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नोटबंदी के बाद RBI ने दी बड़ी राहत, होम और कार समेत अन्‍य लोन की EMI पेमेंट के लिए दिया 60 दिनों का एक्‍सट्रा टाइम

बैंकों और NBFC के कर्जदारों की समस्या को देखते हुए RBI ने एक करोड़ तक के होम, कार, एग्रिकल्चर और अन्य लोन के पेमेंट के लिए 60 दिन का एक्‍सट्रा टाइम दिया है।

Manish Mishra Manish Mishra
Published on: November 22, 2016 12:41 IST
नोटबंदी के बाद RBI ने दी बड़ी राहत, होम और कार समेत अन्‍य लोन की EMI पेमेंट के लिए दिया 60 दिनों का एक्‍सट्रा टाइम- India TV Paisa
नोटबंदी के बाद RBI ने दी बड़ी राहत, होम और कार समेत अन्‍य लोन की EMI पेमेंट के लिए दिया 60 दिनों का एक्‍सट्रा टाइम

मुंबई। बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के कर्जदारों की नकदी की समस्या को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक करोड़ रुपए तक के होम, कार, एग्रिकल्चर और अन्य लोन के पेमेंट के लिए 60 दिन का एक्‍सट्रा टाइम दिया है। इस अवधि में बैंकों को ऐसे कर्जों को NPA की श्रेणी में नहीं दिखाने की छूट होगी। RBI ने एक अधिसूचना में कहा कि यह 1 नवंबर और 31 दिसंबर के बीच पेमेंट की जाने वाली किस्तों (EMIs) पर लागू होगा।

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इन लोगों को होगा फायदा

  • यह छूट उन कर्जदार इकाइयों के लिए भी उपलब्ध है जो एक करोड़ रुपए या उससे कम की कर्ज सीमा के साथ बैंक से कारोबार के दैनिक खर्च के लिए लोन ले रखा है और इसके लिए वर्किंग कैपिटल अकाउंट्स खोलाा हुआ है।
  • केंद्रीय बैंक ने कहा है कि इस छूट से बैंकों और किसी प्रकार की NBFC के खातें में एक करोड़ रुपए या उससे कम की स्वीकृत सीमा के टर्म बिजनस या पर्सलन लोन को भी इस छूट का फायदा हो गया।
  • ये लोन गारंटी वाले या बगैर गारंटी दोनों तरह के हो सकते हैं। इनमें होम और एग्रिकल्चर लोन भी शामिल होंगे।

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रिजर्व बैंक ने कहा, थोड़े समय के लिए है यह व्‍यवस्‍था

  • RBI ने कहा है कि सभी रेग्युलेटेड फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशंस को इस पर गौर करना चाहिए कि यह व्यवस्था का कुछ समय के लिए है।
  • इसका मकसद उक्त अवधि के दौरान पेमेंट में देरी के कारण फंसे लोन के क्लासिफिकेशन को कुछ समय के लिए टालना है और यह रीस्ट्रक्चरिंग ऑफ द लोन नहीं है।
  • रिजर्व बैंक के इस कदम की तारीफ हो रही है।

DHFL के सीईओ हर्षल मेहता ने कहा

RBI का यह कदम स्वागतयोग्य है क्योंकि नोटबंदी की वजह से कई कस्टमर्स ने समय पर बकाया चुकाने में अक्षमता जाहिर की है।

गौरतलब है कि बैंकों को रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित एक निश्चित समय सीमा के बाद भी लोन की किस्तों की वसूली न होने पर उसके लिए पूंजी का प्रावधान करना पड़ता है जिससे उनके लाभ पर असर होता है।

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