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भारत दुनिया के शीर्ष छह बेहतर बाजारों में है शुमार, लेकिन शीर्षता के क्रम में एक पायदान फिसला 

दुनिया के सीईओ मानते हैं कि अगले 12 माह के दौरान यदि सकल वृद्धि की बात की जाए तो भारत शीर्ष 6 देशों में शामिल है। पिछले साल भारत शीर्ष 5 देशों में शामिल था।

Manish Mishra Manish Mishra
Updated on: January 17, 2017 14:37 IST
भारत दुनिया के शीर्ष छह बेहतर बाजारों में है शुमार, लेकिन शीर्षता के क्रम में एक पायदान फिसला - India TV Paisa
भारत दुनिया के शीर्ष छह बेहतर बाजारों में है शुमार, लेकिन शीर्षता के क्रम में एक पायदान फिसला 

दावोस दुनिया के सीईओ मानते हैं कि अगले 12 माह के दौरान यदि सकल वृद्धि की बात की जाए तो भारत शीर्ष छह देशों में शामिल है। हालांकि, इसके साथ ही उनका यह भी मानना है कि तीन साल पहले भारत में निवेश को लेकर जितना उत्साह था उसमें अब कमी आई है।

ग्रोथ के नजरिए से अमेरिका शीर्ष पर तो भारत छठे पायदान पर

  • वैश्विक सलाहकार संस्था पीडब्ल्यूसी के ताजा सालाना वैश्विक सीईओ सर्वेक्षण के मुताबिक ग्रोथ के लिहाज से दुनिया के शीर्ष दो बाजारों में 43 प्रतिशत सीईओ ने पहले स्थान पर अमेरिका जबकि 33 प्रतिशत सीईओ ने चीन को दूसरा स्थान दिया है।
  • इसके बाद जर्मनी तीसरे, ब्रिटेन चौथे नंबर पर, जापान पांचवें और भारत को छठा स्थान दिया गया है।
  • पिछले साल इस तरह के सर्वेक्षण में सबसे बेहतर संभावनाओं वाले बाजारों में भारत शीर्ष पांच देशों में शामिल था।

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इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर सुधारों में सुस्‍ती और नोटबंदी के कारण भारत के प्रति उत्‍साह में आई कमी

  • सर्वेक्षण में कहा गया है कि कुछ समय से मुख्य कार्यकारी अधिकारियों में भारत के प्रति उत्साह में कमी आई है।
  • शायद इसकी वजह भारत में ढांचागत सुधारों की धीमी गति होना है।
  • इसके अलावा हाल ही में वहां मुद्रा में बदलाव को लेकर भी कुछ अल्पकालिक समस्याएं खड़ी होने से ऐसा हुआ है।
  • सर्वेक्षण में हालांकि आगे कहा गया है, इन सब बातों के बावजूद भारत अपनी तीव्र वृद्धि और मौद्रिक तथा वित्तीय सुधारों के मामले में अलग से पहचान रखता है।
  • सर्वेक्षण के नतीजे बताते हैं कि बाजारों में यह बदलाव देशों की मुद्राओं में होने वाले उतार-चढ़ाव की वजह से भी हुआ है।
  • इसकी वजह से कंपनी सीईओ विभिन्न देशों की तरफ मुड़े हैं।
  • इस साल के अध्ययन से पता चलता है कि अमेरिका, जर्मनी और ब्रिटेन अब सीईओ के लिये बड़ी प्राथमिकताओं में आ गए हैं जबकि ब्राजील, भारत, रूस और अर्जेंटीना की तरफ आकर्षण तीन साल पहले के मुकाबले कम हुआ है।

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