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एक साल में IPL की ब्रांड वैल्‍यू में हुआ 26% का इजाफा, 11 साल में 34,000 करोड़ रुपए का बना कारोबार

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 11वें संस्‍करण के लिए खिलाडि़यों की नीलामी शुरू हो चुकी है। वहीं एक साल में आईपीएल की ब्रांड वैल्‍यू 26 प्रतिशत बढ़कर 2017 में 5.3 अरब डॉलर (लगभग 34,000 करोड़ रुपए) हो गई।

Abhishek Shrivastava Written by: Abhishek Shrivastava
Published on: January 28, 2018 11:56 IST
IPl 2018- India TV Paisa
IPl 2018

नई दिल्‍ली। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 11वें संस्‍करण के लिए खिलाडि़यों की नीलामी शुरू हो चुकी है। वहीं एक साल में आईपीएल की ब्रांड वैल्‍यू 26 प्रतिशत बढ़कर 2017 में 5.3 अरब डॉलर (लगभग 34,000 करोड़ रुपए) हो गई। न्‍यूयॉर्क की कॉरपोरेट फाइनेंस एडवाइजरी फर्म Duff & Phelps द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है। 2016 में आईपीएल की ब्रांड वैल्‍यू 4.2 अरब डॉलर (लगभग 27,000 करोड़ रुपए) थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि स्‍मार्टफोन कंपनी वीवो द्वारा टाइटल स्‍पॉन्‍सरशिप के लिए किए गए 2200 करोड़ रुपए के करार के बाद आईपीएल की ब्रांड वैल्‍यू में यह इजाफा हुआ है। डफ और फेल्‍पस रिपोर्ट में मुकेश अंबानी के नेतृत्‍व वाली रिलायंस इंडस्‍ट्रीज की टीम मुंबई इंडियंस को सबसे अधिक ब्रांड वैल्‍यू वाली टीम घोषित किया गया है। इस टीम की ब्रांड वैल्‍यू सभी टीमों की तुलना में 10.6 करोड़ डॉलर है। केवल 11 साल में आईपीएल की कीमत शून्‍य से हजारों करोड़ रुपए हो गई है।

बिजनेस, एंटरटेनमेंट और स्‍पोर्ट्स को एक साथ एक प्‍लेटफॉर्म पर लाने के पीछे ललित मोदी का दिमाग था। जब 2008 में IPL की शुरुआत हुई तो इसे भारत के लिए एक बेशकीमती खेल प्रतीक के रूप में देखा गया। इस लीग के जरिये न केवल दुनियाभर के बेहतरीन क्रिकेट खिलाडि़यों को एक जगह इकट्ठा किया गया, बल्कि इसने कॉर्पोरेट भारत को भी अपने साथ जोड़ लिया। अभी भी बहुत से लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कैसे आईपीएल फ्रेंचाइजी करोड़ों रुपए में स्‍टार खिलाडि़यों को खरीद रही हैं और उनको कैसे कमाई हो रही है।

बिजनेस के लिए बना है आईपीएल

आईपीएल की वास्‍तविकता यह है कि इसे बिजनेस के दृष्टिकोण से डिजाइन किया गया है। यह एक क्रिकेट टूर्नामेंट है, जिसे मूल्‍यवान कॉमर्शियल प्रॉपर्टी के तौर पर विकसित किया गया है। यह कंपनियों को आक्रामक ढंग से अपने बिजनेस का विज्ञापन करने का अवसर प्रदान करता है। आईपीएल का प्रमुख बिजनेस प्‍लान यह है कि प्राइवेट कंपनियों को क्रिकेट फ्रेंचाइजी खरीदने के लिए बुलाया जाए। जब फ्रेंचाइजी को बड़ी कीमत पर बेच दिया जाएगा, तब कॉर्पोरेट्स भारतीय क्रिकेट में निवेश के लिए आकर्षित होंगे। यही वह रास्‍ता है जहां से पैसा आता है। इस समय नए-नए स्‍टार्टअप्‍स आईपीएल के सबसे बड़े ग्राहक हैं। यह स्‍टार्टअप्‍स विज्ञापन के लिए आईपीएल टीमों के साथ गठजोड़ करते हैं और बहुत ही कम समय में लाखों ग्राहकों की नजरों में आ जाते हैं।

बड़ी-बड़ी कंपनियां लगाती हैं पैसा 

आईपीएल ने कॉर्पोरेट इंडिया को भारतीय क्रिकेट के ड्रेसिंग रूम में आने की अनुमति दी है। इससे पहले स्‍पॉन्‍सर्स कभी प्‍लेयर्स की टीशर्ट पर अपनी कंपनी के लोगो के लिए पैसा नहीं देते थे, लेकिन अब इसके लिए मोटी रकम चुका रहे हैं। अंतरराष्‍ट्रीय और बड़ी कंपनियां इस खेल को स्‍पॉन्‍सर कर रही हैं। भारत में क्रिकेट को लेकर अजीब पागलपन है, दुनिया में सबसे ज्‍यादा क्रिकेट प्रेमी और जनसंख्‍या भारत में हैं, जो लगातार बढ़ रही है। सभी लोग इस बात से सहमत हैं कि एंटरटेनमेंट इंडस्‍ट्री में कभी मंदी नहीं आती और आईपीएल बॉलीवूड और क्रिकेट का कॉकटेल है, जो केवल एंटरटेनमेंट, एंटरटेनमेंट और एंटरटेनमेंट का वादा करता है।

