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विदेशों में मसाला बांड जारी कर अब बैंक जुटा सकेंगे पूंजी, रिजर्व बैंक ने दी अनुमति

रिजर्व बैंक द्वारा बांड बाजार में सुधार संबंधी किए गए महत्वपूर्ण निर्णयों से बैंकों में पूंजी और नकदी की चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Published on: August 26, 2016 16:46 IST
विदेशों में मसाला बांड जारी कर अब बैंक जुटा सकेंगे पूंजी, रिजर्व बैंक ने दी अनुमति- India TV Paisa
विदेशों में मसाला बांड जारी कर अब बैंक जुटा सकेंगे पूंजी, रिजर्व बैंक ने दी अनुमति

मुंबई। रिजर्व बैंक द्वारा बांड बाजार में सुधार संबंधी किए गए महत्वपूर्ण निर्णयों से बैंकों में पूंजी और नकदी की चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी तथा इससे देश के बांड बाजार का विस्तार होने की संभावना है। रेटिंग एजेंसियों ने इसे बैंकों के लिए अच्छा कदम बताया है।

केंद्रीय बैंक ने वाणिज्यिक बैंकों को अपना पूंजी आधार मजबूत करने के लिए उन्हें अब विदेशी बाजार में मसाला बांड जारी करने की अनुमति दी है। मसाला बांड रुपए में अंकित बांड होते हैं। इसके अलावा अब वह बैंकों को तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत कंपनियों के बांड के एवज में भी फौरी उधार उपलब्ध कराएगा। एलएएफ के तहत केंद्रीय बैंक रेपो दर पर बैंकों को उनके पास से सरकारी प्रतिभूतियां रख कर एक-दोन दिन के लिए उधार देता है।

रिजर्व बैंक की यहां जारी विज्ञप्ति के अनुसार, इन उपायों का मकसद बाजार विकास को और गहरा बनाना, भागीदारी का विस्तार और बाजार में तरलता को बढ़ाना है। इसमें कहा गया है कि बैंकों को उनकी पूंजी जरूरतों को पूरा करने और सस्ते मकानों तथा ढांचागत परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए बैंकों को विदेशी बाजारों में रुपए में अंकित बांड (मसाला बांड) जारी करने की अनुमति दी जा रही है। इससे विदेशों में रुपए के बांड बाजार को प्रोत्साहन मिलेगा।

वर्तमान में मसाला बांड केवल कंपनियां और गैर-बैंकिंग कंपनियों जैसे कि आवास वित्त कंपनियों और बड़े एनबीएफसी द्वारा ही जारी किए जा सकते हैं। मसाला बांड ऐसा वित्त साधन है, जिसके जरिये भारतीय कंपनियां विदेशी बाजारों से पूंजी जुटा सकतीं हैं। इसमें बांड जारी करने वाले को यह सुविधा मिलती है कि मुद्रा विनिमय का जोखिम निवेशक पर होता है। रिजर्व बैंक की विज्ञप्ति के मुताबिक इससे बैंकों को टीयर-एक और टीयर-दो के तहत अतिरिक्त पूंजी प्राप्त होगी। इसमें कहा गया है कि इस प्रकार के विदेशी बाजारों में जारी किए जाने वाले बांड ढांचागत परियोजनाओं और सस्ती आवास योजनाओं के वित्तपोषण के लिए भी जारी किए जा सकेंगे।

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