नई दिल्ली। शनिवार को दिल्ली के NDIM (New Delhi Institute of Management) में मिथिला अस्मिता ने Traditional Art Entrepreneurship Summit का आयोजन किया। समिट का मकसद था कि कैसे पारंपारिक कलाओं के जरिए देशभर में रोजगार बढ़ाया जाए।
कुटीर उद्योग में कृषि के बाद सबसे ज्यादा लोगों को मिलता है रोजगार
- इस समिट में NIFT, मिथिला अस्मिता, हावर्ड यूनिवर्सिटी, कुमाऊ हैंडीक्राफ्ट जैसी संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल हुए।
- मिथिला अस्मिता की इहिताश्री कहती है कि लोक कला से जुड़े कुटीर उद्योग में कृषि के बाद सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है, लेकिन सही दिशा और पर्याप्त सहयोग नहीं होने के कारण कलाकारों को बाज़ार का उतना फायदा नहीं होता है, जितनी क्षमता है।
- उनके मुताबिक अब परंपरा को आधुनिक तकनीक से जोड़ने का समय है ताकि हम अपनी विरासत को न सिर्फ सहेज सके, बल्कि उससे रोजगार भी पैदा करें ।
उठाने होंगे कदम
- समिट में शिल्पकारों और कलाकारों का ये कहना है कि सिर्फ सरकारी प्रयास से इस सेक्टर का विकास नहीं होगा। न सिर्फ सरकार को और काम करने की ज़रुरत है, बल्कि कॉर्पेरेट इंडिया, दूसरी संस्थाओं को भी सामुहिक प्रयास करने की जरुरत है।
- उनके मुताबिक सरकार के डिजिटल इंडिया जैसे प्लेटफार्म पर लोक कलाओं को लाना चाहिए ताकि इसका प्रसार हो और रोजगार का ज्यादा से ज्यादा सृजन हो सके।
- समारोह में बतौर मुख्य अथिति के तौर पर शिरकत करने वाली जया जेटली ने कला को सहेजने पर जोर देते हुए कहा कि हर कला एक कहानी कहती है, समारोह के दौरान प्रदर्शनी में देश के अलग-अलग इलाकों के कलाकारों ने अपने शिल्प का प्रदर्शन किया।