आईपीएल टीमों की ऐसे होती है कमाई

मीडिया राइट्स: आईपीएल में एक रेवेन्‍यू डिस्‍ट्रीब्‍यूशन मॉडल है, जहां बीसीसीआई ब्रॉडकास्‍टर और ऑनलाइन स्‍ट्रीमर से मोटी रकम वसूलता है। इसमें से अपनी फीस काटकर इस रकम को सभी आईपीएल टीम के बीच बांटा जाता है। इसका बंटवारा टीम रैंक के आधार पर होता है। खेल के अंत में जिस टीम की रैंक जितनी अधिक होती है उसे मीडिया रेवेन्‍यू में उतना बड़ा हिस्‍सा मिलता है। आईपीएल टीम द्वारा कुल कमाई में 60-70 फीसदी हिस्‍सा मीडिया राइट्स का होता है।

ब्राड स्‍पॉन्‍सरशिप: ब्रांड स्‍पॉन्‍सरशिप के जरिये भी आईपीएल फ्रेंचाइजीस एक बड़ी रकम हासिल करती हैं। फ्रेंचाइजी ब्रांड के साथ टाइअप कर उनके ब्रांड व लोगो को टीम किट और जर्सी पर छापते हैं। स्‍टेडियम की बाउंड्री पर लगने वाले विज्ञापनों से भी कमाई होती है। खिलाड़ी की छाती और पीठ पर बड़े व बोल्‍ड अक्षरों में उस कंपनी का नाम या लोगो लगाया जाता है तो सबसे ज्‍यादा स्‍पॉन्‍सरशिप फीस चुकाता है। स्‍पॉन्‍सर्स टीम खिलाडि़यों के साथ कुछ कार्यक्रम भी आयोजित कर सकता है, जिसके जरिये वह अपने ब्रांड को प्रमोट करता है। कुल कमाई में स्‍पॉन्‍सरशिप का हिस्‍सा 20-30 फीसदी होता है।

टिकट बिक्री: स्‍टेडियम में टिकट बिक्री से भी कमाई होती है। टिकट का दाम टीम मालिक तय करते हैं। आईपीएल टीम के रेवेन्‍यू में टीकट की हिस्‍सेदारी तकरीबन 10 फीसदी है।

प्राइज मनी: आईपीएल में बहुत बड़ी नकद राशि ईनाम के तौर पर दी जाती है। 2017 में लगभग 45 करोड़ रुपए ईनाम के तौर पर दिए गए। टूर्नामेंट की चैंपियन टीम को ईनाम राशि का सबसे बड़ा हिस्‍सा मिलता है। प्राइज मनी को टीम मालिक और खिलाडि़यों के बीच बांटा जाता है। 2017 में विजेता टीम को 15 करोड़ और उपविजेता टीम को 10 करोड़ रुपए दिए गए। तीसरे और चौथे स्‍थान पर रहने वाली टीमों को 7.5-7.5 करोड़ रुपए दिए गए।

मर्चेंडाइज सेल्‍स: भारत में खेल सामग्री का बाजार सालाना आधार पर 100 फीसदी की दर से बढ़ रहा है और यह बाजार तकरीबन 3 करोड़ डॉलर का है। प्रत्‍येक फ्रेंचाइजी मर्चेंडाइज की बिक्री करती है, जिसमें टी-शर्ट, कैप, रिस्‍ट वॉच और अन्‍य कई सामग्री शामिल हैं।

स्‍टॉल का किराया: मैच के दौरान फूड स्‍टॉल कॉन्‍ट्रैक्‍ट आधार पर थर्ड पार्टी को दिए जाते हैं जो इन्‍हें सब-कॉन्‍ट्रैक्‍ट के रूप में देती है। यह स्‍टॉल प्रति मैच प्रति स्‍टॉल एक तय कीमत पर दिए जाते हैं।

आईपीएल 2017 में विज्ञापन से हुई 1300 करोड़ की कमाई

सोनी पिक्‍चर्स नेटवर्क के पास 14 प्रमुख स्‍पोंसर्स हैं और 2017 में सोनी को 1300 करोड़ रुपए का विज्ञापन राजस्‍व हासिल हुआ। 2016 में सोनी पिक्‍चर्स ने आईपीएल के दौरान विज्ञापन से 1100 करोड़ रुपए की कमाई की थी। 2017 में हॉटस्‍टार की विज्ञापन कमाई भी दोगुना होकर 120 करोड़ रुपए रही। 2018 में विज्ञापन कमाई में भी अच्‍छीखासी वृद्धि होने की उम्‍मीद है।

नए ब्रांड आईपीएल पर जमकर खर्च कर रहे हैं पैसा

नए ब्रांड क्रिकेट पर जमकर पैसा लगा रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण चीनी मोबाइल कंपनी वीवो और ओप्‍पो हैं। कंपनी ने भारतीय क्रिकेट टीम की अपैरल और गियर स्‍पॉन्‍सरशिप का अधिकार 1079.29 करोड़ रुपए में खरीदा है। एक अन्‍य चीनी कंपनी वीवो ने भारत में अपनी मजबूत उपस्थिति के लिए आईपीएल का टाइटल स्‍पॉन्‍सरशिप के लिए 2200 करोड़ रुपए का करार किया है।

जीडीपी में आईपीएल से जुड़ते हैं 1150 करोड़ रुपए

कंसल्टिंग फर्म केपीएमजी का अनुमान है कि आईपीएल से हर साल 2,650 करोड़ रुपए की आर्थिक गतिविधियां पैदा होती हैं, जबकि भारतीय जीडीपी में यह 1150 करोड़ रुपए का योगदान करता है। वर्तमान में 2 लाख करोड़ डॉलर वाली भारतीय जीडीपी में आईपीएल का योगदान मात्र 0.01 फीसदी है। अधिकांश विकसित देशों की जीडीपी में खेल का हिस्‍सा 1.5 से 2 फीसदी है। इस मामले में भारत को अभी बहुत लंबी यात्रा तय करनी है।

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