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लुधियाना के किसान ने जमीन के लिए मांगा मुआवजा, अदालत ने शताब्‍दी ट्रेन का बना दिया मालिक

किसान समपूरन सिंह ने उत्‍तरी रेवले द्वारा अधिग्रहण की गई उसकी जमीन के बदले उचित मुआवजे की मांग की और अदालत ने उसे स्‍वर्ण शताब्‍दी ट्रेन का मालिक बना दिया।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Published on: March 17, 2017 15:02 IST
लुधियाना के किसान ने जमीन के लिए मांगा मुआवजा, अदालत ने शताब्‍दी ट्रेन का बना दिया मालिक- India TV Paisa
लुधियाना के किसान ने जमीन के लिए मांगा मुआवजा, अदालत ने शताब्‍दी ट्रेन का बना दिया मालिक

नई दिल्‍ली। लुधियाना के 45 वर्षीय किसान समपूरन सिंह ने अदालत से अपनी जमीन के बदले उचित मुआवजा दिलाने की मांग की और अदालत से उसे शताब्‍दी ट्रेन का मालिक बना दिया। दरअसल अदालत ने अपने आदेश का  पालन न होने से नाराज होकर उत्‍तरी रेलवे द्वारा अमृतसर-दिल्‍ली के बीच चलने वाली स्‍वर्ण शताब्‍दी ट्रेन और लुधियाना स्‍टेशन मास्‍टर के ऑफि‍स को अटैच करने का आदेश सुना दिया।

अतिरिक्‍त जिला एवं सत्र न्‍यायाधीश जसपाल वर्मा ने अचंभित कर देने वाले अपने ऑर्डर में इस ट्रेन (ट्रेन नंबर 12030) को लुधियाना स्‍टेशन पर अटैच करने का आदेश दिया। इस आदेश ने तकनीकी रूप से किसान को ट्रेन का मालिक बना दिया।

अदालत ने इससे पहले 2015 में उत्‍तरी रेलवे को किसान संपूरन सिंह की अधिग्रहण की गई जमीन के बदले मुआवजा राशि 25 लाख प्रति एकड़ से बढ़ाकर 50 लाख रुपए प्रति एकड़ देने का आदेश दिया था।

  • उत्‍तरी रेलवे ने अदालत के इस आदेश का अभी तक पालन नहीं किया, जिसके बाद गुरुवार को अदालत ने यह नया आदेश सुनाया है।
  • बढ़े हुए मुआवजा राशि के आधार पर संपूरन सिंह को रेलवे से कुल 1.47 करोड़ रुपए मिलने हैं।
  • अभी तक रेलवे ने किसान को केवल 42 लाख रुपए का ही भुगतान किया है।
  • स्‍वर्ण शताब्‍दी के लुधियाना स्‍टेशन पर पहुंचने से एक घंटा पहले ही संपूरन सिंह और उनके वकील राकेश गांधी स्‍टेशन पहुंच गए।
  • जब ट्रेन यहां शाम 6.55 बजे पहुंची तो कोर्ट के आदेश की कॉपी ट्रेन ड्राइवर को सौंप दी गई।
  • सेक्‍शन इंजीनियर प्रदीप कुमार ने इस ट्रेन को वहां मौजूद कोर्ट अधिकारी के सुपुर्द कर दी, जिससे यह ट्रेन अब कोर्ट की प्रॉपटी बन गई है।
  • इसके बाद संपूरन सिंह ने यात्रियों को कोई परेशानी न हो इसलिए ट्रेन को दिल्‍ली रवाना होने दिया।
  • यह मामला 2007 में लुधियाना-चंडीगढ़ रेल लाइन के लिए जमीन अधिग्रहण से जुड़ा है।
  • याचिका 2012 में दायर की गई थी और कोर्ट ने इस पर अपना आदेश 2015 में सुनाया था।
  • इस मामले की अब अंतिम सुनवाई इसी महीने 18 मार्च को होगी।

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