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पुराने नोट रखने वालों के खिलाफ नहीं होगी आपराधिक कार्रवाई, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं का किया निस्‍तारण

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह आश्‍वासन दिया है कि बंद हो चुके 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट अपने पास रखने वाले लोगों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई नहीं होगी।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Updated on: November 03, 2017 15:24 IST
पुराने नोट रखने वालों के खिलाफ नहीं होगी आपराधिक कार्रवाई, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं का किया निस्‍तारण- India TV Paisa
पुराने नोट रखने वालों के खिलाफ नहीं होगी आपराधिक कार्रवाई, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं का किया निस्‍तारण

नई दिल्‍ली। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को यह आश्‍वासन दिया है कि बंद हो चुके 500 और 1000 रुपए के नोटों को 30 दिसंबर 2016 के बाद भी अपने पास रखने वाले उन लोगों के खिलाफ कोई आपराधिक कार्रवाई नहीं की जाएगी, जिन्‍होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इन याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से नोट जमा करने के लिए और समय दिलाए जाने की मांग की है।

भारत के प्रधान न्‍यायधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के सम्‍मुख एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने दोबारा से याचिकाकर्ताओं को यह आश्‍वासन दिया, लेकिन उन्‍होंने आगे कहा कि आपराधिक कार्रवाई से यह सुरक्षा केवल उसी विमुद्रीकरण मुद्रा के खिलाफ है, जिसका उल्‍लेख सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में किया गया है। इसके अलावा अन्‍य विमुद्रीकृत मुद्रा पर वह सुरक्षा का दावा नहीं कर सकते हैं।

याचिकाकर्ताओं ने, जिसमें महाराष्‍ट्र के ऐसे किसान जो नोटबंदी के दौरान अस्‍पताल में भर्ती थे और विदेशी नागरिक शामिल हैं, सुप्रीम कोर्ट से सरकार को नोट जमा करने की तारीख आगे बढ़ाने की अपील की है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि नोटबंदी का कानून अभी भी संविधानिक तौर पर वैध है और कोर्ट उन्‍हें कानून के खिलाफ कोई भी राहत नहीं दे सकता है। चलन से बाहर हुए नोटों को जमा करने की अनुमति के लिए दायर 14 याचिकाओं का निस्तारण करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी के केंद्र के फैसले की वैधता के साथ ही इस पहलू पर भी पांच सदस्यीय संविधान पीठ विचार करेगी।

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने कहा कि संविधान पीठ उन लोगों की व्यक्तिगत याचिकाओं पर भी विचार करेगी जो भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से तय समय सीमा में पुराने नोट जमा नहीं करा सके थे। याचिका दायर करने वाले कुछ लोगों का कहना है कि उन्होंने आरबीआई अधिनियम या केंद्र की आठ नवंबर, 2016 की अधिसूचना की संवैधानिक वैधता को चुनौती नहीं दी है, बल्कि वह अपने पास रखे चलन से बाहर हुए नोट जमा कराना चाहते हैं।

पीठ ने याचिका दायर करने वालों से कहा है कि वह लंबित याचिकाओं में दो-तीन पन्नों की अर्जी दें जिनपर संविधान पीठ बाद में सुनवायी करेगी। इसके साथ ही न्यायालय ने 14 व्यक्तिगत याचिकाओं का निबटारा कर दिया।

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