेगी। इसके अलावा बाजार की दिशा तय करने में प्रमुख आर्थिक आंकड़ों की अहम भूमिका होगी। घरेलू शेयर बाजार में बीते सप्ताह जीडीपी के खराब आंकड़ों से निवेशकों का मनोबल टूटा जिसके कारण सप्ताह के आखिरी सत्र में गिरावट दर्ज गई और इसका असर बाजार पर इस सप्ताह भी देखने को मिलेगा।

वहीं, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव, डॉलर के मुकाबले रुपए की चाल समेत सप्ताह के दौरान जारी होने वाले प्रमुख आर्थिक आंकड़ों व ऑटो कंपनियों की पिछले महीने की बिक्री के आंकड़ों का भी असर देखने को मिलेगा। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की द्विमासिक समीक्षा बैठक मंगलवार (3 दिसंबर) को शुरू हो रही है जिसके नतीजे गुरुवार (5 नवंबर) को आएंगे। आरबीआई इस बैठक में प्रमुख ब्याज दर में फिर कटौती को लेकर फैसला ले सकता है। पिछले सप्ताह शुक्रवार को देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के जो आंकड़े आए उससे आर्थिक सुस्ती के संकेत मिलते हैं जिसका असर इस सप्ताह की शुरुआत में बाजार पर देखने को मिलेगा। 

दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी विकास दर घटकर 4.5 फीसदी पर आ गई जोकि इससे पहले पहली तिमाही में पांच फीसदी थी। वहीं, औद्योगिक उत्पादन के अक्टूबर महीने के जो आंकड़े आए वो भी उत्साहवर्धक नहीं हैं। उधर, मार्किट मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई के नवंबर महीने के आंकड़े सोमवार (2 दिसंबर) को जारी होंगे जबकि नवंबर महीने के लिए मार्किट सर्विसेस पीएमआई के आंकड़े बुधवार (4 दिसंबर) को आएंगे। इस पर बाजार की नजर होगी। इसके अलावा, संसद के चालू शीतकालीन सत्र के दौरान होने वाले फैसलों व अन्य राजनीतिक घटनाक्रमों पर भी निवेशकों की निगाहें होंगी। संसद का शीतकालीन सत्र 13 दिसंबर तक चलेगा।

उधर, अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक मसलों को सुलझाने की दिशा में होने वाली प्रगति का भी बाजार पर असर देखने को मिलेगा। वहीं, चीन में नवंबर महीने के कैक्सिन मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई के आंकड़े सोमवार को जारी होंगे। इसी दिन अमेरिका में भी नवंबर महीने के मार्किट मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई के आंकड़े जारी होंगे।

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