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होमलोन और कारलोन की EMI घटने की उम्मीद कम, RBI की तरफ से ब्याज दरों में कटौती के कम आसार

रिजर्व बैंक (RBI) इस बुधवार को अपनी मुख्य नीतिगत ब्याज दर वर्तमान स्तर पर ही बनाए रख सकता है तथा उसका ध्यान महंगाई नियंत्रण पर केंद्रित रहने की संभावना है

Manoj Kumar Manoj Kumar @kumarman145
Published on: December 03, 2017 15:06 IST
होमलोन और कारलोन की EMI घटने की उम्मीद कम, RBI की तरफ से ब्याज दरों में कटौती के कम आसार- India TV Paisa
होमलोन और कारलोन की EMI घटने की उम्मीद कम, RBI की तरफ से ब्याज दरों में कटौती के कम आसार

नई दिल्ली। रिजर्व बैंक (RBI) इस बुधवार को अपनी मुख्य नीतिगत ब्याज दर वर्तमान स्तर पर ही बनाए रख सकता है तथा उसका ध्यान महंगाई नियंत्रण पर केंद्रित रहने की संभावना है। विशेषज्ञों के अनुसार, आर्थिक वृद्धि में लगातार पांच तिमाहियों की गिरावट के बाद सितंबर में समाप्त तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर में सुधार होने से रिजर्व बैंक पर दर में कटौती का दबाव कम हुआ है। वैसे उद्योग जगत की मांग है कि ब्याज दर में कटौती की जाए ताकि क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज द्वारा देश की रेटिंग बढ़ाने से बाजार में जगे उत्साह का लाभ उठाया जा सके।

आरबीआई गवर्नर ऊर्जित पटेल की अध्यक्षता में रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति द्वैमासिक बैठक पांच और छह दिसंबर को होगी। बैठक के नतीजों को छह दिसंबर को घोषित किया जाएगा। यह चालू वित्त वर्ष की पांचवीं बैठक होगी। केंद्रीय बैंक ने अगस्त में रेपो दर 0.25 प्रतिशत कम कर छह प्रतिशत कर दी थी। यह पिछले छह साल का सबसे निचला स्तर है। रेपो वह दर है जिसपर आरबीआई बैंकों को उनकी तात्कालिक आवश्यकता के लिए नकदी उपलब्ध कराता है। रेपों बढ़ाने से बैंकों के धन की लागत बढ़ जाती है और इसका उनके कर्ज की दर पर असर पड़ता है।

लेकिन समिति ने अक्तूबर में समीक्षा बैठक में रेपो दर को छह प्रतिशत पर बनाए रखा और अर्थव्यवस्था में लगातार नरमी को देखते हुए चालू वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि के अपने पहले के अनुमान को कम कर 6.7 प्रतिशत कर दिया था। बैंकों के शीर्ष अधिकारियों और विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में महंगाई का दबाव बढ़ने के जोखिमों के कारण रेपो दर इस बार भी अपरिवर्तित रखी जा सकती है।

यूनियन बैंक के प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) राजकिरण राय जी. ने कहा, ‘‘यह (रेपो) पिछले स्तर पर ही रहने वाली है। बैंकों के पास नकदी का प्रवाह कम है , जमा दरें मजबूत हो रही हैं और महंगाई बढ़ने की चिंताएं बनी हुई हैं।’’ वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता नोमुरा ने कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरे कम होने उत्पादों की कीमतों में नरमी आएगी , लेकिन संसाधनों की लागत बढने तथा खाद्य महंगाई ऊंची होने से नवंबर व नवंबर के बाद खुदरा मुद्रा स्फीति आरबीआई के चार प्रतिशत के लक्ष्य से ऊपर चले जाने का जोखिम है। उसने कहा, ‘‘हमे लगता है कि आरबीआई (नीतिगत दर में कटौती) के मामले में अभी रुकेगा…और नीतिगत दर 2018 में भी अपरिवर्तित रखे जाने की संभावना है।’’

उद्योग संगठन फिक्की ने कहा है कि कारोबार सुगमता रैंकिंग में सुधार, मूडीज की रेटिंग में सुधार और बैंकों के लिए वृहद पुनर्पूंजीकरण की योजना के रूप में अच्छी खबरें हैं। फिक्की के अध्यक्ष पंकज पटेल ने बयान में कहा, ‘‘अभी धारणा के स्तर में आगे भी सुधार के अच्छे अवसर हैं। अगले सप्ताह होने वाली मौद्रिक नीति की घोषणा आत्म विश्वास को और बल देने का बहुत अच्छा अवसर है। ’’ रेटिंग एजेंसी इक्रा ने भी रेपो रेट के छह प्रतिशत पर अपरिवर्तित हने की उम्मीद जाहिर की है क्यों कि आने वाले महीनों में खुदरा मुद्रास्फीति का बदाव बढ़ने के आसार हैं। उल्लेखनीय है कि थोक मूल्यों पर आधारित महंगाई अक्तूबर में छह महीने के उच्चतम स्तर 3.59 प्रतिशत पर पहुंच गयी। खुदरा महंगाई भी अक्तूबर में सात महीने के उच्चतम स्तर 3.58 प्रतिशत पर थी।

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