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भारतीय बाजार पर चढ़ा चाइनीज पिचकारियों का रंग, मैन्युफैक्चरर्स के चेहरे हुए लाल-पीले

होली के रंग और पिचकारी बनाने वाले घरेलू निर्माता उदास हैं। क्योंकि भारतीय बाजार में चीनी रंगों, पिचकारी और स्प्रिंकल्‍स की भरमार है।

Dharmender Chaudhary Dharmender Chaudhary
Published on: March 24, 2016 9:32 IST
Made in China: भारतीय बाजार पर चढ़ा चाइनीज पिचकारियों का रंग, मैन्युफैक्चरर्स के चेहरे हुए लाल-पीले- India TV Paisa
Made in China: भारतीय बाजार पर चढ़ा चाइनीज पिचकारियों का रंग, मैन्युफैक्चरर्स के चेहरे हुए लाल-पीले

नई दिल्ली। देशभर में होली की धूम है, चारों तरफ खुशी का माहौल है। लेकिन होली के रंग और पिचकारी बनाने वाले घरेलू निर्माता उदास हैं। क्योंकि भारतीय बाजारों में चीनी रंगों, पिचकारी और स्प्रिंकल्‍स की भरमार है। इसके कारण घरेलू मैन्युफैक्चरर्स को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। घरेलू रंग की तुलना में चाइनीज रंग और पिचकारी 55 फीसदी तक सस्ते हैं। वहीं देश में रंगों को लेकर ऐसा कोई कानून नहीं है, जिससे चीन के रंगों और पिचकारियों को भारत में आने से रोका जा सके। एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में रंगों से जुड़े 75 फीसदी कारोबार पर चीन ने कब्जा कर लिया है।

होली उत्पाद के लिए नहीं ‘मेक इन इंडिया’

एसोचैम के सर्वे के अनुसार, चीन के उत्पाद अधिक इनोवेटिव और 55 फीसदी तक सस्ते हैं। इसकी वजह से इन्होंने उत्तर प्रदेश,राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में निर्मित होली उत्पादों को बाजार से गायब कर दिया है। एसोचैम सोशल डेवलपमेंट फाउंडेशन के सर्वे के अनुसार ‘मेक इन इंडिया’ को प्रोत्साहित करने के सरकार के प्रयासों के बावजूद चीन की सस्ती पिचकारियों और रंगोंं ने छोटे मैन्युफैक्चरर्स को प्रतिस्पर्धा से बाहर कर दिया है। एसोचैम के महासचिव डीएस रावत कहते हैं कि पूरे देश में 500 टन गुलाल का इस्तेमाल होता है, जिसमें अकेले उत्तर प्रदेश 200 टन खपत करता है। उत्तर प्रदेश के बरसाना, गोकुल, गोवर्धन, मथुरा,नंदगांव, वृंदावन, इलाहाबाद और वाराणसी जैसे शहरों में होली का जश्‍न बहुत बड़े स्‍तर पर मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि देशभर में 5,000 मैन्युफैक्चरर्स हैं, जो 500 टन से अधिक गुलाल बनाते हैं। लेकिन इस साल सस्ते गुलाल की वजह से कारोबार को भारी नुकसान पहुंचा है।

सरकार करे होली पर्यटन को प्रोत्‍साहित

सर्वे में 250 से ज्यादा मैन्युफैक्चरर्स, सप्लायर्स और ट्रेडर्स को शामिल किया गया था। ज्यादातर का मानना है कि पारंपरिक पिचकारियां बाजार से करीब-करीब गायब हो गई हैं। एसोचैम ने सरकार से अपील की है कि मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत होली पर्यटन को प्रोत्साहित किया जाए। इससे मैन्युफैक्चरर्स अपना सीजनल माल बेच पाएंगे। चैंबर का कहना है कि अगर चाइनीज प्रोडक्ट भारतीय बाजार में ऐसे ही बिकते रहे तो मेक इन इंडिया कार्यक्रम का क्‍या औचित्‍य रह जाएगा।

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